
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण का असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। अब इसी का प्रभाव आगामी बजट पर दिखेगा। संभावना जताई जा रही है कि आगामी बजट में सरकार कई विभागों के बजट पर कटौती करने की तैयारी चल रही है। गौरतलब है कि नए वित्तीय वर्ष के लिए राज्य सरकार में बजट पर माथापच्ची शुरू हो गई है। वित्त विभाग के अफसरों ने विभागवार चर्चा का सिलसिला शुरू किया है। इस दौरान विभागों से पूछा जा रहा है कि उन्हें खर्च के लिए कितना बजट चाहिए।
गौरतलब है कि कोरोना के कारण प्रदेश में पिछले दो साल से न तो भरपूर टैक्स संग्रहण हो पा रहा है और न ही केंद्र राज्य की पूरी हिस्सेदारी दे पा रहा है। इस कारण सरकार को हर महीने कर्ज लेना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि बजट में गैरजरूरी मदों की कटौती की जाए।
खर्चों में कटौती की तैयारी
जानकारी के अनुसार बजट को लेकर चल रही समीक्षा के दौरान वित्त विभाग के अफसरों ने विभागों को कह दिया गया है कि गैर जरूरी खर्चों के लिए बजट नहीं मिलेगा। वहीं यह भी तय है कि इस बजट में भी कोरोना संक्रमण का असर दिखेगा। खर्चों में कटौती की तैयारी है। सरकारी विभागों के लिए शुरू हुई मैराथन बैठकों के लिए वित्त विभाग ने अफसरों की जिम्मेदारी तय कर दी है। बैठकों की शुरूआत औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अध्यात्म, विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्धघुमक्कड़ जनजाति कल्याण, लोक सेवा प्रबंधन विभागों से हुई।
एक माह तक चलेगा मंथन
जानकारी के अनुसार बजट को अमलीजामा पहनाने के लिए कुल 54 विभागों की बैठकें होना है। यह बैठकें लगातार एक माह तक चलेंगीं। इसके बाद विभाग के सचिव और प्रमुख सचिवों के साथ चर्चा होगी। फिर मंत्री स्तर पर चर्चा और फिर मुख्यमंत्री की मोहर लगने के बाद कैबिनेट और फिर विधानसभा के बजट सत्र में तैयार बजट को पेश किया जाएगा। बजट चर्चा के पहले वित्त विभाग सभी विभागों से प्रस्ताव मंगा चुका है, उसी पर मंथन किया जा रहा है। विभागों से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि गैर जरूरी कार्यों के लिए बजट नहीं मिलेगा। यदि कोई योजना बंद है, या फिर केन्द्रीय योजना के लिए केन्द्र से राशि नहीं मिली है तो उसके लिए भी बजट नहीं दिया जाएगा।
कई योजनाओं को बंद करने की तैयारी
बजट से पहले प्रदेश सरकार कई योजनाओं को बंद करने की तैयारी कर रही है। राज्य के खजाने की खराब माली हालत के चलते सरकार का प्रयास खर्चे कम करने को लेकर है। इसलिए स्थापना व्यय कम करने के तरीके भी खोजे जा रहे हैं। पेट्रोल, डीजल, दफ्तरों की साफ सफाई, सुरक्षा, परिवहन सहित अन्य खर्चों के लिए 5 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है। वहीं वेतन मद में 3 प्रतिशत, महंगाई भत्ता में 32 प्रतिशत का प्रस्ताव हो सकता है।