
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक बार फिर गैंगस्टर एक्ट लाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। खास बात यह है कि इसमें पड़ोसी राज्य उप्र की तुलना में कई कड़े प्रावधान किए जा रहे हैं। इसमें गंभीर और संगठित अपराधों तथा आदतन अपराधियों को पकड़ने और उनके खिलाफ गैर जमानती धाराओं में प्रकरण बनाने का प्रावधान किया जा रहा है। इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसके अधिकार एसपी स्तर के अफसर को दिए जाने की तैयारी है, जबकि उप्र में यह अधिकार डीसीपी स्तर के अधिकारी के पास हैं। इसके तहत एसपी स्तर पर ही गैंगस्टर एक्ट में सूची बनाने और उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकेगी।
इस एक्ट में जो सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान किया जा रहा है उसके मुताबिक अपराधियों को अधिकतम फांसी तक की सजा होगी। इस नए एक्ट के कानून में हत्या या हत्या की कोशिश, प्रॉपर्टी विवाद और धमकी, गौ हत्या, अवैध खनन को भी शामिल किया जा रहा है। महराष्ट्र में लागू मकोका अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। इसमें आरोपी को जमानत नहीं मिलती है। मकोका के तहत मामला भी तभी दर्ज किया जाता है, जब 10 साल के अंदर आरोपी कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल हो। इसी तरह उत्तर प्रदेश के गुंडा एक्ट में अपराधियों को सजा के साथ-साथ उसकी संपत्ति को जब्त करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। मप्र के कानून में इन दोनों ही प्रदेशों के कानूनों को ध्यान में रखकर नया कानून बनाया जा रहा है। यह बात अलग है कि इन दोनों ही राज्यों की तुलना में में मप्र की परिस्थितियां अलग हैं। उल्लेखनीय है कि इसके एक दशक पहले भी मकोका और गुंडा एक्ट जैसा प्रावधान वाले एक्ट को लाने का प्रयास किया गया था। इसके लिए प्रदेश की भाजपा की ही शिव सरकार द्वारा मप्र आतंकवाद एवं/उच्छेदक तथा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2010 विधानसभा से पारित कर केन्द्र को मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन तक उसे मंजूरी नहीं दी गई थी। उस समय केंद्र की सत्ता में यूपीए थी। अब हालात बदल चुके हैं और केन्द्र में भी भाजपा की सरकार है। इस वजह से माना जा रहा है कि अब इस नए एक्ट की मंजूरी में पहले जैसी कोई अड़चन नहीं आएगी।
मसौदा हो चुका है तैयार
इसके लिए मसौदा तैयार किया जा चुका है। इस पर प्रदेश के गृह विभाग द्वारा विधि विभाग से अभिमत लेने के बाद उसकी स्वीकृति के लिए उच्च स्तर पर भेजा जा चुका है। जैसे ही इस मसौदे को मुख्य सचिव द्वारा स्वीकृति दे दी जाएगी, उसे मुख्यमंत्री को भेज दिया जाएगा। इसके बाद उसे विधानसभा के आगामी सत्र में विधेयक के रूप में पेश कर दिया जाएगा।
उप्र में हैं इस तरह के प्रावधान
उत्तर प्रदेश में डीसीपी स्तर के अधिकारी को गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करने के अधिकार दिए गए हैं। इस एक्ट में मानव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, गोहत्या, बंधुआ मजदूरी और पशु तस्करी पर कड़ाई से रोक लगाने के प्रावधान हैं।
14 की जगह 60 दिन तक के मिल जाएंगे अधिकार
मप्र गुंडा एक्ट में पकड़े गए अपराधियों की आसानी से जमानत नहीं हो पाएगी। अपराधियों की संपत्ति भी जब्त की जाएगी। नए प्रावधान के तहत पुलिस अपराधियों को 14 दिन के बजाय अधिकतम 60 दिन के लिए बंद कर सकती है। मप्र के नए इस एक्ट में भू-माफिया, खनिज माफिया, प्रॉपर्टी विवाद जैसे अपराधों को शामिल किया गया है। एक्ट में एसपी को गैंगस्टर की सूची तैयार करने और उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के अधिकार दिए जाएंगे।