बिहाइंड द कर्टन/और करनी पड़ रही है भाजपा की तारीफ

  • प्रणव बजाज
भाजपा

और करनी पड़ रही है भाजपा की तारीफ
वैसे तो कांग्रेस व भाजपा एक दूसरे के विपक्षी दल हैं। इन दलों के नेताओं में भी कैर-बैर का साथ दिखावे के लिए बना ही रहता है। इसके बाद भी अगर सार्वजनिक रुप से नेताओं को विरोधी पार्टी की तारीफ करना पड़े तो आश्चर्य होना स्वभाविक है। यह तारीफ भी ऐसे समय की जाए जब दोनों दलों के नेताओं के बीच कई मामलों में तलवारें खिंची हों। ऐसे एक नहीं बल्कि दो मामले हाल ही में सामने आ चुके हैं जब कांग्रेस नेताओं द्वारा दो बार अलग-अलग समय विपक्ष की कार्यशैली की तारीफ की है। एक साक्षात्कार में जहां सूबे के कांग्रेसी मुखिया कमलनाथ ने आरएसएस के संगठन की तो वहीं इंदौर में आयोजित पार्टी के प्रशिक्षण शिविर में भी एक कांग्रेस के आला नेता ने अनुशासन को लेकर भाजपा संगठन की तारीफ की। उनका कहना था कि देवास के एक व्यक्ति को इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बना दिया गया, लेकिन किसी की आवाज तक नहीं निकली है।

तीसरी बार भी करा दी सरकार की किरकिरी
सूबे का पंचायत विभाग और सरकार के रणनीतिकार इन दिनों लगातार सरकार की किरकिरी की वजह बन रहे हैं। हालात यह हो गए हैं कि एक माह में ही तीन बार सरकार को किरकिरी की स्थिति का सामना करना पड़ा है। पहले ओबीसी आरक्षण त्रिस्तरीस पंचायत चुनाव में लागू करने के मामले में सरकार को अपने कदम वापस खीेंचने पड़े। इसके बाद पंचायत विभाग ने एक आदेश जारी किया , लेकिन उसे अगले ही दिन वापिस ही लेना पड़ा। दरअसल इस आदेश में अफसरों ने जिला पंचायत, जनपद पंचायत और सरपंच स्तर पर प्रशासकीय प्रधान समिति को वित्तीय अधिकार दे दिए। इसके बाद प्रदेश भर से स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने विरोध उठना शुरू हुए तो आनन-फानन में सरकार को यह आदेश निरस्त करना पड़ गया। इसमें खास बात यह है कि पंचायत मंत्री को पहले अध्यादेश की भी जानकारी नहीं दी गई और उसके बाद और न ही वित्तीय अधिकार देने की। दरअसल इसकी वजह है सूबे में मंत्रियों का इस तरह के आदेशों का तब पता चलता है जब रायता फैल चुका होता है तब मंत्री को उसके समेटने में लगा दिया जाता है।

आश्रम वेब सीरीज फिर विवादों में  
मप्र में फिल्माई जाने वाले आश्रम वेब सीरीज का मप्र से विवादों का नाता दूर नहीं हो पा रहा है। पहले उसके फिल्मांकन के समय विवाद हो चुका है। अब उसकी कहानी और पात्रों के नामों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस बार विवाद की वजह बना है राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियाज खान का उपन्यास। खान ने इस मामले में पुलिस से भी शिकायत की है। दरअसल उनका आरोप है कि उनकी कहानी व पात्रों के नाम चुराकर उसका उपयोग वेब सीरीज में किया गया है। उनके द्वारा अब इस मामले में न्यायालय की भी शरण ली गई है। राप्रसे के अधिकारी नियाज खान की तरफ से पुलिस में यह शिकायती आवेदन पब्लिशर्स इंदिरा पब्लिशिंग हाउस ने दिया है। उनका यह उपन्यास 1 फरवरी 2016 को लांच किया गया था। शिकायत में उनके उपन्यास के कवर पेज और उसके नाम को चुराने की भी शिकायत की गई है। उन्होंने इसे कॉपीराइट का उल्लंघन बताते हुए 50 करोड़ की हर्जाना दिए जाने की मांग की है।

बोले नरोत्तम: प्रदेश में लागू होगा  ऑनलाइन गेमिंग एक्ट
सूबे के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने मध्यप्रदेश में जल्दी  ऑनलाइन गेमिंग एक्ट लागू करने की घोषणा की है। उनके द्वारा यह घोषणा बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहे  ऑनलाइन वीडियो गेम के बढ़ते क्रेज की वजह से लिया गया है। उनका कहना है कि फ्री फायर गेम खेलने वाले बच्चों की खुदकुशी के प्रकरण बेहद गंभीर हैं। ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए यह एक्ट लागू किया जाएगा। दरअसल प्रदेश में फ्री-फायर गेम खेलने के कारण कई बच्चे सुसाइड कर चुके हैं। दो दिन पहले ही भोपाल के शंकराचार्य नगर में कक्षा पांचवी के छात्र सूर्यांश ओझा ने सुसाइड कर लिया था। मिश्रा का कहना है कि यह गंभीर मुद्दा है और इस पर नियंत्रण के लिए ऑनलाइन गेमिंग एक्ट के लिए मसौदा तैयार हो गया है और इसे जल्दी मूर्त रूप दिया जाएगा। 

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