71 साल बाद भारत में कुलांचे भरेंगे चीते

चीते
  • दक्षिण अफ्रीकी चीतों के स्वागत के लिए तैयार कूनो पालपुर

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश में करीब 71 साल बाद चीते कुलांचे भरते नजर आएंगे। इसके लिए मप्र के श्योपुर में स्थित कूनो पालपुर नेशनल पार्क में तैयारियां लगभग पूरी हो चली हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक या फिर जनवरी या फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से चीते आ जाएंगे।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अफ्रीकी चीता को बसाने के लिए श्योपुर के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में तैयारियां तेज हो गई हैं। कूनो पालपुर पार्क में चीता के लिए विशेष बाड़ा तैयार किया जा रहा है, जिसका 60 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। बाड़े के नजदीक ही दो पुलिया बनाई जानी है। उनका भी निर्माण शुरू हो रहा है। 30 नवंबर तक परियोजना का काम पूरा करने का लक्ष्य है। इसके साथ ही अगले चरण की तैयारी शुरू हो गई है।
पहले चरण में 10 चीता लाने की योजना
एशियाई शेरों की उम्मीद लिए कूनो-पालपुर के जंगल में साल के अंत तक अफ्रीकी चीते दौड़ते दिखाई देंगे। मप्र शासन की सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने तैयारियां शुरू कर दीं हैं। सब कुछ ठीक रहा तो अफ्रीकी चीतों का दिसंबर तक रीलोकेशन हो सकता है। केंद्र सरकार ने इसका पूरा शेड्यूल जारी कर दिया है। उल्लेखनीय है कि पहले चरण में यहां 10 चीता लाने की योजना है।
परियोजना का काम पिछड़ा
जानकारी के अनुसार प्रदेश में इसी माह चीता आने थे, पर अगस्त माह में हुई अतिवृष्टि और ग्वालियर-चंबल संभाग के अधिकांश जिलों में बाढ़ आने से परियोजना का काम पिछड़ गया। यही कारण है कि चीता लाने में भी देरी हुई है। अब जनवरी या फरवरी 2022 में चीता लाने की तैयारी है। पार्क में विश्राम गृह के नजदीक विशेष बाड़ा बन रही है, जिसमें पहली बार चीता रखा जाएगा। इसी बाड़े में देखभाल के बाद चीता खुले जंगल में छोड़े जाएंगे। ये बाड़ा अगस्त तक तैयार करना था। इसी आधार पर चीता को लाने की आगे की कार्रवाई होगी। जमीन से पांच फीट तक की कटीली झाडिय़ां हटाना और खंदकों (गड्ढों) को भरना भी तैयारियों में शामिल हैं। जंगल में जगह-जगह पानी के लिए छोटे-छोटे तालाब बनाए जाएंगे। पिछले दिनों मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक जायजा भी लिया है।
तैयारियों को दिया जा रहा अंतिम रूप
चीता परियोजना के लिए कूनो पालपुर के चयन के बाद पिछले साल श्योपुर पहुंची सुप्रीम कोर्ट की साधिकार समिति की उपसमिति ने चीता लाने से पहले घास, झाड़ी मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए थे। इसके चलते पार्क प्रबंधन ने 21 करोड़ रुपये की मांग की थी। राशि देने पर केंद्र सरकार की सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। केंद्र से राशि मिलने की प्रत्याशा में राज्य सरकार ने 14 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिससे काम शुरू हो गया है। सबसे पहले चैनलिंक जालियों से विशेष बाड़ा तैयार किया जा रहा है, जिसमें अफ्रीका से आने वाले चीता शुरूआत में दो महीने रहेंगे।

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