बा खबर असरदार/संतोष की कर्मठता

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम

बीएल संतोष

संतोष की कर्मठता
अपने काम और अपनी पार्टी के प्रति समर्पण कैसा होना चाहिए मप्र दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष सबको अहसास करा गए। संतोष ने जहां अपनी तीन दिनी यात्रा के दौरान मैराथन बैठकें की वहीं अंतिम दिन इंदौर के मैरिज गार्डन में आयोजित बुद्धिजीवियों के सम्मेलन में उनसे चर्चा में इतने मशगूल हो गए कि उन्हें अपनी फ्लाइट का ध्यान तक नहीं रहा। सवा दो घंटे तक वे सम्मेलन में रहे, लेकिन जब उन्हें बताया कि साढ़े 8 बजे उनकी फ्लाइट है तो बिना भोजन के ही एयरपोर्ट रवाना हो गए। बाद में भाजपा के नेता उनके काफिले के पीछे दौड़े और भोजन के पैकेट एयरपोर्ट पहुंचाए। संतोष तो दिल्ली चले गए, लेकिन भाजपा के प्रदेश मुख्यालय से लेकर प्रशासनिक वीथिका में इसकी खूब चर्चा हो रही है। यही नहीं अब भाजपा की बैठकों में संतोष की कर्मठता के उदाहरण देकर पदाधिकारियों और नेताओं को नसीहतें दी जा रही है। गौरतलब है कि संतोष ने जब राजधानी में मंत्रियों की बैठक बुलाई थी तो कई मंत्री देरी से पहुंचे थे, वहीं 5 आदिवासी मंत्री तो बैठक में आए ही नहीं।

तीसरी आंख सब कुछ देख रही
मशहूर शायर मिर्जा गालिब का ये शेर-हमको मालूम है जन्नत की हकीकत क्या है, लेकिन दिल को बहलाने को ये ख्याल अच्छा है..आपने सुना ही होगा। यह शेर शहर के उन जिम्मेदार अधिकारियों पर एकदम सटीक बैठ रहा है जो हरियाली और सुंदरता की जिम्मेदारी संभालते हैं। उन्हें पता है कि शहर में हरियाली और सुंदरता के दुश्मन कौन है। क्योंकि अफसरों की आंखें देखकर भी अनदेखी कर दें, लेकिन तीसरी आंख सब कुछ देख लेती है। लेकिन हैरानी की बात यह है की अफसर तीसरी आंख की देखी पर भी विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन पिछले दिनों एक ऐसी घटना घटी जिससे अफसर भी आहत हुए। दरअसल फूलों के प्रति दिवानगी ने शहर के एक संभ्रात परिवार की किरकिरी करा दी। सड़क किनारे फुटपाथ पर लगे फूलों को देखकर संभ्रात परिवार की पढ़ी-लिखी महिलाओं का मन ऐसा डोला कि किसी की परवाह किए बगैर कार से उतरी और फूलों के पौधों पर हाथ साफ कर दिया। उन्होंने ये भी नहीं सोचा कि राह से गुजरने वाले भले ही आंखें मूंदें हों या उनके कृत्य को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। लेकिन स्मार्ट हो रहे शहर में अब तीसरी आंख सब कुछ देख रही है। महिलाएं जब पौधे लेकर घर पहुंची तो उनके पीछे निगम का अमला भी पहुंच गया। लेकिन एक बड़े साहब का घर देखकर वे उल्टे पांव लौट आए।

खेत-खलिहान का भी होगा हिसाब-किताब
अब ब्यूरोक्रेट्स की संपत्ति पर सरकार की पैनी नजर है। कौन सा कर्मचारी, कहां से प्रॉपर्टी खरीद रहा है, उसके लिए पैसे कहां से जुटाए, ये सब जानकारी अपने विभाग को देनी होगी। ऐसा नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दरअसल कई विभागों में देखने को मिल रहा है कि अधिकारी यह सूचना देने से बच रहे हैं। वे न तो लेनदेन करने से पहले और न ही उसके बाद अपने विभाग को कुछ बताते हैं। जो कर्मचारी लेनदेन की पूर्व सूचना देते हैं, वह आधी-अधूरी होती है। केंद्र सरकार अब सभी विभागों में इस बात को लेकर सख्ती बरत रही है। सभी अधिकारी-कर्मचारी सीसीएस (कंडक्ट) रूल्स 1964 के अनुसार उक्त जानकारी देना सुनिश्चित करें। आचरण नियमों का उल्लंघन करने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की जा सकती है। कार्यालय लेखा प्रधान नियंत्रक द्वारा इसे लेकर एक पत्र जारी किया गया है। विभागों से कहा गया है कि लेनदेन से संबंधित जो फार्म संख्या-1 और 2 जारी किए गए हैं, उन्हें ठीक तरह से भरकर विभाग के पास जमा कराया जाए। वे फार्म निर्धारित प्रारूप में होने चाहिए। इनमें अचल संपत्ति व चल संपत्ति के लिए अलग-अलग फार्म हैं। भूखंड, फ्लैट आदि की बुकिंग करना भी लेनदेन माना जाता है, इसलिए यह जानकारी भी विभाग को देनी होगी। खेत-खलिहान की भी जानकारी देनी पड़ेगी। अगर जानकारी आधी-अधूरी और गलत मिली तो अफसर के खिलाफ कार्रवाई होगी। इस आदेश के बाद प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में अफसर गुणा-भाग लगाने में जुट गए हैं।

