यह आम बजट समावेशी, सर्वस्पर्शी और जन-जन का बजट

  • मयंक विश्नोई
बजट समावेशी

आम धारणा के विपरीत व चुनावी राजनीति से दूर रहकर वित्त मंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था को विकास की राहों पर लाने वाला बजट पेश किया। अर्थव्यवस्था में अपनी पकड़ बनाये रखने हेतु बाजार को आकर्षित करने वाला और स्टार्टअप्स को मजबूती प्रदान करने वाला है इस बार का बजट।
वर्चुअल करेंसी पर संशय को साफ करते हुये 30 प्रतिशत के कर दायरे मे लाकर एक नये आय का स्रोत सृजित हुआ साथ ही रिजर्व बैंक द्वारा अपना डिजिटल करेंसी लाने की बात कर युवा निवेषकों को आकर्षित करने का प्रयास किया गया। लगभग 40 लाख करोड़ के इस बजट मे कृषि हेतु 2.7 लाख करोड़ और 2 लाख करोड़ मझोले और छोटे उद्योगों के लिए आवंटित कर छोटे किसानो और  उद्यमियों ंंको राहत देने का प्रयास किया गया है। रोजगार का व्यापक सृजन सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं के जरिये गरीबों को सशक्त बनाने का भी प्रयास शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास  मदों मे बढ़ोत्तरी कर दी गई है।  
पीएम आवास योजना के तहत 80 लाख घर बनाए जाएंगे। इसके लिए वित्त वर्ष 2022-23 में 48 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए जाएंगे। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस योजना को अंजाम तक पहुंचाएंगी। प्रधानमंत्री गति शक्ति के माध्यम से रेल, रोड, हवाई मार्ग, जल परिवहन, आदि पर भी खर्च करने की बात कही  गयी जिससे रोजगार का व्यापक सृजन होगा। अगले 100 साल के लिए ढांचागत विकास की रूपरेखा पर काम किया जा रहा है। एक साल में 25 हजार किमी हाइवे बनेगा। हाइवे विस्तार पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च किण् जाएंगे। वित्त वर्ष 2022-23 में 8 नए रोपवे का आॅर्डर दिया जाएगा। रोपवे आॅर्डर पीपीपी मॉडल पर दिया जाएगा। शहरीकरण के बढ़ते आयाम के मद्देनजर 50 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में निवास करेगी और इस जनाकंकीय परिवर्तन के मद्देनजर छोटे शहरों मे उन्नत अवस्थापना सुविधाएं बढ़ेगी और साथ ही इस बजट मे गांवो मे भी शहरी सुविधाएं मुहैया कराने की योजना दिखती है। कोविड काल मे ट्रेवेल , टूरिज्म और मे हास्पिटल्टी क्षेत्रों के हुये नुकसान की भरपाई 5 लाख करोड़ के कवर की योजना की घोषणा राहत देने वाली है निवेषकों को आकर्षित करने के लिए और नीजी क्षेत्रों के सहयोग को राष्ट्रीय योजनाओं में सम्मिलित करने की अनेक प्रावधान बजट मे दिखे। व्यय के मदों के मद्देनजर आय के सृजन पर यह बजट खामोश है इसलिए घाटे के बढ?े का भी खतरा बना रहेगा। 6500 करोड़ के विनिवेश का लक्ष्य निर्धारित है पर व्यवहारिक नही दिखता। आयकर मे किसी भी प्रकार के परिवर्तन न होने से मध्यम वर्ग में निराशा हो सकती है और इससे मांग प्रभावित होने का खतरा है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में यह बजट विकास को गति देने और रोजगार को सृजित करने के मिशन के साथ प्रस्तुत किया गया है।
आईटीआर भरने में गड़बड़ी हुई तो सुधार का मौका
आयकर विभाग को पता चलता है कि कोई टैक्स पेयर ने आईटीआर नहीं भरा है तो फिर लंबी प्रक्रिया शुरू होती है। इस झंझट से मुक्ति देने के लिए टैक्स भरने में चूक पर सुधार का मौका दिया जाएगा। अब आईटीआर भरने में गड़बड़ी हुई तो दो साल तक सुधार करने का मौका।
लेखक पीपुल्स ग्रुप के डायरेक्टर हैं।

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