सियासतनामा/लोकसभा का अनुसरण कर टाल सकते थे विवाद

  • दिनेश निगम त्यागी

लोकसभा का अनुसरण कर टाल सकते थे विवाद
हंगामे की भेंट चढऩा मध्यप्रदेश विधानसभा की नियति बन गई है। यह स्थिति कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन के बाद निर्मित हुई। स्पीकर और सत्तापक्ष चाहते तो इस मामले का पटाक्षेप लोकसभा की तर्ज पर कर सकते थे। लोकसभा में राहुल गांधी ने अडाणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर आरोप लगाए। सत्तापक्ष का कहना था कि सभी आरोप गलत है। यहां राहुल गांधी के निलंबन की मांग करने की बजाए उनके द्वारा मोदी अडाणी को लेकर कही गई बातें कार्यवाही से विलोपित कर दी गई। ऐसा किया जाता तो यहां भी बात नहीं बिगड़ती।

‘विंध्य’ को साधे रखने शिवराज की दो घोषणाएं
विधानसभा के पिछले चुनाव में विध्य अंचल ने भाजपा की झोली सीटों से भर दी थी। उसे 30 में से 24 सीटों पर जीत मिली थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा विध्य को साधे रखने की दिशा में की गई दो घोषणाएं। महत्वपूर्ण है। उन्होंने 7 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की प्रतिमा का अनावरण करने की घोषणा कर दी। विध्य का नायक कह कर उनकी मूर्ति के अनावरण की मांग भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी द्वारा भी की जा रही थी। दूसरा, रीवा जिले के मऊगंज में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने मऊगंज को नया जिला बनाने का ऐलान कर दिया। इसमें रीवा जिले की चार तहसीलें शामिल होगी।

नरोत्तम के दिल्ली दौरे पर बना बतंगड़
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के अचानक दिल्ली जाने के दौरान कई तरह की चर्चाएं निकल पड़ी। जबकि इनका कोई सिर पैर नहीं था। कोई और बातें बनती इससे पहले ही पता चल गया कि नरोतम एक व्यक्तिगत केस के सिलसिले में दिल्ली गए हैं, तब नेताओं के दिमाग का टेंशन कम हुआ। लेकिन, संगठन में बदलाव को लेकर चर्चाएं अब भी नहीं थमी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व संगठन में बदलाव कर सकता है।

मंत्री पद के दावेदारों को मिली फिर नई तारीख
मंत्री पद के दावेदारों को तारीख पर तारीख मिल रही है, लेकिन नतीजा सिफर है। अब खबर है कि बजट सत्र के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल का काम होगा। इसमें उन मंत्रियों की छुट्टी की जाएगी भाजपा की आंतरिक रिपोर्ट में जिन पर हार का खतरा मंडरा रहा है। उनकी जगह क्षेत्रीय एवं जातीय संतुलन साधते हुए मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाएगा। निर्णायक मंडल में शामिल पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना था कि फेरबदल चूंकि चुनाव से ठीक पहले हो रहा है. इसलिए मंत्रिमंडल में जगह नेताओं का चेहरा देखकर नहीं दी जाएगी। निर्णय विधानसभा चुनाव में लाभ को ध्यान में रख कर लिया जाएगा। इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित भाजपा के अन्य बड़े नेताओं को भरोसे में ले लिया गया है।

मुसीबत से घिरे जीतू को याद आए ‘नाथ’
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से चेहरा कौन होगा और होगा भी या नहीं, इसे लेकर संशय की स्थिति है। बजट सत्र के लिए निलंबित किए जाने के बाद जीतू पटवारी ने पहली बार कहा कि कांग्रेस भावी मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में यह लड़ाई लड़ेगी। कांग्रेस ने जो प्रेस नोट जारी किया, उसमें मावी मुख्यमंत्री शब्द पर खास फोकस किया गया। कमलनाथ ने इस पर आपत्ति भी नहीं जताई। इससे पहले कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए प्रदेश भर में बैनर-पोस्टर लगाए गए थे। कांग्रेस के प्रदेश प्रमारी जेपी अग्रवाल ने साफ कर दिया था कि पार्टी में चेहरा आगे कर चुनाव लडऩे की परंपरा नहीं है। चुनाव बाद कांग्रेस विधायक दल और पार्टी नेतृत्व इस बारे में फैसला लेगा। यही बात अरुण यादव और अजय सिंह ने दोहराई थी।

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