
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कहते हैं कि ठोकर खाने के बाद आदमी संम्हल जाता है, लेकिन इस कहावत को पूरी तरह से मप्र कांग्रेस गलत साबित करने में लगी हुई है। दरअसल इसकी वजह है प्रदेश की सत्ता में डेढ़ दशक बाद लौटी और फिर चंद माह में ही जिन कारणों से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई वैसे ही हालात अब फिर से बनते दिखना शुरू हो गए हैं। हालात यह हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की युवा और उम्रदराज हो चुकी पीढ़ी के बीच किसी भी तरह की पटरी नही बैठ रही है। इन नेताओं के बीच पहले भी छत्तीस का आंकड़ा था, लेकिन इतना नहीं था कि खुलकर नेता आमने -सामने आ जाएं, लेकिन बीते कुछ माह से तो हालात पूरी तरह ही बदल गए हैं। इनमें वे युवा नेता खासतौर पर शामिल हैं, तो वरिष्ठ होने के साथ ही अपने-अपने इलाकों में न केवल बेहद मजबूत पकड़ रखते हैं, बल्कि संगठन में भी अपनी क्षमता दिखा चुके हैं। इन युवाओं में पिछड़े वर्ग के बड़े नेता अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ,आदिवासी समाज से आने वाले उमंग सिंघार और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह के नाम तक शामिल बताए जा रहे हैं। हाल ही में जयवर्धन सिंह को लेकर उनके चाचा लक्ष्मण सिंह कह चुके हैं कि वे मेहनत कर रहे हैं और उनमें नेतृत्व करने की क्षमता भी है। इससे जयवर्धन की पीसीसी अध्यक्ष की दावेदारी से जोड़ी जाने लगी है।
दरअसल इन दिनों उम्रदराज हो चुके कमलनाथ के पास प्रदेश में कांग्रेस की कमान तो है ही साथ ही उनके पास नेता प्रतिपक्ष का भी दायित्व है। इसके पहले वे पीसीसी प्रमुख रहने के साथ ही मुख्यमंत्री का पद भी सम्हाल चुके हैं। उनके द्वारा एक साथ दो-दो प्रमुख पद सम्हालने से अन्य नेताओं के साथ ही युवा नेताओं को आगे आने का मौका नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से यह नेता उन्हें अपनी राह का रोड़ा मानकर उनके विरोधी होते जा रहे हैं। पीसीसी अध्यक्ष होने की वजह से नाथ ने मीडिया से लेकर पार्टी के सभी महत्वपूर्ण कामकाज का जिम्मा अपने कुछ खास लोगों को ही दे रखा है, जिसकी वजह युवा नेताओं और उनके समर्थकों को संगठन में भी काम करने का मौका नही मिल पा रहा है। प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। इसकी वजह है पार्टी हाईकमान ने नेता प्रतिपक्ष एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से साफ कह दिया है कि पार्टी के एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत का अनुसरण करते हुए किसी एक पद को स्वत: छोड़ दे।
अरुण और यादव के बीच बोलचाल भी बंद
इस मामले में खंडवा लोकसभा के उपचुनाव ने आग में घी डालने का काम कर दिया। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि अब तो यादव व नाथ के बीच बातचीत तक बंद हो चुकी है। उपचुनाव के बाद से अब तक इन दोनों नेताओं के बीच बात तक नहीं हुई है। खंडवा यह संसदीय सीट पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के प्रभाववली मानी जाती है। उनकी कमलनाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से पटरी नहीं बैठती है , जिसकी वजह से ही कहा जा रहा है कि लंबे समय से उप चुनाव की तैयारी करने के बाद भी यादव को चुनावी घोषणा होते ही चुनाव न लड?े की घोषणा करनी पड़ी। उनकी जगह कांग्रेस ने दिग्विजय समर्थक नेता राजनारायण पूरनी को टिकट थमा कर मैदान में उतार दिया गया। यह बात अलग है कि पूरनी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से अरुण की नाथ और दिग्विजय के बीच के खाई लगातार बढ़ती ही गई। हालात यह बन गए कि अरुण को पार्टी की पीसीसी में होने वाली बैठकों में तक बुलाना बंद कर दिया गया। हालात यह हैं कि खंडवा लोकसभा सीट पर पार्टी की हार को पूरा ठीकरा यादव पर फोड़े की तैयारी कर ली गई है। इसकी शुरूआत उनके चार समर्थक जिलाध्यक्षों को हटाकमर कर दी गई है। अब अरुण यादव भी अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं। इसकी वजह से ही वे खलघाट में 23 दिसंबर को बड़ी रैली कर रहे हैं, जिससे नाथ और सिंधिया समर्थकों को पूरी तरह से दूर रखा गया है।
अजय सिंह भी हाशिए पर
विंध्य इलाके के सर्वाधिक प्रभावशाली कांग्रेस नेता अजय सिंह भी इन दिनों पार्टी में हांसिए पर हैं। उन्हें अब भी संगठन में किसी बड़ी जिम्मेदारी का इंतजार है। यह बात अलग है कि उनके चुनावी प्रबंधन की वजह से हाल ही में कांग्रेस ने भाजपा की पंरपरागत रैंगाव सीट छीनी है। पार्टी की सरकार के समय भी उन्हें सत्ता की भागीदारी से दूर रखा गया। सत्ता व संगठन में सिंह को बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिलने से उनके समर्थक भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। वे पूर्व में कई बार मंत्री और नेता प्रतिपक्ष तक का दायित्व निभा चुके हैं।
उमंग का ट्वीट के मायने
प्रदेश में तमाम झंझावातों से जूझ रही कांग्रेस की राजनीति को युवा आदिवासी विधायक उमंग सिंघर ने अपने एक ट्वीट से बदलाव की नई बयार बहा दी है। उन्होंने ट्वीट में हिंदी शायरी लिखकर प्रदेश में नेतृत्व बदलने की मांग कर डाली है। उन्होंने लिखा कि इमारत वही टिकती है, जिनकी नींव पक्की है। युवा नेतृत्व के हाथ में देश की तरक्की है। हालांकि उन्होंने यह ट्वीट पंचायत चुनाव के मद्देनजर किया है। इसमें लिखा है कि अपने-अपने गांव के वरिष्ठ जनों के मार्गदर्शन में प्रदेश के युवा अपने गांव के विकास की नींव रखें। इसके बाद शायरी में लिखा है कि जिनकी उम्र आराम की है उनको आराम दीजिए, गांव को इस बार नई सोच नया आयाम दीजिए, बदल कर रख दे जो पंचायत की हर तस्वीर, ऐसे युवा के हाथ पंचायत की कमान दीजिए।
पहले भी उठ चुकी है मांग
बीते साल नवम्बर में एआईसीसी के सदस्य हरपाल ठाकुर ने नेतृत्व परिवर्तन की मांग करते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला था, जिसमें वे कह रहे थे कि मप्र में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी बड़े नेता लें। इसमें कहा गया था कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने भी स्वेच्छा से पद छोड़ दिया था। ऐसे में कमलनाथ और दिग्विजय को यह पहल करनी चाहिए। उन्होंने इसमें कहा था कि इन नेताओं की जगह युवाओं को मौका मिलना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस में कई युवा नेता हैं, जिन्हें अब नेतृत्व करना चाहिए। अगर ऐसा ही हाल रहा तो पार्टी और रसातल में जाएगी।