बा खबर असरदार/विवादों में आलोक शर्मा

  • हरीश फतेह चंदानी
आलोक शर्मा

विवादों में आलोक शर्मा
संस्कृत का बहुत प्रसिद्ध लघु सूत्र है  ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्… जिसका अर्थ है कि अति करने से हमेशा बचना चाहिए। अति का परिणाम हमेशा हानिकारक होता है। इस बात को भोपाल के पूर्व महापौर आलोक शर्मा भलीभांति जानते हैं। लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा में शायद वे यह सूत्र भूल गए हैं। इसलिए वे जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर सत्ता और संगठन के सामने अपनी लोकप्रियता का प्रदर्शन करने के लिए ऐसा उपकर्म कर बैठे जिसकी शिकायत दिल्ली तक हुई है। दरअसल, आयोजन के दौरान उन्होंने तथाकथित मुस्लिम महिलाओं का एक जत्था प्रधानमंत्री के अभिवादन के लिए बुलाया था। जब प्रधानमंत्री बरकतउल्ला विश्वविद्यालय परिसर में बनाए गए हेलीपैड से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन जा रहे थे तो सड़क के दोनों ओर खड़ी मुस्लिम महिलाओं ने मोदी की जय-जयकार करते हुए हर हर मोदी, घर घर मोदी और मोदी जिंदाबाद के नारे लगाए। लेकिन इस दौरान कुछ महिलाओं के हाथ में कलावा भी नजर आया। इससे पार्टी की सोशल मीडिया पर जमकर भद पिटी। अब इसकी शिकायत दिल्ली गई है। यही नहीं गौरव दिवस की तैयारियों के दौरान भी उनका मप्र पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भगत सिंह कुशवाह के साथ भी वाद-विवाद हुआ था। इसको लेकर पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने आंदोलन करने की चेतावनी तक दे डाली थी। हालांकि वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप के बाद मामला थम सा गया है।

झा और लूनावत के बाद लोकेंद्र प्रभावशाली
भाजपा की राजनीति में वैसे तो बड़े पदाधिकारी से लेकर कार्यकर्ता तक का महत्व रहता है, लेकिन संगठन की गतिविधियों और नीतियों के प्रचार-प्रसार में मीडिया प्रभारी की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इस भूमिका को मप्र भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर निरंतर निभा रहे हैं। भाजपा संगठन और प्रदेश सरकार की विकासात्मक गतिविधियों का अखबारों की सुर्खियों में छाए रहना पाराशर की प्रभावी भूमिका का संकेत है। यही नहीं पार्टी के प्रति उनके समर्पण, सक्रियता, मिलनसारिता ने उन्हें एक प्रभावशाली नेता भी बना दिया है। प्रभात झा और ब्रिजेश लूनावत के बाद लोकेंद्र पाराशर पार्टी के लिए एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बनकर उभरे हैं। मीडिया के बीच सक्रियता से लेकर राजनीतिक कार्यक्रमों में उनकी सहभागिता इस बात का संकेत है कि ये पार्टी के लिए एक बड़े रणनीतिकार के तौर पर उभर रहे हैं। मीडिया फ्रेंडली पाराशर पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच भी उतने ही लोकप्रिय हैं, जितने मप्र भाजपा के मीडिया प्रभारी के रूप में। पाराशर की कर्तव्य परायणता का ही प्रतिफल है कि वे दूसरी बार प्रदेश मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अगर यह कहा जाए कि वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का दाहिना हाथ हैं, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे साये की तरह प्रदेश अध्यक्ष के साथ रहते हैं। यही नहीं सत्ता और संगठन की रणनीतिक बैठकों में भी लोकेंद्र पाराशर नजर आते हैं। यानी आज पाराशर पार्टी की रणनीति का एक हिस्सा बने हुए हैं।

