शिवराज जी! प्लीज इन अफसरानों को हटाइए

शिवराज सिंह चौहान

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। बीते कुछ सालों में मप्र ऐसा राज्य बन चुका है, जिसमें मंत्रियों व उनके ही अधीनस्थ विभाग के आला अफसरों के बीच पटरी नहीं बैठती है। ऐसा नहीं कि यह सब भाजपा की शिव सरकार में ही होता है, बल्कि कांग्रेस की नाथ सरकार में भी ऐसा ही कुछ होता रहा है। हालात यह हैं कि अब उपचुनाव होने के बाद एक बार फिर सरकार का पूरा फोकस विकास कामों में तेजी लाने पर है। इसमें मंत्रियों व उनके प्रमुख सचिवों के बीच पटरी नहीं बैठने का सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। इसकी वजह से कई मंत्रियों के तो जायज काम तक उनके ही विभागों में नहीं हो पा रहे हैं। यही वजह है कि यह मंत्री चाहते हैं कि उनके विभाग के अफसरों को बदलकर किसी नए अफसर की पदस्थापना की जाए। इसके लिए तो अब बाकायदा कई मंत्री मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं। इसकी वजह से माना जा रहा है कि जल्द ही प्रदेश में आला स्तर पर कई आईएएस अफसरों की नए सिरे से पदस्थापना की जाएगी। इन मंत्रियों का कहना है कि विभाग के आला अफसरों की वजह से उनके विभागों के कामों में तेजी नहीं आ पा रही है, जिसकी वजह से सरकार की मंशा के अनुरूप लोगों को सुशासन का अनुभव भी नहीं हो पा रहा है। इसके चलते अब माना जा रहा है कि अब शिव सरकार कुछ सख्त कदम भी उठा सकती है। विकास कार्यों में तेजी के लिए जरूरी है कि मंत्री और प्रमुख सचिव के बीच अच्छा समन्वय हो, लेकिन कई मंत्रियों की उनके प्रमुख सचिवों से पटरी नहीं बैठ रही है। यह कदम मंत्रियों की मंशा को देखते हुए उठाए जाने की संभावना है। हाल ही में दो मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को अपने प्रमुख सचिव को बदलने के लिए नोटशीट तक लिख डाली हैं। इनमें से एक मंत्री ने तो नोटशीट में यह भी लिखा है कि उनके विभाग के अंतर्गत आने वाले निगम के एमडी बदल दिए गए हैं, प्रमुख सचिव को भी बदला जाए। सरकार के सूत्रों की मानें तो प्रदेश में करीब एक दर्जन मंत्री ऐसे हैं जिनकी अपने ही विभाग के प्रमुख सचिवों से सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। इनमें आदिमजाति व अनुसूचित जाति कल्याण सुश्री मीना सिंह भी शामिल हैं। उनकी विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. पल्लवी जैन गोविल से लंबे समय से विवाद बना हुआ है। इसकी वजह से मंत्री द्वारा कई बार यहां तक कहा जा चुका है कि उनके विभाग की प्रमुख सचिव उनकी बिलकुल भी बात नहीं सुनतीं, जिससे आम जनता तो ठीक जनप्रतिनिधियों तक के काम नहीं हो पा रहे हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि प्रमुख सचिव की मनमानी की वजह से विभाग की कई योजनाओं का न तो क्रियान्वयन हो रहा है और न ही आवंटित राशि खर्च हो पा रही है। इसी तरह से पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया का प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव से भी तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। उधर वित्त एवं वाण्ज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा की भी अपने दोनों ही विभागों के प्रमुख सचिव मनोज गोविल (वित्त) व दीपाली रस्तोगी (वाणिज्यिक कर) से पटरी नहीं बैठ रही है। देवड़ा इसको लेकर मुख्यमंत्री से भी कई बार बात कर चुके हैं। वे इन दोनों ही अफसरों की अपने मंत्रालय से विदाई चाहते हैं। हालांकि इन दोनों ही अफसरों को मुख्यमंत्री गुडलिस्ट में माना जाता है। इसकी वजह है उनका काम बेहतर होना। इसकी वजह से उनको बदलने की संभावना बेहद ही कम है। मनोज गोविल ने अत्यंत कठिन परिस्थिति में बेहतर बजट प्रबंधन का कौशल दिखाया है। इसी तरह से प्रदेश सरकार नए वित्त वित्तीय वर्ष में आबकारी की नई नीति लाने जा रही है। इसमें कई बड़े बदलाव की संभावना बनी हुई है। इसकी वजह से शायद ही वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव को बदला जाए। इस सूची में एक अन्य नाम खनिज साधन मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह का भी है। उनकी भी अपने ही प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह से नहीं बन पा रही है। इस बीच इस तरह की खबरें भी आ रही हैं कि सुखबीर सिंह खुद भी खनिज विभाग से हटना चाह रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरुण शमी से भी पटरी नहीं बैठ पा रही है। पटरी न बैठा पाने वाले मंत्रियों में कृषि मंत्री कमल पटेल व स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का भी नाम भी शामिल है। दरअसल पटेल पीएस अजीत केसरी के कामकाज से खुश नही हैं, तो वहीं स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी का भी एसीएस मोहम्मद सुलेमान से तालमेल नहीं बन पा रहा है। इसी तरह की स्थिति अन्य कई मंत्रियों और प्रमुख सचिवों के बीच है। उधर एक प्रमुख सचिव तो मंत्री के निर्देशों का पालन न करने के लिए विभाग की फाइलों को विभागाध्यक्ष को टीप के लिए भेज देते हैं और विभागाध्यक्ष फाइल को ही दबाकर बैठ जाते हैं। खराब फीडबैक वाले अफसरों पर तबादलों की गिरेगी गाज
यही वजह है कि अब सरकार कुछ विभागों के प्रमुख सचिवों को बदलने की तैयारी की जा रही है। इनमें वे अफसर खासतौर पर प्रभावित होंगे, जिनको लेकर मंत्रियों और विधायकों से अच्छा फीडबैक नहीं मिला है। सरकार चाहती है कि प्रदेश में पंचायत चुनावों और उसके बाद निकाय चुनावों को देखते हुए विकास काम द्रुत गति से हों, लेकिन मंत्री और प्रमुख सचिवों के बीच पटरी न बैठ पाने की वजह से यह काम भी गति नहीं पकड़ पा रहे हैं। इसलिए मंत्री चाहते हैं कि जल्द से जल्द उनके पसंद के अफसरों की उनके विभाग में पदस्थापना की जाए। इसकी वजह से ही माना जा रहा है कि जल्द ही फील्ड से लेकर मंत्रालय के दफ्तर तक में कुछ अफसरों को इधर-उधर किया जा सकता है।

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