बिहाइंड द कर्टन/और जुलानिया को बेइज्जत होकर होना पड़ा रुखसत

  • प्रणव बजाज
राधेश्याम जुलानिया

और जुलानिया को बेइज्जत  होकर होना पड़ा रुखसत
प्रदेश के सर्वाधिक तेजतर्रार आईएएस अफसरों में शामिल रहे राधेश्याम जुलानिया आखिर आज सात माह में बेकार रहने के बाद सेवानिवृत्त हो ही गए हैं। वे प्रदेश के पहले ऐसे अफसर हैं जिन्हें सरकार के कोपभाजन का इस तरह से शिकार होना पड़ा। अपनी अलग कार्यशैली की वजह से वे बीते कई सालों से चर्चा में रह चुके हैं। जल संसाधन और पंचायत ग्रामीण विकास विभाग की कमान मिलने के बाद उनके द्वारा जिस तरह के सख्त फैसले लिए गए उसकी मिसाल भी दी जाती है, लेकिन अचानक जब उनकी मातहत महिला आईएएस अफसर रशिम अरुण शमी से पटरी नहीं बैठी तो उन्हें मंत्रालय में ओएसडी बनाकर बिठा दिया गया। करीब सात माह तक बगैर किसी जिम्मेदारी के वेतन लेने के बाद आखिरकार उनकी विदाई हो गई। यह बात अलग है कि उनकी अपनी नौकरी के दौरान अफसर हों या फिर नेता अधिकांश से पटरी नही बैठी। यही वजह है कि नौकरी के अंत समय में उन्हें इस तरह से बेइज्जज होकर रुखसत होना पड़ा है।  

पहले ही दिन आ गए दो जिलों के कलेक्टर निशाने पर  
उपचुनाव की घोषणा के पहले ही दिन कांग्रेस के निशाने पर दो जिलों के कलेक्टर  आ गए। इनमें टीकमगढ़ व निवाड़ी कलेक्टर शामिल हैं। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इन दोनों ही अफसरों को हटाने की मांग शुरू कर दी है। कांग्रेस ने उनकी शिकायत मुख्यमंत्री द्वारा निकाली गई जनदर्शन कार्यक्रम की वजह से की गई है। वहीं खास बात यह है कि प्रशासन ने उपचुनावों वाले इलाकों में चार नई तहसीलों के गठन में जिस तरह से सक्रियता दिखाई है, वह भी चर्चा में है। लोग कह रहे हैं कि काश अन्य जनहित के मामलों में भी अगर पहले ही सरकार व प्रशासन मिलकर इसी तरह की सक्रियता दिखाएं तो चुनावी समय में इस तरह के कदम उठाने की जरुरत ही नही रह जाएगी। दरअसल प्रदेश में चुनावी इलाकों वाले इलाकों में चार नई तहसीलें बनाने को लेकर एक दिन पहले फैसला लिया और दूसरे दिन आदेश भी जारी हो गया। फिलहाल इन दोनों ही मामलों में कांग्रेस के महामंत्री जेपी धनोपिया आयोग की शरण में पहुंच चुके है।

कबीना मंत्री भूपेन्द्र सिंह को संगठन ने फिर दी अहम जिम्मेदारी  
प्रदेश सरकार के कबीना मंत्री भूपेन्द्र सिंह को एक बार फिर पार्टी ने बेहद अहम जिम्मेदारी है। उन्हें प्रदेश में एक लोकसभा व तीनों विधानसभा उपचुनाव के चुनाव प्रबंधन का काम सौंपा गया है। वे ऐसे नेता हैं जिन्हें लगातार प्रदेश में कहीं भी होने वाले इन बेहद अहम उपचुनावों में प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जा रही है। इसके पहले उन्हें एक साथ 28 विधानसभा और उसके बाद दमोह विधानसभा उपचुनाव की भी जिम्मेदारी दी जा चुकी है। उनके चुनाव प्रबंध का काम देखने से पार्टी को कहीं फायदा हो या न हो कम से कम बेहद कठिन मानी जा रही पृथ्वीपुर सीट पर मिलना जरूर तय हो गया है। दरअसल इस सीट पर उनके सजातीय मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। यह मतदाता अब तक कांग्रेस के पक्ष में ही रहते रहे हैं। वैसे भी उनकी गिनती उन सहज व सरल मंत्रियों में होती है, जिनसे कार्यकर्ता से लेकर नेता तक सभी खुश रहते हैं।

बगैर आरटीओ गए ही मिल गया हजारों लोगों को लाइसेंस
सर्वाधिक चर्चा में रहने वाला प्रदेश का परिवहन विभाग इन दिनों अपने नवाचारों की वजह से चर्चा में है। नए नवाचारों में इस बार इस महकमे ने  ऑन लाइन लर्निंग लाइसेंस देने की शुरूआत की है। इस नवाचार को युवाओं ने हाथों हाथ लिया है। हालत यह है कि इसकी वजह से जहां विभाग के दफ्तरों में भीड़भाड़ से मुक्ति मिल गई है, तो वहीं लोगों का समय और पैसा भी बचने लगा है। परिवहन आयुक्त मुकेश जैन ने कहा कि ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया की शुरुआत बीते माह ही 2 अगस्त को शुरू की गई थी, लेकिन यह कदम इतना लोकप्रिय हुआ की दो माह का समय होने से पहले ही 81 हजार युवाओं को लर्निंग लाइसेंस मिल चुके हैं। यह संख्या तो और अधिक हो जाती , अगर आवेदन करने वाले दस हजार के लगभग आवेदक ऑनलाइन टेस्ट में शामिल हो गए होते। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया के लागू होने की वजह से अब आवेदक अपने आवेदन पर की जा रही कार्रवाई पर पूरी तरह से नजर भी रख सकता है।

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