खनिज खदानों की नीलामी में केन्द्र के दिशा निर्देशों की उड़ाई धज्जियां

खनिज खदानों

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के खनिज विभाग को प्रदेश के 11 खनिज ब्लॉक्स नीलाम करने की इतनी जल्दी पड़ी है कि उसके द्वारा केन्द्रीय दिशा निर्देशों तक का पालन नहीं किया जा रहा है। इनकी नीलमी के लिए विभाग द्वारा केंद्र सरकार की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए सीधे नीलामी की पूरी तैयारी कर ली गई है।
इससे यह तय हो गया है कि प्रदेश का खनिज विभाग खुद को केन्द्र सरकार से ऊपर मान रहा है। दरअसल केन्द्रीय दिशा निर्देशों व उसकी गाइडलाइन के तहत खनिज खदानों की नीलामी से पहले संबंधित राज्य सरकार को वन एवं पर्यावरणीय(ईसी) की मंजूरी लेना अनिवार्य किया गया है। इसके बाद ही नीलामी की प्रक्रिया की जा सकती है। इस बदलाव के पीछे केन्द्र सरकार की मंशा तय समय पर खदानों पर खनन का काम तय समय पर शुरू कराने की है, लेकिन प्रदेश के खनिज महकमे ने ईसी से मंजूरी लिए बिना ही 5 नवंबर तक माइंस टोन, बॉक्साइट, रॉक फास्फेट और आयरन की 11 खदानों की नीलामी का शेड्यूल जारी कर दिया है।
जिन जिलों की खदानों को नीलाम किया जाना है उनमें खदानें दमोह, कटनी, रीवा, बालाघाट, छतरपुर, जबलपुर, डिंडोरी और छिंदवाड़ा जिले शामिल हैं। खास बात यह है कि इसके लिए 29 अक्टूबर को जबलपुर के एक निजी होटल में प्री-बिड कॉन्फ्रेंस भी तय कर दी गई थी। अब इस मामले में शिकवा शिकायत का दौर शुरू हुआ तो यह कान्फ्रेंस निरस्त करनी पड़ गई। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इज आॅफ डूइंग के अंतर्गत खनिज ब्लॉक्स की नीलामी की प्रक्रिया में बदलाव किया है। देश के सभी राज्यों को बाकायदा 3 जून 2020 को गाइडलाइन वाला सर्कुलर भेजा जा चुका है, जिसमें नीलामी से जुड़ी सारी वैधानिक मंजूरी पहले लेने का उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक खनिज ब्लॉक की नीलामी के पहले ही वन एवं पर्यावरणीय मंजूरी लेना होगी। उधर विभाग के आला अफसरों का कहना है कि इसके लिए राज्य शासन ने प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट का गठन किया है।
कमेटी का प्रमुख संचालक विनीत आस्टिन को बनाया गया है। यह 7 सदस्यों वाली टीम की जिम्मेदारी है कि खदान नीलामी के पहले समस्त वैधानिक मंजूरी की योजना तैयार करने के साथ ही मॉनिटरिंग का काम करेगी। उनका कहना है कि केंद्र की गाइडलाइन इज ऑफ डूइंग के अंतर्गत एक या दो खदानों के लिए है, जिसमें ईसी नीलामी पहले लेना जरूरी है। उन खदानों को छोड़कर बाकी खदानों के लिए ईसी पहले ली जाएगी।

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