मंत्री के पीए की मनमानी
प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुशासन की अलख जगाए हुए हैं, लेकिन उनके मंत्री तथा मंत्रियों के करीबी उनकी मंशा पर पानी फेर रहे हैं। कई मंत्रियों के नाते-रिश्तेदारों ने तो बाकायदा काम कराने, ठेका दिलवाने, तबादला करवाने व रुकवाने की दुकान खोल रखी है। लेकिन एक मंत्री ऐसे हैं, जो खुद तो कमाई में जुटे हुए हैं, साथ ही अपने आसपास वालों को भी छूट दे चुके हैं। इन मंत्रीजी की पहचान प्रदेश में खाना-खजाना मंत्री के रूप में है। मंत्रीजी की शह पर इन दिनों उनके निज सचिव कमाई में इस कदर लिप्त हो गए हैं कि वे मंत्रीजी के क्षेत्र के लोगों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। आलम यह है कि आदिवासी समुदाय से आने वाले मंत्रीजी के निज सचिव हर काम के लिए दाम ले रहे हैं। काम हो या न हो वे लोगों से जबरदस्ती वसूली करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। इसका असर यह हो रहा है कि मंत्रीजी के क्षेत्र के लोग मंत्री से खफा तो हैं ही, साथ ही साथ इस बात के लिए भी तैयार हैं कि जिस दिन मंत्रीजी की कुर्सी जाएगी, उस दिन उनके निज सचिव की शामत आ जाएगी। अब देखना यह है कि वह दिन कब आता है। यहां बता दें की अभी हाल ही में मंत्री जी जातिगत विवाद के कारण चर्चा में रहे।

एसपी की कुर्सी पर नजर
हर आईएएस और आईपीएस की इच्छा होती है उसे किसी बड़े जिले की कमान मिले। इसके लिए अफसर निरंतर सक्रिय रहते हैं। इन दिनों प्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी संस्कारधानी जबलपुर का एसपी बनने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं। वर्तमान समय में राजधानी में पदस्थ साहब यहां से इसलिए विदाई चाहते हैं कि यहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने जा रही है। ऐसे में यहां उनका महत्व नहीं रह जाएगा। लेकिन उनकी जुगाड़ ऐसी है कि वह कहीं खेल न बिगाड़ दे। दरअसल, 2009 बैच के उक्त आईपीएस अधिकारी जोन के बड़े साहब के माध्यम से एसपी बनने की जुगाड़ लगा रहे हैं। बताया जाता है कि बड़े साहब ने उन्हें बताया है कि मैं जिस चैनल से यहां पहुंचा हूं, उसमें लक्ष्मी की कृपा बरसानी पड़ती है। अगर तुम्हें भी एसपी बनना है तो लक्ष्मी का दान करना होगा। बताया जाता है कि एसपी बनने के लिए उक्त अफसर ऐसा करने को तैयार हैं। वर्तमान समय में एक बटालियन में कमांडेंट के पद पर पदस्थ उक्त आईपीएस अधिकारी की लॉबिंग से पुलिस विभाग के मुखिया खासे नाराज हैं। क्योंकि प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में यह चर्चा जोरों पर चल रही है कि लक्ष्मी के सहारे वे एसपी बनने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इससे नाराज होकर पुलिस विभाग के मुखिया उक्त आईपीएस अधिकारी को अपने पास फटकने भी नहीं देते हैं। ऐसे में लगता है कि उक्त आईपीएस का संस्कारधानी का एसपी बनने का सपना पूरा नहीं होगा।

Related Articles