उप्र में चुनावी कमान संभालेंगे मप्र भाजपा के प्रबंधक

मप्र भाजपा के प्रबंधक
  • सीमावर्ती 50 विधानसभा सीटों पर पड़ा है मप्र का असर

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    202३ में उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता में बरकरार रखने के लिए मप्र के नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगे। इसलिए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष आज से मप्र के दौरे पर हैं। वे यहां कुशल चुनावी प्रबंधकों की तलाश करेंगे। ये प्रबंधक कार्यकर्ताओं के साथ उत्तर प्रदेश में भाजपा को जीतने के लिए मोर्चा संभालेंगे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की पचास से अधिक विधानसभा सीटें मध्यप्रदेश की सीमा से सटी हुई हैं और इन इलाकों का कल्चर भी लगभग एक जैसा है। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता में लाने का श्रेय मप्र के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी जाता है। इसको देखते हुए अगले साल उत्तरप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मप्र से कुशल चुनावी मैनेजर तलाशे जाएंगे। इनका चयन करने बीएल संतोष आज से जुट जाएंगे।
    नेताओं को भेजा जाएगा उत्तर प्रदेश
    पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष महाकौशल, विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल अंचल के नेताओं से बात कर उनसे योग्य कार्यकर्ताओं को लेकर चर्चा करेंगे। अगले महीने से इन चयनित नेताओं को यूपी में काम पर लगाया जाएगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का चुनाव इस बार भाजपा के लिए पिछली बार से ज्यादा कठिन माना जा रहा है। इस चुनाव के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जो रणनीति बनी है उसके हिसाब से यूपी में सबसे ज्यादा कार्यकर्ता मप्र से ही भेजे जाएंगे। पिछले चुनाव में भी प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों को यूपी चुनाव में लगाया गया था। इस बार भी मंत्रियों की भूमिका केंद्र तय करेगा।
    मप्र के कार्यकर्ता सर्वाधिक कर्मठ
    भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि मप्र संगठन देश में सबसे आदर्श संगठन है।  देश में मप्र भाजपा का कार्यकर्ता सबसे अधिक कर्मठ होता है। इसलिए भाजपा के रणनीतिकार अन्य राज्यों के चुनावों में यहां के कार्यकर्ताओं को तैनात किया जाता है। इसके अलावा प्रदेश के कई इलाकों की सीमाएं उप्र से सटी हैं। इन इलाकों के कई नेताओं का यूपी से सटे इलाके में प्रभाव भी हैं, इसके साथ वे वहां की चुनावी नब्ज को भी बेहतर समझते हैं। इसलिए इनका मप्र के चुनाव में महत्व अधिक है। सूत्रों की माने तो तीन दिनों तक चलने वाली इस कवायद में पहले चरण में उत्तरप्रदेश जाने वाले पांच हजार कार्यकर्ताओं की सूची तैयार की जाएगी। हर दस कार्यकर्ताओं के ऊपर एक कार्यकर्ता को प्रमुख बनाकर उसे विस के एक क्षेत्र की जिम्मेवारी दी जाएगी।

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