सरकार की एक योजना से लैंगिक अनुपात में आयी बड़ी कमी

लैंगिक अनुपात
  • लाड़ली लक्ष्मी योजना की वजह से बेटियों की संख्या में हुई 29 की वृद्धि

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना के बेहतर परिणाम आने शुरू हो गए हैं। अब न केवल बेटियां पढ़ रही हैं बल्कि उनकी संख्या मेंं भी वृद्धि हो रही है। यही वजह है कि अब लैंगिक अनुपात में भी कमी दर्ज होना शुरू हो गई है। इस साल अब तक के आंंकड़ों के हिसाब से प्रति हजार 29 बालिकाओं की वृद्धि देखी गई है। इसकी वजह से प्रदेश में एक हजार पुरुषों पर 927 महिलाएं होती थीं, जो अब बढ़कर 956 हो गई हैं। इसके बाद अब सरकार इस  संख्या को बराबरी पर लाना चाहती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का इस मामले में कहना है कि राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी को मनाया जाता  है, जबकि बेटियों के लिए हर दिन, हर पल हो सकता है। उन्हें उचित स्थान मिले, इसके लिए सरकार ने पूरे प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि बेटा-बेटी एक बराबर हैं। नारी केवल काम करने के लिए ही नहीं होती है, उन्हें भी जीने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जब तक बेटा-बेटी को बराबर नहीं माना जाएगा, तब  तक बेटी को आने से लोग रोकेंगे। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि बेटियों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
    मुख्यमंत्री ने एक साथ प्रदान की राशि
    मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के 10 हजार हितग्राहियों के खातों में एक करोड़ 70 लाख रुपए की राशि की छात्रवृत्ति के सिंगल क्लिक से अंतरित की। इसी प्रकार 550 बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत 22 लाख रुपए अंतरित किए। दरअसल,  शिव सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2007 को बालिका जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंग अनुपात में सुधार, बालिकाओं की शैक्षणिक स्तर तथा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार तथा उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के उद्देश्य से लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की गई थी।
    यह है योजना
    जिनके माता-पिता मध्य प्रदेश के मूल निवासी हों, आयकर दाता न हों। द्वितीय बालिका के प्रकरण में आवेदन करने से पूर्व माता या पिता ने परिवार नियोजन अपना लिया हो। योजनांर्तगत बालिका के नाम से, पंजीकरण के समय से लगातार पांच वर्षों तक रुपए 6-6 हजार मध्यप्रदेश लाड़ली लक्ष्मी योजना निधि में जमा किये जाएंगे अर्थात् कुल राशि रुपए 30000 बालिका के नाम से जमा किये जाऐगें। बालिका के कक्षा 6 में प्रवेश लेने पर रू.2000, कक्षा 9 वीं में प्रवेश लेने पर 4000, कक्षा 11 वीं में प्रवेश लेने पर 6000 तथा 12वीं कक्षा में प्रवेश लेने पर 6000 ई-पेमेंट के माध्यम से किया जाता है। अंतिम भुगतान रुपए 1 लाख बालिका की आयु 21 वर्ष होने पर तथा कक्षा 12 वीं परीक्षा में सम्मिलित होने पर भुगतान किए जाने का प्रावधान है, लेकिन इसमें शर्त यह है कि बालिका का विवाह 18 वर्ष की आयु के पूर्व न हुआ हो।

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