बिहाइंड द कर्टन/और रो पड़ी भाजपा उम्मीदवार प्रतिमा

  • प्रणव बजाज
भाजपा उम्मीदवार

और रो पड़ी भाजपा उम्मीदवार प्रतिमा
कड़े चुनावी मुकाबले में फंसी रैंगाव की भाजपा प्रत्याशी प्रतिमा बागरी शारीरिक और मानसिक रुप से इतनी थक चुकी हैं कि वे अब बीमार होने लगी हैं। बीते रोज चुनावी प्रचार के अंतिम दिन जब उनके पक्ष में चुनावी सभा करने कोठी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पहुंचे तो वे बीच सभा में अपना भाषण भी पूरी तरह से नहीं दे सकीं। बात यहीं समाप्त नहीं हुई बल्कि जब वे फूट-फूट कर रोने लगीं तो कुछ देर के लिए सभी अवाक रह गए। उन्हें शांत कराकर पानी पिलाया गया इसके बाद भी वे सहज नहीं हो पायी तो चिकित्सक को दवा भी देनी पड़ी। इस दौरान चिकित्सकों ने बताया कि उन्हें स्ट्रेस और एग्जर्शन बहुत अधिक हो गया है जिसकी वजह से यह सिथति बनी है। हालांकि दवा के कुछ देर बाद वे समान्य हो गईं, तब कहीं जाकर सभी ने राहत की सांस ली।

अब दिग्विजय सिंह पर  नरोत्तम ने किया बड़ा पलटवार
सरकार के प्रवक्ता और सूबे के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिग्विजय सिंह के आरोपों पर पलटवार कर कहा है कि वे अपनेू दाग साफ करने के लिए ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को निशाना बना रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री उमंग सिंगार पहले ही कह चुके हैं कि दिग्विजय से बड़ा देश में कोई दूसरा बड़ा माफिया नही है। उनका कहना है कि सिंगार ने उन्हें सबसे बड़ा खनन और शराब माफिया बताया था। आज दिग्विजय सिंह खनन माफिया की शिकायत लेकर लोकायुक्त जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वीडी शर्मा ऐसे नेता हैं जिनके द्वारा एक प्रचारक की तरह अपना जीवन राष्ट्र के लिए दिया है। शर्मा का जीवन पूरी तरह से बेदाग है। उनका कहना है कि लोकायुक्त में की गई शिकायत में कोई तथ्य नहीं हैं। वे केवल उनकी छवि बिागड़ने का असफल प्रयास कर रहे हैं।

संचालनालय को पनौति मानते हैं वन विभाग के अफसर
मप्र में एक संचालनालय ऐसा है, जिसे अब आला अफसरों द्वारा पनौती माना जाने लगा है। दरअसल इस संचालनालय में जो भी अफसर पदस्थ होता है , वह अपने खिलाफ जांच का शिकार हो जाता है। इस संचालनालय को कमाऊ पूत के रूप में देखा जाता है। इसकी वजह से अखिल भारतीय सेवा के अफसरों की भी इसमें पदस्थ होने की रुचि अधिक होती है। यही वजह है कि जो भी अफसर यहां पर पदस्थ होता है वह अधिक दूध निकालने के फेर में पड़ जाता है, जिसकी वजह से उसके खिलाफ जांच शुरू हो जाती है। अगर बीते पांच सालों में देखे तों इसमें पांच अफसर पदस्थ हुए हैं और वे सभी फिलहाल जांच का सामना कर रहे हैं। यह वो संचानालय है जिसमें आईएफएस अफसर को ही प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किया जाता है। खास बात यह है कि अब इस विभाग में जो अफसर अभी पदस्थ हैं वे भी जांच के दायरे में आ गए हैं। उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू में शिकायत होने  के बाद जांच शुरू हो गई है। इस संचालनालय में सीधे मैनेजमेंट से काम चलता है। यही वजह है कि आज तक अफसरों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पायी  है।

अब सजायाफ्ता कर्मचारी की बर्खास्तगी के लिए लिखा पत्र
अब सूबे के मुखिया को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने फिर पत्र लिखा है। इस पत्र में उनके द्वारा हत्या के मामले में आजीवन कैद की सजा पाने वाले एक नगर निगम कर्मचारी को बर्खास्त करने की मांग की है। पत्र में सिंह ने लिखा है कि 5 फरवरी 2011 में भोपाल के हनुमानगंज थाना क्षेत्र में गुरुकृपा ट्रेवल्स के संचालक पप्पू भागचंद की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में न्यायालय द्वारा सुशील सुडेले के साथ ही राजकुमार चौरसिया को भी आजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी। इन दिनों सुडेले और चौरसिया जमानत पर है। चौरसिया को सजा होने के बाद भी उसे नगर निगम के झोन क्रमांक 11 में बतौर सुपरवाइजर के रूप में पदस्थ कर रखा गया है। इस मामले में उनके द्वारा चौरसिया को पदस्थ करने वाले अफसर पर भी कार्रवाई की मांग की गई है। दरअसल हाल ही में फिल्म निमार्ता प्रकाश झा और उनकी टीम पर हमला करने वालों में इसी चौरसिया का नाम सामने आ चुका है।

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