परफॉर्मेंस खराब तो होंगे बाहर
प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों अजब सी हलचल मची हुई है। दरअसल, यह हलचल मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड को लेकर है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के मौजूदा 28 मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा तैयार करवाई जा रही है। रिपोर्ट कार्ड तैयार होने की खबर मिलते ही उन मंत्रियों के होश उड़ गए हैं, जो अभी तक अपना टास्क पूरा करने में पिछड़े हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में करीब आधे से ज्यादा मंत्री ऐसे हैं, जो अपने विभागीय काम के मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री बारीकी से एक-एक पॉइंट पर नजर रखे हुए हैं। विभागीय समीक्षा के दौरान मंत्रियों के सामने उसकी रिपोर्ट कार्ड रखा जाएगा। उसके बाद यह रिपोर्ट कार्ड पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भेजा जाएगा। आगे चलकर जब मंत्रिमंडल विस्तार होगा, तो इस रिपोर्ट कार्ड को आधार बनाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि दो कद्दावर मंत्री भी पुअर परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों की सूची में शामिल हैं। उधर, रिपोर्ट कार्ड बनने की खबर मिलते ही कुछ मंत्री अपने विभागीय अफसरों के साथ अपनी परफॉर्मेंस का आंकलन करने में जुट गए हैं।

पुलिस और स्त्री प्रेम
मप्र की नौकरशाही का पर स्त्री मोह किसी से छुपा नहीं है। प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिकाओं में लोग चटखारे लेकर अफसरों के नाजायज प्रेम संबंधों की चर्चा कर आनंद उठाते हैं। अब पुलिस मुख्यालय ऐसे की अफसरों की एक फाइल तैयार कर रहा है जिसमें उनके नाजायज स्त्री संबंधों का उल्लेख हैं। पीएचक्यू के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग में कई अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं जिनके खिलाफ नाजायज रिश्ते, छेड़छाड़ या रेप जैसी घटनाओं की शिकायतें हैं। इससे पुलिस विभाग की छवि खराब हो रही है। अत: पुलिस विभाग के कलंक बन चुके अफसरों की फाइल तैयार की जा रही है। यह फाइल शिकायतों और अफसरों पर हुई प्राथमिकी के आधार पर तैयार की जा रही है। बताया जाता है की नाजायज रिश्ते, छेड़छाड़ या रेप जैसी घटनाओं में लिप्त पुलिस अफसरों और कर्मचारियों की फाइल एक महानिदेशक स्तर के अधिकारी से शुरू हुई है, इसमें आरक्षक तक शामिल हैं। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही यह फाइल तैयार हो जाएगी। फाइल पूरी होते ही प्रदेश में हंगामा होना तय है। वहीं सूत्रों का कहना है कि जब से फाइल बनने की खबर अफसरों को लगी है, उनमें से नजायज स्त्री संबंधों में लिप्त रहे अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। कुछ अधिकारी तो इस प्रयास में लग गए हैं कि या तो इस फाइल का काम ही रूक जाए या फिर उनका नाम उसमें शामिल न किया जाए।

बदलाव कमलनाथ का
फिल्म चौदहवीं के चांद का गीत आपने सुना ही होगा-बदले-बदले मेरे सरकार नजर आते हैं, ऐसा की कुछ बदलाव कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ में भी नजर आ रहा है। यानी ब्यूरोक्रेट्स की तर्ज पर काम करने वाले कमलनाथ अब सोशल फ्रेंडली हो गए हैं। कमलनाथ में इस जबरदस्त बदलाव को देखकर हर कोई आश्चर्य चकित है। यह बदलाव का ही असर है कि कमलनाथ ने पहली बार अपना जन्मदिन भोपाल में मनाया। यही नहीं उनके 75वें जन्मदिन पर उनके बंगले का गेट आम कार्यकर्ताओं के लिए भी खुला रहा। जानकारों का कहना है कि जिस तरह दूध का जला मट्ठा भी फूंक-फूंक कर पीता है, अब कमलनाथ भी सत्ता जाने के बाद उसी तरह काम कर रहे हैं। करीब 20 माह पहले तक कार्यकर्ताओं से दूर रहने वाले कमलनाथ अब अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को जानने पहचानने लगे हैं। उनसे उनके अंदाज में मिलने लगे हैं, बतियाने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रोज मीडिया के लोगों से भी चर्चा कर रहे हैं। जानकारों का मानना है कि यह मिशन 2023 का रंग है। 2023 के चुनाव से पहले कमलनाथ सब कुछ कांग्रेस के पक्ष में करना चाहते हैं। अब देखना यह है कि कमलनाथ का बदला रूप क्या गुल खिलाता है।

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