मंत्री और पीएस के बदलते ही मंदिरों को भूली सरकार

संस्कृति

-करीब एक साल से दूसरे राज्यों में स्थित मप्र के मंदिरों की तलाश बंद

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
। देश के विभिन्न राज्यों में स्थित मप्र के अधिकार वाले मंदिरों की तलाश और संरक्षण के लिए पूर्व संस्कृति मंत्री और आध्यात्म विभाग यशोधरा राजे सिंधिया और तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने अभियान शुरू किया था। मंत्री का विभाग बदलने के बाद भी मनोज श्रीवास्तव ने अभियान को जारी रखा और प्रदेश की विभिन्न रियासतों की संपत्ति के तौर पर पांच राज्यों में 84 मंदिर खोजे थे। लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद से मंदिरों की खोज को सरकार भूल गई है।
गौरतलब है कि पूर्व संस्कृति मंत्री और आध्यात्म विभाग यशोधरा राजे सिंधिया की पहल पर उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश के अधिकार वाले मंदिरों की तलाश की मुहिम तेजी से शुरू हुई थी। इस दौरान पांच राज्यों में 84 मंदिर खोजे गए थे। इनमें से रतलाम स्टेट, दतिया स्टेट, छतरपुर स्टेट (आजादी से पहले की स्टेट) के तीन मंदिर वृंदावन में हैं। संभाग आयुक्त ग्वालियर के दल ने इन मंदिरों का कब्जा भी लिया था, पर श्रीवास्तव के सेवानिवृत होते ही पूरी मुहिम ठंडी पड़ गई है। अब विभाग के प्रमुख सचिव संजीव झा को यह भी पता नहीं है कि कभी दूसरे राज्यों में मंदिरों की खोज के लिए कोई अभियान भी शुरू किया गया था।
रिकॉर्ड भी नहीं संभाल पाया विभाग
गौरतलब है कि वर्ष-2020 में आध्यात्म विभाग ने ऐसे मंदिरों की खोज शुरू की और 37 मंदिर महाराष्ट्र, 12 उत्तर प्रदेश, 33 राजस्थान और एक-एक मंदिर छत्तीसगढ़ एवं तमिलनाडु में खोज निकाले। इनमें से वृंदावन में स्थित रतलाम स्टेट के श्रीकुंजबिहारी मंदिर, छतरपुर स्टेट के श्रीसामंत बिहारीजी मंदिर और दतिया स्टेट के श्रीहीरामोहन कुंज मंदिर और संपत्ति बाग को अतिक्रमण मुक्त कराया। सूत्र बताते हैं कि सेवानिवृत्ति के समय आइएएस मनोज श्रीवास्तव ने ऐसे मंदिरों का रिकॉर्ड विभाग के तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों को सौंपा था, पर अब अधिकारी इससे ही इन्कार कर रहे हैं कि दूसरे राज्यों में मध्य प्रदेश के अधिकार के मंदिर और संपत्ति भी है।
दबंगों के कब्जे में कई मंदिर
जानकारी के अनुसार आजादी के पहले मध्य प्रदेश में अलग-अलग रियासत थीं। इनमें से कुछ रियासतों ने अन्य राज्यों में धार्मिक स्थलों पर मंदिर बनवाए हैं। उन मंदिरों में पूजा चलती रहे। इसके लिए जमीन दान की थी। आजादी के बाद मंदिर और जमीन की पहचान मध्य प्रदेश की संपत्ति के रूप में होनी थी, पर स्थानीय स्तर पर मंदिर में पूजा करने वाले परिवारों और कहीं-कहीं दबंगों ने मंदिरों और उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया। मंदिरों की दक्षिणा का इस्तेमाल भी ये ही लोग कर रहे हैं। वृंदावन के तीन मंदिरों का अधिपत्य लेने के बाद आध्यात्म विभाग ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में स्थित मंदिरों का आधिपत्य लेने के लिए दल गठित किया था। इस दल को मौके पर जाकर स्थिति का आंकलन करना था। इसके बाद अधिपत्य लेने की कार्रवाई शुरू होती, पर ऐसा नहीं हुआ। अधिकारी के बदलते ही मुहिम ठंडी पड़ी, तो दल का भी अस्तित्व समाप्त हो गया।

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