
- वन विभाग ने केंद्र सरकार को भेजा 996 करोड़ का प्लान
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के बिगड़े वन क्षेत्र हरे-भरे होंगे। वन विभाग सदाबहार पौधों का रोपण करा कर प्रदेश के बिगड़े जंगल में हरियाली बढ़ाने की कोशिश शुरू करने जा रहा है। इसके लिए सरकार ने एक प्लान बनाकर केंद्र सरकार को भेजा है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के बिगड़े वनों को सुधारने और वन्यप्राणियों के संरक्षण के साथ कई अन्य विकास कार्य कराने के लिए वन विभाग ने केंद्र सरकार को 996 करोड़ का एनुअल प्लान ऑपरेशन भेजा है। गौरतलब है कि मप्र के वन क्षेत्र में अवैध खनन, पेड़ों की कटाई और अक्रिमण लगातार बढ़ रहा है। उधर सरकार हर साल वनों की सुरक्षा और पौधारोपण पर अरबों रुपए खर्च कर रही है। अब सरकार ने नया प्लान बनाया है। यह प्लान मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक और इसमें लिए गए निर्णय के बाद तैयार किया गया है।
पिछले साल की अपेक्षा 225 करोड़ की बढ़ोत्तरी
जानकारी के अनुसार इस बार पिछले साल की अपेक्षा 225 करोड़ की बढ़ोत्तरी की गई है। वन विभाग ने वर्ष 2022-23 में बिगड़े वनों के सुधार पर मुख्यतौर पर फोकस किया है। इसमें 30 हजार हेक्टेयर में सुधार कार्य कराया जाएगा। पौधरोपण के अलावा अन्य कार्यों में 173 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इसी तरह वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए सौ करोड़ का प्रावधान किया गया है। वन्यप्राणियों के लिए घास आदि के लिए 10 करोड़ खर्च किए जाएंगे। नेशनल टाइगर रिजर्व के आसपास बसे गांवों के विस्थापन को लेकर विभाग की परेशानी कम नहीं हो रही है। अभी भी दर्जनों गांवों को अलग बसाने के लिए कैंपा फंड में 90 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अनुसंधान एवं विस्तार, अग्नि सुरक्षा, वनीकरण और पौधारोपण कार्य पर विशेष फोकस किया गया है।
अग्नि सुरक्षा उपकरण भी क्रय किए जाएंगे
नए प्लान के अनुसार कैंपा की राशि से अग्नि सुरक्षा उपकरण भी क्रय किए जा सकते हैं। राज्यों में क्षतिपूरक वनीकरण के लिए एकत्र धनराशि का राज्यों द्वारा अल्प उपयोग किए जाने संबंधी शुरुआती अनुभव के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2001 में क्षतिपूरक वनीकरण कोष एवं क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण की स्थापना करने के आदेश दिए थे। इसके बाद वर्ष 2006 में अलग बैंक खाते खोले गए और क्षतिपूरक लेवी उनमें जमा कराई गई तथा क्षतिपूरक वनीकरण कोष के प्रबंधन के लिए तदर्थ कैंपा की स्थापना की गई। केंद्र सरकार से कैंपा फंड लेने के लिए वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की कई दौर की बैठकें हुईं। मुख्यसचिव ने इस प्लान की जानकारी ली थी। इसके बाद पूरा प्रस्ताव दिल्ली भेजने की सहमति दी गई।