
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा एक साल पहले अभियान चलाकर कई ऐसे मंदिरों की खोज की गई थी जो दूसरे प्रदेशों में हैं , लेकिन उनका अधिकार मप्र के पास है।
इसके लिए उस समय प्रदेश के अध्यात्म विभाग द्वारा एक अभियान शुरू किया गया था, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि विभाग से उसके प्रशासनिक मुखिया के जाते ही इस अभियान को पूरी तरह से भुला दिया गया है। अब हालात यह है कि विभाग के कई माह पहले नए मुखिया बनाए गए संजीव झा को इस अभियान की कोई जानकारी तक नही है। इसकी वजह से यह अभिान अब पूरी तरह से दम तोड़ चुका है। दरअसल देश के अन्य प्रांतो में ऐसे कई मठ मंदिर हैं जिनका अधिपत्य और उसकी संपत्ति पर आज भी प्रदेश का अधिकार है , लेकिन पता नहीं होने की वजह से उस पर या तो कब्जे हो गए हैं या फिर उनका दुरुपयोग हो रहा है। एक साल पहले जब विभाग की कमान प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव के पास थी , जब उनके द्वारा इनकी तलाश के लिए एक अभियान शुरू किया गया था।
इसके तहत उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में प्रदेश के अधिकार वाले मंदिरों की तलाश की मुहिम छेड़ी गई थी। उनके समय में मध्य प्रदेश की विभिन्न रियासतों की संपत्ति के तौर पर पांच राज्यों में 84 मंदिरों की तलाश कर ली गई थी। इनमें से रतलाम स्टेट, दतिया स्टेट, छतरपुर स्टेट (आजादी से पहले की स्टेट) के तीन मंदिर वृंदावन में मिले थे , जिनका कब्जा भी संभाग आयुक्त ग्वालियर के दल ने ले लिया था।
इसके बाद श्रीवास्तव सेवानिवृत हो गए। उनके जाने के बाद यह अभियान ही विभाग द्वारा भुला दिया गया। दरअसल आजादी के पहले प्रदेश में अलग-अलग रियासत थीं। इनमें से कुछ रियासतों ने अन्य राज्यों में धार्मिक स्थलों पर मंदिर बनवाकर उनकी नियमित पूजा की व्यवस्था के लिए जमीन दान की थीं। आजादी के बाद मंदिर और जमीन की पहचान मध्य प्रदेश की संपत्ति के रूप में होनी थी, पर स्थानीय स्तर पर मंदिर में पूजा करने वाले परिवारों और कहीं-कहीं दबंगों ने मंदिरों और उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया। मंदिरों की दक्षिणा का इस्तेमाल भी इन लोगों द्वारा खुद के लिए किया जा रहा है।
82 मंदिरों की कर ली गई थी खोज
बीते साल 2020 में आध्यात्म विभाग ने ऐसे मंदिरों की खोज शुरू की थी। इसके बाद 37 मंदिर महाराष्ट्र, 12 उत्तर प्रदेश, 33 राजस्थान और एक-एक मंदिर छत्तीसगढ़ एवं तमिलनाडु में खोज लिया गया था। इनमें से वृंदावन में स्थित रतलाम स्टेट के श्रीकुंजबिहारी मंदिर, छतरपुर स्टेट के श्रीसामंत बिहारीजी मंदिर और दतिया स्टेट के श्रीहीरामोहन कुंज मंदिर और संपत्ति बाग को अतिक्रमण मुक्त कराया गया। इनकी पूरी जानकारी और उसका रिकार्ड भी तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों को दिया गया था। अब यह अधिकारी इससे ही इन्कार कर रहे हैं कि दूसरे राज्यों में मध्य प्रदेश के अधिकार के मंदिर और संपत्ति भी है। उस समय वृंदावन के तीन मंदिरों का आधिपत्य लेने के बाद अध्यात्म विभाग ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में स्थित मंदिरों का आधिपत्य लेने के लिए दल गठित किया था। जिसे मौके पर जाकर स्थिति का आंकलन करना था। जिसके बाद आधिपत्य की कार्रवाई शुरू होनी थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब तो विभाग ने इस अभियान को ही भुला दिया और दल का भी अता पता नहीं है।