
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रहीं पांच नई योजनाओं का लाभ अब प्रदेश के एक करोड़ से अधिक श्रमिकों को मिलने का रास्ता खुल गया है। इसकी वजह है प्रदेश सरकार के श्रम विभाग द्वारा किया गया इनका पंजीयन। केन्द्र की इन योजनाओं को केंद्र सरकार असंगठित कामगारों के लिए तो बेहद महत्वपूर्ण माना ही जा रहा है और इन्हें सत्तारुढ़ पार्टी के लिए भी बेहद अहम रुप में देखा जा रहा है।
असंगठित कामगारों को इसके माध्यम सामाजिक सुरक्षा मिलने के साथ ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की सरकार की योजना है। इसके लिए अब तक राष्ट्रीय स्तर पर बनाए गए ई-श्रम पोर्टल में 24.51 करोड़ कामगारों का डाटाबेस तैयार किया जा चुका है। अभी सरकार के अनुमान के मुताबिक 13.50 करोड़ और श्रमिकों का डाटा तैयार किया जाना है। इसमें सर्वाधिक कामगार उत्तरप्रदेश में हैं, जबकि मध्यप्रदेश इस मामले में पांचवें स्थान पर है।
लगभग हर बड़े राज्य में सर्वाधिक मजदूर कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं। इसके बाद घरेलू कामगारों का नंबर आता है। इस मामले में पश्चिम बंगाल अलग है। वहां पर निर्माण क्षेत्र में मजदूरों की संख्या दूसरे नंबर पर है। पंजीयन में ई-श्रम पोर्टल में कामगार श्रमिक का नाम, व्यवसाय, पता, शैक्षिक योग्यता, कौशल स्वरूप और परिवार इत्यादि का विवरण दर्ज किया जा रहा है। इसमें सन्निर्माण कामगार, प्रवासी, प्लेटफॉर्म, फेरी वाले, घरेलू और कृषि कामगारों की पूरी जानकारी दर्ज की जा रही है। इस जानकारी के पंजीकृत होने के बाद किसी भी श्रमिक की पूरी जानकारी एक क्लिक में सामने आ जाती है।
किस क्षेत्र में क्या है कामगारों की स्थिति
ई-श्रम पोर्टल में अब तक मप्र के दर्ज 1.12 करोड़ कामगारों में सबसे ज्यादा 62.97 लाख श्रमिक कृषि क्षेत्र पर आधारित हैं। इसके निर्माण क्षेत्र में 10.33 लाख से अधिक हैं। राज्य में पर्यटन और आतिथ्य प्रबंधन में काफी गुंजाइश है। इस क्षेत्र में महज 1.23 लाख लोग ही रोजगार से जुड़े हैं, जबकि उप्र में 12.53 लाख हैं। इसमें पंजीयन होने से श्रमिकों को बीमा, पेंशन जैसी कई योजनाओं का फायदा मिल सकेगा। इनमें श्रम योगी मान-धन पेंशन योजना, स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजनाएं, जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना शामिल है।
देश के कामगार श्रमिक वाले टॉप 5 राज्य
बीते हफ्ते तक जो आंकड़े सामने आए हैं , उसके मुताबिक उत्तरप्रदेश के 8,12,81,999, बिहार के 2,63,06208, पश्चिम बंगाल के 2,48,63,686, ओडिशा के 1,13,51,000 और मध्यप्रदेश 1,2,02,967 श्रमिकों को पंजीकृत किया जा चुका है। इनमें सर्वाधिक 45 फीसदी से अधिक संख्या अन्य पिछड़ा वर्ग की है तो सबसे कम करीब साढ़े आठ फीसदी संख्या अनुसूचित जनजाति की है। इसी तरह से सामान्य वर्ग के करीब 25 फीसदी तो अनुसूचित जाति की संख्या 21 फीसदी के आसपास बताई जा रही है।