
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में का पीएचई विभाग आम लोगों को भारी पड़ रहा है। सरकार हो या फिर आमजन इस विभाग के अफसरों से सभी परेशान हैं। हालत यह है कि पहले से ही लोग पीने के पानी के लिए परेशान हैं एसे में अब तो विभाग के अफसरों व कर्मचारियों ने मिलकर नल जल योजनाओं के नाम पर ग्रामीण इलाकों में पेयजल के प्रमुख स्रोत हैंडपंपो का रखरखाव तक बंद कर दिया है। इसकी वजह से सर्दी के इस मौसम में भी लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। विभाग के अफसरों ने नलजल योजनाओं के नाम पर अघोषित रुप से हैंडपंपों की नियमित जांच और उनके रखरखाव का काम अघोषित तौर पर अपने ही स्तर पर बंद कर दिया है। इसकी वजह से अब लोगों को नलों के खराब होने, तकनीकी गड़बड़ियों, दूषित पानी आने और उनके रखरखाव से जुड़ी शिकायतों को लेकर कार्यालयों के चक्कर काटना पड़ रहे हैं। इस तरह की अभी हर रोज करीब तीन सौ शिकायतें मिल रही हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में करीब साढ़े पांच लाख हैंडपंप हैं। इनके जलस्तर में कमी, सुधार नहीं होने और अन्य परेशानियों की वजह से उनमें से करीब 9 हजार हैंडपंप बंद पड़े हुए हैं। खास बात यह है कि पीएचई के इंजीनियरों द्वारा इन्हें खराब घोषित किया जा चुका है। पांच लाख में से हर दिन हजारों हैंडपंप खराब रहते हैं, लेकिन अब नल से जल योजना आने के कारण विभाग इन हैंडपंप के रखरखाब पर ध्यान ही नहीं दे रहा है। विभाग का इन दिनों पूरा ध्यान 2024 तक एक करोड़ 22 लाख घरों में नल के जरिए पानी पहुंचाने पर हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश अभी शुरू ही नहीं हुई हुई हैं। विभाग की रिपोर्ट को माने तो मार्च 2021 के बाद से दिसंबर तक हैंडपंप के रखरखाव से जुड़े करीब एक लाख 14 हजार आवेदन आए हैं।
पुरानी नल जल योजनाएं अपेक्षित
प्रदेश की पुरानी नल जल योजनाएं भी अपेक्षित हैं। इन योजनाओं के तहत कहीं पाइपलाइन लीकेज है तो कहीं पाइप फूटने की समस्या आ रही है। कई जगह मोटर जलने के बाद उसके महीनों तक मोटर रिपेयर नहीं हो पा रही है। इससे यह योजना पूरी तरह से लडखड़ाने लगी है।