अब डेवलपर सरकारी जमीन का कर सकता है मनमाना उपयोग

मप्र हाउसिंग बोर्ड

-मप्र हाउसिंग बोर्ड पुनर्घनत्वीकरण नीति-2016 में करने जा रहा संशोधन
-बोर्ड सुपरविजन की भूमिका में रहेगा और बदले में कुल लागत का 6 प्रतिशत पर्यवेक्षण शुल्क लेगा
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अब डेवलपर मप्र हाउसिंग बोर्ड के प्रोजेक्ट के लिए मिली फ्री होल्ड जमीनों का मनमाना उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए  मप्र हाउसिंग बोर्ड अपने पुनर्घनत्वीकरण नीति- 2016 (रि-डेंसीफिकेशन) में संशोधन करने जा रहा है। इससे किसी डेवलपर को प्रोजेक्ट पूरा करने के बाद मालिकाना हक में मिली जमीन को बेचने या फिर व्यवसायिक निर्माण करने की छूट रहेगी। अभी तक फ्री होल्ड की जमीन में निर्माण ही करना होता था।  गौरतलब है कि वित्तीय संकट को देखते हुए सरकारी विभागों को अब स्वयं आय के स्त्रोत बढ़ाने पड़ रहे हैं। इसी क्रम में मप्र हाउसिंग बोर्ड अपने रि-डेंसीफिकेशन में संशोधन करने जा रहा है। संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद व्यवस्था होगी कि हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से पुनर्घनत्वीकरण योजना के अन्तर्गत विभिन्न जिलों में नए प्रोजेक्ट लिए जाएंगे। प्रोजेक्ट को पूरा कराने में बोर्ड सुपरविजन की भूमिका में रहेगा और बदले में कुल लागत का 6 प्रतिशत पर्यवेक्षण शुल्क लेगा। शुल्क की राशि से विकास कार्य आगे बढ़ेंगे।
सभी जिलों के लिए हायर की जा रही एजेंसी
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है जल्द रि-डेंसीफिकेशन नीति में संशोधन प्रस्ताव लाएंगे। सभी जिलों के लिए एजेंसी हायर कर रहे हैं। देखेंगे कि रि-डेन्सीफिकेशन के माध्यम से क्या काम कर सकते हैं। उससे जो पैसा आएगा, वह विकास कार्य में खर्च करेंगे। वहीं आयुक्त मप्र गृह निर्माण भरत यादव का कहना है कि मंडल द्वारा पिछले 1 वर्ष में 1,900 करोड़ 87 लाख रुपए की 23 रि-डेंसीफिकेशन की योजनाएं विभिन्न शहरों में स्वीकृत की गई हैं। डेवलपर को पुनर्घनत्वीकरण के दौरान फ्रीहोल्ड में मिली जमीन को बेचने का अधिकार देने संबंधी संशोधन प्रस्ताव लाया जा रहा है।
बैंकों की लापरवाही उजागर
एसएलबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2021 तक बांटे गए लोन की स्थिति बैंकों  की लापरवाही को उजागर करती है। मुद्रा योजना में 2019-20 में भी स्थिति बेहतर नहीं रही। वर्ष 2015 से लेकर अब तक 35,57,948 को 18,578 करोड़ का लोन बांटा गया है, जो कि टारगेट के मान से काफी कम माना जा रहा है। प्रदेश में जहां 2019-20 में 18.14 लाख युवाओं को 11,906 करोड़ का टारगेट रखा गया था, जबकि 13.75 लाख युवाओं को 9,332 करोड़ लोन बांटा गया। वहीं 2020-21 में 17.26 लाख युवाओं को 10,546 करोड़ लोन का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 14.28 लाख युवाओं को 8,905 करोड़ बांटा गया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के तहत 18 से 40 साल की आयु के युवा उद्यमियों को सूक्ष्म और लघु उद्योग स्थापित करने के लिए 50 हजार से लेकर 10 लाख तक का लोन देने का प्रावधान है। इसके तहत विनिर्माण इकाई, व्यापार एवं सेवा के माध्यम से आय सृजन में लगे गैर कृषि से जुड़े छोटे और लघु उद्योग स्थापित आय के साधन बढ़ाए जा सकते हैं।
सभी जिले में लगाए जाएंगे शिविर
मुद्रा लोन के लिए अब प्रदेश के सभी जिलों में शिविर लगाए जाएंगे। विभिन्न बैंकों ने शिशु, किशोर और तरुण योजना में अभी तक 11 हजार 54 लोगों को 53 करोड़ 10 लाख रुपए का ही लोन बांटा है, जबकि इंदौर जिले में इससे दोगुना यानि 21 हजार 209 लोगों को 111.5 करोड़ का लोन दिया है। सबसे खराब स्थिति कृषि मंत्री के हरदा में है, यहां 958 लोगों को 5.10 करोड़, पन्ना में 913 लोगों को 5.70 करोड़, अशोकनगर में 696 लोगों को 6.80 करोड़, निवाड़ी में 550 लोगों को 3.10 करोड़, अलीराजपुर में 524 को 2.10 करोड तथा सिंगरौली में 508 को 5.40 करोड़ का लोन दिया गया है। आयुक्त संस्थागत वित्त भास्कर लाक्षाकार का कहना है कि  मुद्रा योजना के तहत अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने जिलों में बैंकों के साथ शिविर लगाए जाएंगे। इसके लिए आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे।

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