बिहाइंड द कर्टन/कलेक्टरी न मिलने से नाराज अफसर छोड़ रहे नौकरी

  • प्रणव बजाज
नाराज अफसर

कलेक्टरी न मिलने से नाराज अफसर छोड़ रहे नौकरी
आईएएस अफसर वरदमूर्ति मिश्रा द्वारा नौकरी छोड़ने से एक बार फिर नई बहस शुरू हो गई है। नौकरी से इस्तीफा देने वाले मिश्रा अकेले आईएएस अफसर नही हैं, बल्कि उनसे वरिष्ठ कई अफसर भी असमय आईएएस जैसी नौकरी छोड़ चुके हैं। इसकी वजह है मैदानी पदस्थापना में उनके साथ भेदभाव का होना। खासतौर पर इसका शिकार वे अफसर  अधिक हो रहे हैं जिनका कोई राजनैतिक या फिर प्रशासनिक वजूद नही है। कई ऐसे अफसर है जिनका काम मैदानी स्तर पर बहुत अच्छा रहा है, लेकिन उन्हें मंत्रालय में ही नौकरी लगातार करनी पड़ रही है। अभी करीब ऐसे आधा दर्जन अफसर है जो सीनियर होने के बाद भी कलेक्टर नहीं बनाए गए हैं। इनमें कई को तो एक दशक से अधिक का समय आईएएस अफसर बने हुए हो गए हैं। अब इन अफसरों में सरकार को लेकर बेहद नाराजगी है। मिश्रा की नाराजगी इससे भी समझी जा सकती है कि बगैर आवेदन मंजूर हुए ही उनके द्वारा कार्यालय को अलविदा कर दिया गया है।

जिन्ना का यशोगान जारी
कांग्रेस के पूर्व मंत्री और कमलनाथ के बहद करीबियों में शामिल सज्जन सिंह वर्मा इन दिनों भारत विभाजन की वजह बने जिन्ना का लगातार यशोगान कर रहे हैं।इसकी वजह से उनके साथ ही उनकी पार्टी की भी ऐसे समय किरकिरी हो रही है जबकि प्रदेश में नगरीय निकायों के साथ ही पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने आगर मालवा में कांग्रेस कार्यकतार्ओं को संबोधित करते हुए कहा की जिन्ना ने देश नहीं तोड़ा है , बल्कि उनके द्वारा तो हमारा भला किया गया है। उनका कहना है की उनके द्वारा तो हमे रहने के लिए जगह दी गई। अगर पूरे मुसलमान यहां होते तो पता नहीं हम कहां होते। इसके साथ ही उनके द्वारा आरएसएस के अंखड भारत पर हमला करते हुए कहा की अगर पाकिस्ताप , बंग्लादेश और इंडोनेशिया के मुस्लिम भी भरत का हिस्सा बन गए तो खड़े होने की जगह भी नहीं मिलेगी। इसके पहले वे बीते हफ्ते मंदसौर में भी कह चुके हैं की देश की आजादी में गांधी, नेहरु व शास्त्री के साथ ही जिन्ना साहब का भी देश की आजादी में योगदान है।

सवा अरब खर्च का नहीं दे रहे अफसर हिसाब
सूबे में आदिवासियों के नमा पर हुए दो बड़े आयोजनों पर सरकार द्वारा सवा अरब रुपए खर्च किए गए हैं। करीब नौ माह पहले खर्च की गई इस राशि का अफसरों द्वारा कोई हिसाब किताब अब तक विभाग को नहीं दिया गया है। अब विभाग इस खर्च की गई राशि के उपयोगिता प्रमण पत्र के लिए परेशान है। दरअसल बीते साल भोपाल में 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जंयती पर जनजातीय गौरव दिवस पर एक अरब और 18 सितंबर को जबलपुर में आदिवासी कार्यक्रम पर 25 करोड़ और इंदौर में टंटया भील के कार्यक्रम पर करीब 10 करोड़ की राशि खर्च की गई थी , लेकिन अफसरों ने संचानालय को इसका अब तक हिसाब-किताब ही नहीं दिया है। हालात यह हैं की अब विभाग को अफसरों को हिसाब किताब देने के लिए पत्र लिखना पड़ रहा है। अगर विभाग को हिसाब किताब नहीं मिला तो आडिट आपत्ति आना तय है। इसकी वजह से विभाग परेशान है।

नाराज चल रहे हैं सरदारजी
कांग्रेस के सरदार जी इन दिनों अपने ही नेताओं से बेहद नाराज चल रहे हैं। उनकी यह नाराजगी पार्टी में मीडिया विभाग में की गई नियुक्तियों को लेकर बनी है। इसके बाद से ही वे कोप भवन में चले गए हैं। जिसकी वजह से वे अब सोशल मीडिया से भी पूरी तरह से दूर बने हुए हैं। यह बात अलग है की कांग्रेस के मीडिया विभाग को तेज-तर्रार और सियासी तौर पर परिपक्व अध्यक्ष मिलने की वजह से उनकी कमी नहीं खल रही है, लेकिन पार्टी प्रमुख के एक फैसले ने उनकी कई पुरानी धारणाएं झुठला दीं। वर्षों से उनके निजी सचिव, पार्टी के वयोवृद्ध पदाधिकारी और भरोसेमंद सरदारजी की राय पर मुखिया के अकेले सलाहकार केके भारी पड़ गए। केके के खिलाफ इन तीनों की आपत्तियां काम नहीं आयी। हालांकि अंदरखाने की खबरें हैं कि सरदारजी जी को मना लिया जाएगा क्योंकि उनके तीखे धारदार बयान और चुटीली टिप्पणियां कई बार सत्ता संगठन के नेताओं को असहज करती हैं।

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