बिहाइंड द कर्टन/प्रदेश पुलिस के नए मुखिया होंगे सुधीर सक्सेना

  • प्रणव बजाज
 सुधीर सक्सेना

प्रदेश पुलिस के नए मुखिया होंगे सुधीर सक्सेना  
मप्र पुलिस की कमान सुधीर सक्सेना को मिलना लगभग तय हो गया है। उनके नाम पर केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक में पूरी सहमति बन चुकी है। वे वर्तमान में केन्द्रीय गृह मंत्रालय में सचिव के पद पर पदस्थ हैं और उनके पास सुरक्षा का दायित्व है। उन्हें गृहमंत्री अमित शाह का भी भरोसेमंद अफसर माना जाता है। हालांकि इस पद के दावेदारों में प्रदेश के दूसरे सबसे वरिष्ठ अफसर पवन जैन का नाम भी चर्चा में है, लेकिन वे अब पूरी तरह से दावेदारी में पिछड़ चुके हैं। वर्तमान डीजीपी विवेक जौहरी अगले साल मार्च 2022 में रिटायर हो रहे हैं। दरअसल 1986 बैच के अफसर पुरुषोत्तम शर्मा सबसे सीनियर हैं लेकिन पत्नी से विवाद के मामले में फंसे होने के कारण वो डीजीपी पद की रेस से पहले ही खुद बाहर हो चुके हैं। इसके अलावा अगले साल प्रदेश के बड़ी संख्या में सीनियर आईपीएस अफसर रिटायर हो रहे हैं। अब प्रदेश सरकार ने नये डीजीपी के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।

राजस्व व पुलिस में फिर चलेगा तबादलों का दौर
लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव समाप्त होते ही प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। माना जा रहा है कि अगले माह प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं। इन चुनावों के मद्देनजर ही अब पुलिस व राजस्व विभाग में तबादलों का दौर दीपावली के अवकाश के बाद शुरू हो जाएगा। इसके लिए पुलिस मुख्यालय से लेकर राजस्व आयुक्त कार्यालय तक से निर्देश जारी कर दिए गए हैं। कलेक्टरों को जारी निर्देशों में तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों की पदस्थापना की जानकारी मांगी गई है जिससे की उनके तबादले किए जा सकें। इसमें गृह जिले अथवा अक्टूबर, 2021 की स्थिति में 4 वर्षों में से 3 वर्ष से एक ही जिले में पदस्थापना की जानकारी तुरंत भेजने को कहा गया है, जबकि पुलिस कप्तानों से तत्काल उन पुलिसकर्मियों के तबादले के भी निर्देश दिए गए हैं, जो गृह थाने के साथ ही तीन वर्ष से एक ही जगह पर पदस्थ हैं।

इनकी वजह से फहरा भाजपा की जीत का परचम
भाजपा के लिए बेहद कठिन माने जाने वाले इन उपचुनावों में जीत का परचम फहराने में जिनकी अहम भूमिका रही है उनमें वे मंत्री शामिल हैं, जिन्हें चुनावी चक्रव्यूह बनाने में माहिर माना जाता है। इनमें निवाड़ी जिले के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव के अलावा विश्वास सारंग, तुलसी सिलावट, विजय शाह, जगदीश देवड़ा, ऊषा ठाकुर शामिल हैं। इनमें सबसे कठिन सीट माने जाने वाली पृथ्वीपुर सीट पर भार्गव व सारंग के अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश चतुर्वेदी की भी अहम भूमिका रही है। भार्गव ने पृथ्वीपुर में लगातार चौक चौपालों को ऐसा जमाया कि भाजपा विरोधी नारे उसके पक्ष में गंूजने लगे। यह वे नेता हैं जो पूरे प्रचार के दौरान इस विस की गलियों में धूल धूसरित होते रहे। अगर खंडवा लोकसभा की बात की जाए तो इसके तहत आने वाले हर विधानसभा क्षेत्र में भी मंत्रियों के पास ही कमान रही है। जोबट में जरुर स्थानीय सांसद गणेश सिंह की जिद ने जरुर कई मंत्रियों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।

भाजपा का मजबूत गढ़ ढहाने के वाहक बने अजय सिंह  
भाजपा के मजबूत गढ़ों में शामिल सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर अब कांग्रेस का परचम फहरा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस की जीत के वाहक बनकर उभरे हैं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया। दरअसल वे पूरे समय रैंगाव में ही रहकर हर दिन के आंकलन के हिसाब से न केवल रणनीति बनाते, बल्कि उस पर कार्यकातार्ओं से अमल भी कराते रहे। यही वजह है कि बीता चुनाव हार चुकीं कल्पना वर्मा जीत दर्ज कर विधायकी की घर वापसी कराने में भी सफल रहीं। अजय सिंह की रणनीति ऐसी रही की किसी भी कांग्रेस के बड़े नेता को उनके इलाके में दूसरी बार जाने की जरुरत ही नहीं पड़ी। भाजपा के बेहद मजबूत गढ़ को ढहाने का श्रेय पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के साथ ही उनकी टीम में शामिल विधायक नीलांशु चतुर्वेदी, सिद्धार्थ कुशवाहा, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह को भी जाता है। यह सभी नेता अजय सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं।

Related Articles