
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में अब एक बार फिर बड़े पैमाने पर तबादलों का दौर शुरू होने की पूरी संभावनाएं बन चुकी हैं। माना जा रहा है कि यह तबादले अगले सप्ताह से शुरू हो जाएंगे और इस माह के अंत तक किए जाते रहेंगे। इसकी वजह है प्रदेश में अगले माह संभावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव। इन चुनावों के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तबादलों को लेकर गाइड लाइन जारी की जा चुकी है। इसके तहत बीते चार सालों में से तीन साल एक ही स्थान पर पदस्थ सरकारी अमले को हटाया जाएगा। इसके दायरे में प्रमुख रूप से पुलिस, राजस्व के अलावा पंचायत ग्रामीण विकास के अफसर व कर्मचारी आएंगे। यह बात अलग है कि इस गाइडलाइन में अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस तबादले के दायरे में ग्रामीण के अलावा शहरी कर्मचारी प्रभावित होंगे या नहीं। इसकी वजह से यह तो तय ही है कि तबादले के दायरे में करीब साठ फीसदी से अधिक अमला आ जाएगा, जिससे यह तय है कि जितने तबादले सीजन में नहीं हुए हैं, उससे अधिक अब होगें। इसकी वजह से उन कर्मचारियों की धड़कनें बढ़ गई हैं। खास बात यह है कि राज्य निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के आधार पर पुलिस मुख्यालय से लेकर राजस्व विभाग तक ने इसको लेकर निर्देश जारी कर दिए हैं। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा है। पत्र में तीन साल से एक स्थान पर सेवाएं देने वाले पुलिस विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बदलने के लिए पूरी जानकारी मांगी गई है। इसके दायरे में आरक्षक से लेकर एएसपी तक आएंगे। यह बात अलग है कि पंचायत चुनाव ग्रामीण इलाके में आते हैं, लेकिन स्पष्ट निर्देश न होने की वजह से इन ताबदलों के दायरे में शहरी कर्मचारी भी आएंगे। खास बात यह है कि तबादलों से आरआई कैडर को दूर रखा जाता है, लेकिन पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आदेश में आरआई कैडर के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है। आयोग के निर्देशों के बाद अब उन कर्मचारियों पर भी गाज गिरना तय माना जा रहा है जो, जिलों में पुलिस अधीक्षकों के बेहद चहेते माने जाते हैं। वजह साफ है कि थानों में स्वीकृति निरीक्षक के पद है और थाना प्रभारी उप निरीक्षक को बना दिया गया है। प्रदेश में यह स्थिति तब है, जब निरीक्षक स्तर के अधिकारी पुलिस लाइन में बेकार पड़े हुए हैं। ज्यादातर उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी वहीं हैं, जो जिलों में एसपी अथवा इकाई प्रमुखों के चहेते हैं। ऐसे में उन पर भी गाज गिरना तय है। देखना होगा कि अफसर चहेतों को कैसे साध पाएंगे। आयोग ने अपने निर्देश में कहा कि अमला स्वीकृत पदों के हिसाब से होगा। यानी रिक्त पदों को भरा जाएगा। कोई भी पद खाली नहीं रहेंगे। अगर पद रिक्त हैं, पुलिस लाइन में मौजूद बल से उसकी पूर्ति की जाए। वजह साफ है कि कई थानों में स्वीकृति से ज्यादा बल तैनात है और कई थानों में स्वीकृति से कम बल है।