
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। खाद्य सुरक्षा विभाग अपनी कार्यशैली को लेकर हमेशा विवादों में रहता है। अगर मामला शराब से जुड़ा हो तो फिर यह विभाग पूरी तरह मानव जीवन को खतरे से बचाने की जगह शराब व्यवसायियों के साथ खड़ा हो जाता है। यही वजह है कि विभाग शराब दुकानों से सेंपल लेने में कोई रुचि नहीं लेता है। अगर बेहद दबाव बने तो भी विभाग के अफसर उसमें भी खेल करने का मौका नहीं छोड़ते हैं। हालत यह है कि चार माह पहले जो नमूने जांच के लिए लिए गए थे, उनकी रिपोर्ट अब तक नहीं आयी है। अब एक बार फिर दबाव बना तो चार माह बाद खाद्य विभाग के अफसरों ने भोपाल की शराब दुकानों से आखिरकार शराब के सैंपल लेने की कार्रवाई शुरू की तो पहले ही दिन इस पर सवाल खड़े होना शुरू हो गए। दरअसल, अधिकारियों ने बीते रोज चार शराब दुकानों से उन ब्रांड्स के सैंपल ही नहीं लिए, जिनमें मिलावट की शिकायतें लगातार आ रहीं थी। यह सैंपल भी जब लिए गए हैं जब एफएसएसएआई ने एक माह पहले खाद्य सुरक्षा विभाग को शराब के सैंपल लेने के लिए निर्देश दिए थे। इसके बाद भी अधिकारी नमूने लेने से बच रहे थे। कलेक्टर अविनाश लवानिया और अभिहित अधिकारी संजय श्रीवास्तव की पहल पर आखिकार विभाग को सैंपलिंग शुरू करना ही पड़ी। इस मामले में खाद्य अधिकारी देवेंद्र दुबे ने पांच नंबर बस स्टॉप,पीएनटी चौराहा, डिपो चौराहा और नेहरू नगर की दुकानों से देशी व विदेशी शराब के पांच सैंपल लिए। इनमें गोवा, इम्पीरियल ब्लू, मैकडॉवल्स ब्रांड शामिल हैं। इस दौरान रॉयल स्टैग, ब्लेंडर्स प्राइड, आरसी ब्रांड में मिलावट की शिकायतें थीं , लेकिन इन शराब के ब्रांडो के किसी भी दुकान से सैंपल नहीं लेने से कार्रवाई ही विवादास्पद हो गई है। ऐसे में सैंपलिंग पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने रेगुलर ब्रांड के नमूने लिए हैं। इनको जांच के लिए राज्य स्तरीय लैब में भेजा जाएगा।
दो विभाग करते हैं सेंपलिंग का काम
सरकार के दो विभाग फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और आबकारी विभाग को शराब में मिलावट रोकने के लिए सैंपलिंग के अधिकार दिए गए हैं। लेकिन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की बात करें तो उसने 2019 से अभी तक पिछले तीन साल में सिर्फ भोपाल समेत प्रदेशभर में कुल 84 सैंपल शराब के लिए हैं। इसमें 59 सैंपल की जांच में पास मिले। जबकि 18 की रिपोर्ट फेल आई। अफसरों ने ये रिपोर्ट फाइल में कहीं दबाकर रखी है। राजधानी में 92 अंग्रेजी और देशी शराब की दुकानें संचालित हो रही हैं। लेकिन एक भी कारोबारी ने अब तक फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी आॅफ इंडिया (एफएसएसएआई) के नियमों के तहत फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से फूड लाइसेंस नहीं लिया है। यह ही स्थिति प्रदेश में शराब बेचने वाले कारोबारियों की भी है। ये लाइसेंस लेते नहीं और न ही फूड इंस्पेक्टर सैंपल लेते हैं। नकली एवं मिलावटी शराब की बिक्री न हो, इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने फूड सेफ्टी एक्ट में 2006 में बदलाव कर दिया था। इसे 2011 में लागू कर दिया गया। ये एक्ट लागू होने के बाद कई बार फूड डिपार्टमेंटों को शराब के सैंपल लेने के अधिकार दिए गए हैं। साथ ही शराब कारोबारियों को फूड लाइसेंस लेना जरूरी कर दिया गया है।
चार माह से है जांच रिपोर्ट का इंतजार
जुलाई में इंदौर में 5 लोगों की मौत मिलावटी शराब पीने से होने के बाद भोपाल में अगस्त में आबकारी विभाग की टीम ने शहर की 40 शराब दुकानों से 35 सैंपल लिए गए थे। इसमें एमडी, रॉयल स्टेग, रॉयल चैलेंज, ब्लेंडर्स ब्रांड के सैम्पल जांच के लिए भेजे गए थे। ये सैंपल सबसे पहले भोपाल में भदभदा रोड स्थित एफएसएल लैब में भेजा, लेकिन यहां पर जांच नहीं हो पाने की बात कहकर सैंपलों को लौटा दिया गया। इसके बाद इन सैंपलों को जांच के लिए इंदौर की एफएसएल लैब में भेजा गया है। लेकिन आलम ये है कि अब तक इन सैंपलों की जांच रिपोर्ट नहीं आ पाई है।