राष्ट्रीय राजनीति में दिग्विजय की भूमिका बढ़ी …

दिग्विजय सिंह
  • मुद्दे उठाने के मामले में भी पार्टी में उनके जैसे नेता भी बहुत ही कम  हैं

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय मप्र में कांग्रेस ऐसे नेता हैं, जिनका प्रभाव मध्य प्रदेश के अलावा पार्टी में केन्द्रीय स्तर पर भी बराबर माना जाता है। उन्हें अब पार्टी आलाकमान द्वारा केन्द्रीय स्तर पर बेहद अहम जिम्मेदारी दे दी गई है। वे वर्तमान में पार्टी के लिए बेहद अहम नेता के रूप में माने जाते हैं। उन्हें संगठन के मामले में तो महारत है ही साथ ही मुद्दे उठाने के मामले में भी पार्टी में उनके जैैसे नेता भी बहुत ही कम हैं। इसकी वजह से माना जा रहा है कि वे अब प्रदेश की जगह पूरी तरह से राष्ट्रीय स्तर पर ही पार्टी की राजनीति में सक्रिय रहने वाले हैं। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति में बड़ा बदलाव होना तय है। उन्हें हाल ही में पार्टी आलाकमान द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की रणनीति बनाने वाली समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया है। इसकी वजह से उन्हें दिल्ली के अलावा देश के सभी राज्यों में ने केवल प्रवास करना होगा, बल्कि उन राज्यों की परिस्थितियां भी रणनीति बनाने से पहले देखनी होंगी। इसकी वजह से उनके पास समय की कमी होगी और न चाहते हुए भी उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति से दूरी बनाने पर मजबूर होना पड़ेगा। दिग्विजय सिंह को जिस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है वह समिति देशभर में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए अहम मुद्दों को लेकर आंदोलन करेगी। इस समिति ने पूरे देश में महंगाई, बेरोजगारी और केंद्र की विफलताओं के खिलाफ जन जागरण अभियान के साथ आंदोलन करने का फैसला किया है। कांग्रेस का यह अभियान पूरे एक पखवाड़े तक चलना है। इसकी शुरूआत रविवार से की जा चुकी है। इस समिति के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से उनकी सक्रियता राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह से बड़ी है इससे ही समझा जा सकता हे कि उनके द्वारा हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आरएसएस के संस्थापक डॉक्टर केबी हेगडेवार की स्मृति में नागपुर में बने स्मारक में राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने से रोकने और पुलिस द्वारा ध्वज को अपनी अभिरक्षा में लेने का मामला उठाया है। उन्होंने मांग की है कि 20 साल पहले राष्ट्रीय ध्वज को पुलिस की अभिरक्षा में लिया गया था वह अब भी पुलिस के पास है, लिहाजा राष्ट्रीय ध्वज को सरकारी अलमारी से आजाद किया जाए और युवा समाजसेवी मोहनीश जबलपुरे को यह तिरंगा राष्ट्रीय पर्व पर शहर आने के लिए सौंपा जाए।
कहीं गुटबाजी तो नहीं है बड़ी वजह
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की अहम जिम्मेदारी देने के पीछे की वजह कांग्रेस से जुड़े लोग और राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी प्रदेश में सक्रियता की वजह से कई बार प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ती है। फिलहाल प्रदेश में कांग्रेस की कमान कमलनाथ के पास है। वे हर हाल में कांग्रेस नेताओं को एक जुट रखना चाहते हैं। इसके लिए जरुरी है कि प्रदेश के बड़े नेता और क्षत्रप गुटबाजी को रोके नहीं तो कम से कम उसे बढ़ावा न दें , लिहाजा पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री को राज्य की राजनीति से दूर रखना चाहती है और उसी दिशा में उन्हें आंदोलन की समिति का प्रमुख बनाया गया है। कमलनाथ को प्रदेश में अगले विधानसभा चुनावों में एक बार फिर से पार्टी को मतदाताओं का साथ मिलने का पूरा भरोसा है। वे मानते हैं कि अगर नेता गुटबाजी से दूर हो जाएं तो अगली बार फिर प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में आने का मौका मिल सकता है।
प्रचार से रखा जाने लगा है दूर
दरअसल कांग्रेस में दिग्विजय सिंह को उन नेताओं में माना जाता है जिनके प्रचार से पार्टी को फायदा कम और नुकसान अधिक होता है। पार्टी के नेता भी मानते हैं कि राज्य में उनके प्रचार करने से कांग्रेस के वोट कम हो जाते हैं, वे स्वयं भी कई बार इसे स्वीकार चुके हैं। यही कारण है कि हाल ही में हुए चार उप चुनाव में उन्हें पार्टी ने लगभग प्रचार से दूर ही रखा। खास बात यह है कि पार्टी उम्मीदवारों ने भी प्रचार के लिए उनकी मांग पार्टी से नहीं की। उन्हें महज खंडवा संसदीय क्षेत्र के ही कुछ इलाकों में प्रचार के लिए भेजा गया। इसके अलावा वे पृथ्वीपुर में नामांकन भराने की प्रक्रिया के समय ही मौजूद रहे। दरअसल उनके हिंदुत्व विरोधी बयान भाजपा के लिए बेहद फायदेमंद साबित होते  हैं।

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