
-लीडरबेस कांग्रेस का संगठन की मजबूती पर फोकस
-प्रदेश में अभी 25 लाख के आसपास है कांग्रेस के सदस्यों की संख्या
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। वक्त के साथ कांग्रेस भी अपने अंदर बदलाव ला रही है, ताकि वह विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा से जोरदार तरीके से मुकाबला कर सके। इसके लिए लीडर बेस कही जाने वाली कांग्रेस ने कैडर बेस भाजपा से प्रेरणा लेकर उसकी तर्ज पर अपने संगठन को मजबूत करने का फैसला किया है। पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने 30 मार्च तक पूरे प्रदेश में अपने सदस्यों की संख्या दोगुनी यानी 50 लाख करने का टारगेट तय किया है।
इसके अलावा मंडलम से लेकर सेक्टर और बूथ तक में नियुक्तियों का भी फैसला किया है। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में प्रदेश में भाजपा ने पूरी ताकत से टकराने के लिए कांग्रेस ने अब अपने संगठन को नए सिरे से गढ़ने का फैसला कर लिया है। कांग्रेस ने इसके लिए सदस्यता अभियान शुरू किया है और इसकी मानीटरिंग खुद पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कर रहे हैं। पार्टी ने तय किया है कि वह मार्च तक पूरे प्रदेश में अपने 50 लाख सदस्य बनाएगी। प्रदेश में अभी उसकी सदस्य संख्या 25 लाख के आसपास है।
आंदोलनों को नहीं मिल रही धार
प्रदेश कांग्रेस में एक कमी यह देखने को मिली है कि वह विपक्ष के तौर पर निष्क्रिय बनी हुई है। इससे सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ आंदोलनों को धार नहीं मिल पा रही है। पार्टी हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस को पूरे प्रदेश में बढ़ती महंगाई, किसानों को होने वाली परेशानियों समेत अन्य मुद्दों को लेकर जनजागरण अभियान चलाना था। यह अभियान शुरू तो जोर शोर से हुआ था पर कुछ जिलों में ही सिमट कर रह गया। पार्टी के बड़े नेताओं की इसमें उतनी दिलचस्पी नहीं रही। लिहाजा केन्द्र और प्रदेश सरकार को उसे जिस तरह घेरना था वह नहीं घेर पाई। यह अभियान फिलहाल ठप सा होता जा रहा है।
डेढ़ दशक में कम हुई है सदस्य संख्या
प्रदेश में चार दशकों से अधिक समय तक निर्विघ्न और निष्कंटक राज करने वाली इस पार्टी की सदस्य संख्या पिछले कुछ वर्षों में तेजी से कम हुई है। खुद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ कई बार बैठकों में इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में भाजपा का संगठन मजबूत है और अगर हमें उससे लड़ना है तो सबसे पहले संगठन को मजबूत करना होगा। लिहाजा संगठन को विस्तार देने के काम को वे खुद देख रहे हैं। वहीं पार्टी हाईकमान से मिले तीन अभियानों के निर्देश को भी प्रदेश में चलाने का काम किया जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों की माने तो प्रदेश में अभी उसकी सदस्य संख्या 25 लाख के आसपास है। पार्टी इस साल मार्च तक यह संख्या बढ़ाकर 50 लाख के पार करना चाहती है। इसके लिए पूर्व सीएम ने टाइम लिमिट भी 30 मार्च की दे रखी है। कांग्रेस का दावा है कि जिलों में उसका सदस्यता अभियान चल रहा है।
सक्रिय कार्यकर्ताओं को मिलेगी जिम्मेदारी
सदस्य संख्या बढ़ाने के साथ ही कांग्रेस पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने जा रही है। इसके लिए कांग्रेस अपने संगठन को मंडलम और सेक्टर से लेकर बूथ तक मजबूत करना चाहती है। मंडलम प्रभारियों के वह सम्मेलन भी प्रदेश कार्यालय में कर चुकी है। पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले जिलों से लेकर प्रदेश में हुई नियुक्तियों की भी समीक्षा करने वाली है। गौरतलब है कि तीन साल पहले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने प्रदेश से लेकर जिलों में थोकबंद नियुक्तियां कर दी थीं। प्रदेशस्तर पर तो हाल यह है कि कई पदाधिकारी दो-दो पदों पर काबिज हैं वे महामंत्री के साथ प्रवक्ता पद का भी दायित्व संभाल रहे हैं। इसके इतर प्रवक्ताओं की भी लंबी फौज है। बार-बार इसकी समीक्षा की मांग पार्टी की बैठकों में भी उठती रही है। अब कमलनाथ के दिशा निर्देश पर सक्रिय कार्यकर्ताओं की सूची बनाई जा रही है।
पार्टी में खींचतान कम नहीं हो रही
प्रदेश में जहां भाजपा के नेता एक सुर में बोलते हैं, वहीं कांग्रेस में अपनी डफली अपना राग वाली स्थिति है। प्रदेश में लगातार सत्ता से दूर रहने के बावजूद भी पार्टी गुटबाजी से पूरी तरह उबर नहीं पा रही है। अरुण यादव समर्थकों को खरगौन, खंडवा में पदों से हटाने के बाद अब अलीराजपुर में विधानसभा चुनाव हारे महेश पटेल ने पार्टी के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं भूरिया भी महेश के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बोल रहे हैं। फिलहाल पार्टी ने महेश पटेल से जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा ले लिया है पर मामला फिलहाल थमता नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे कई मामले हैं तो कांग्रेस को लगातार कमजोर करते जा रहे हैं।