यातायात, आबकारी और ननि के अधिकार नहीं चाहता PHQ

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  • मंत्रिमंडल की बैठक में तय होंगे पुलिस आयुक्त के अधिकार और इलाके

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की मुख्यमंंत्री शिवराज सिंह घोषणा पर अमले करने के लिए तैयारियां तेज हो चुकी हैं। इस मामले में पुलिस मुख्यालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में महज मजिस्ट्रियल अधिकार की ही मांग की गई हैं, जबकि दूसरे राज्यों के जिन शहरों में यह प्रणाली लागू हैं, वहां पर पुलिस आयुक्त के पास परिवहन, आबकारी और नगर निगम से जुड़े अधिकार भी हैं। बताया जा रहा है कि सिर्फ एक अधिकार मांगने के पीछे की वजह है , इसे लागू करने से पहले किसी तरह के विवाद से बचना है। शहर की सीमा तय करने के लिए पुलिस विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है। इस प्रस्ताव का परीक्षण गृह विभाग स्तर पर करने के बाद उसे मंत्रिमंडल की बैठक में पेश किया जाएगा।
    बताया जा रहा है कि अलग-अलग विभागों से संबंधित अधिकारियों के प्रत्यायोजन के लिए अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी होंगी। इसके लिए पुलिस मुख्यालय से प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसमें शहर और ग्रामीण इलाके की सीमाएं निर्धारित की जा सकें। इसके हिसाब से शहरी और ग्रामीण थाने तय किए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्र में मौजूदा व्यवस्था ही जारी रहेगी जबकि, शहरी क्षेत्र में पुलिस कमिश्नर प्रणाली प्रभावी होगी। इसके लिए अधिसूचना जारी की जाएगी। नई प्रणाली लागू होने पर पुलिस आयुक्त को भारतीय दंड संहिता (आइसीपी)और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत अधिकार प्रत्यायोजित किए जाएंगे। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक स्थान पर भीड़ न जुटने देने, धरना-प्रदर्शन या रैली की अनुमति, संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने, जिला बदर और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने के अधिकार भी दिए जाएंगे। मध्यप्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का ऐलान करते समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भौगोलिक दृष्टि से महानगरों का विस्तार होने और शहरी जनसंख्या बढ?े के कारण नई समस्याएं पैदा हो रही हैं। उनके समाधान और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए हमने भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद कानून व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी पुलिस के हाथ में आ जाएगी। अभी मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति कलेक्टर और एसपी की संयुक्त होती है। अभी दंडात्मक कार्रवाई का अधिकार प्रशासनिक अफसरों के पास है। इनमें तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक शामिल हैं। आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद यह  अधिकार पुलिस कमिश्नर से लेकर असिस्टेंट कमिश्नर के पास होंगे।
    शहर में कमिश्नर, देहात में एसपी-आईजी पदस्थ होंगे
    भोपाल और इंदौर को शहरी और देहात क्षेत्र में विभाजित करना होगा। शहरी क्षेत्र की जिम्मेदारी पुलिस कमिश्नर को प्रदान की जाएगी, जबकि देहात क्षेत्र की जिम्मेदारी एसपी, डीआईजी और आईजी मौजूदा व्यवस्था की तरह देखते रहेंगे। चूंकि शहरी हिस्सा अलग हो जाएगा, लिहाजा भोपाल और इंदौर में देहात के नाम से जिला बनाया जाएगा। भोपाल देहात जिला के अलावा आसपास के जिले कमिश्नर नहीं, भोपाल आईजी के अधीन होंगे। यही व्यवस्था इंदौर में लागू होगी।
    इन कामों में आएगी तेजी
    कमिश्नर अपने साथ थाना प्रभारी तक के अधिकार अलग- अलग तय करेंगे। अभी सबसे ज्यादा दिक्कत अपराधों से जुड़े फाइलों को निपटाने में होती है। पुलिस को जिला बदर और एनएसए करने के लिए प्रस्ताव बनाकर जिला प्रशासन के पास भेजना होता है। जिला प्रशासन के अधिकारी फाइलों को लंबित रखते हैं। अब चूंकि पुलिस अपना काम खुद करेगी, लिहाजा अपराधियों पर शिकंजा कसने वाली फाइलों का निपटारा तेजी से होगा।
    नहीं मांगे यह अधिकार
     माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, आबकारी अधिनियम सहित अन्य अधिनियमों के प्रावधानों के तहत अधिकार देने के लिए अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की जाती हैं , लेकिन इसके लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा अब तक अधिकार नहीं मांगे गए हैं।
    सिर्फ यह मांगे अधिकार
    पीएचक्यू की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में पुलिस ने आयुक्त प्रणाली के तहत रासुका, एनएसए, जिला बदर सहित तमाम प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के अधिकार मांगे हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने पर बल प्रयोग से लेकर गोली चलाने तक के अधिकार पुलिस के पास होंगे। धारा- 144 लागू करने, क्यूं लगाने और अपराधियों को जमानत देने के अधिकार भी पुलिस के पास होंगे। अभी यह अधिकार प्रशासन के अफसरों के पास हैं। भेजे गए प्रस्ताव में आयुक्त प्रणाली के तहत मिलने वाले सारे अधिकार नहीं मांगे गए हैं।  क्यू

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