
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। दो दिन पहले प्रदेश में हुई बेमौसम बारिश ने एक अनुमान के मुताबिक सर्वाधिक तीन सौ करोड़ का नुकसान ग्वालियर अंचल में किया है। इस बारिश की वजह से इस अंचल में धान व सरसों को भारी नुकसान हुआ है। दरअसल यह बारिश ऐसे समय हुई है जब फसल खेतों में पककर कटने को तैयार होने की स्थिति में आ गई थी। हालत यह रही कि फसल पूरी तरह से खेतों में गिरकर बिछ गई है , तो वहीं खेतों में रखा कटा हुआ बाजरा भी बुरी तरह से भीग गया है।
यह वो इलाका हैं जहां पर पहले भी इसी साल बाढ़ की स्थिति बनने से फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थी, इसके बाद अब एक बार फिर इन्द्र देवता ने अपना रौद्र रुप दिखाया है। इसकी वजह से पहले से ही संकट का सामना कर रहे इलाके के किसानों की मुसीबत और बढ़ गई है। इस नुकसान के आंकलन के लिए अब स्थानीय जिला प्रशासन की टीमों को रवाना कर दिया गया है, तो कुछ जिलों में आज भी अमले को भेजा जा रहा है। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक इस बारिश से ग्वालियर में धान और सरसों को 300 करोड़, भिंड में अकेली सरसों में 210 करोड़, श्योपुर में दो करोड़ और दतिया में सात से 10 करोड़ रुपये का नुकसान माना जा रहा है।
ग्वालियर- अंचल के ग्वालियर जिले में 42 हजार हेक्टेयर में से 38 हजार हेक्टेयर में सरसों की बुआई की गई थी। खेतों में सिर्फ जोत आई थी। बीज अंकुरित भी नहीं हो पाया था। कृषि विज्ञानियों का कहना है कि बुआई पर किसानों ने 60 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया गया था। यहां पर सरसों की शत प्रतिशत फसल को नुकसान हुआ है। वहीं 95 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की गई थी। प्रति बीघा 12 से 15 हजार रुपये का खर्च के साथ ही तीन क्विंटल धान के नुकसान का अनुमान है। 1940 रुपये समर्थन मूल्य के हिसाब से 218 करोड़ रुपये के नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
भिंड- जिले के कृषि अधिकारियों के मुताबिक जिले में इस बार 1.92 लाख हेक्टेयर के सरसों के रकबे में से अब तक करीब 70 फीसद यानी 1.35 लाख हेक्टेयर में बोबनी हो चुकी थी। इसके लिए एक हेक्टेयर पर करीब 15 हजार रुपये लागत आती है। इस लिहाज से सरसों की बोबनी में किसानों को 202 करोड़ 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। ज्वार, बाजरा और तिल में 15-20 फीसद तक नुकसान है। धान में 10-15 फीसद तक नुकसान है।
श्योपुर- कृषि उप संचालक पी गुजरे के मुताबिक जिले में इस बार 38 हजार हेक्टेयर धान का रकबा था। अतिवर्षा से धान की फसल खेतों में बिछ गई है। प्रारंभिक आकंलन में 10 फीसद नुकसान बताया जा रहा है। एक हेक्टेयर पर करीब 14 से 17 हजार रुपये लागत आती है। इस लिहाज से धान की फसल में डेढ़ से 2 करोड़ का नुकसान संभावित है। प्रशासन का मानना है कि धूप निकलने से फसल फिर खड़ी हो सकती है।
दतिया- जिले में इस बार 75 हजार हेक्टेयर धान का रकबा था। 52.50 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी थी। 15 फीसद नुकसान है। एक हेक्टेयर पर करीब 12 से 15 हजार रुपये लागत खर्च आती है। धान की फसल में 7 से 10 करोड़ के नुकसान की आशंका है। जिले में सरसों की बोवनी में किसानों ने जिले में मात्र 150 हेक्टेयर में बुवाई की है।
सीएम दे रहे हैं ढांढस
पिछले दो दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश ने खड़ी और काटकर खलिहानों में रखी फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। फसलों को हुए नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से सर्वे कराकर क्षति का आंकलन करने के निर्देश दिए हैं। इसके आधार पर राजस्व परिपत्र पुस्तक के प्रावधान के अनुसान राहत राशि उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं, फसल बीमा भी दिलाने के प्रयास किए जाएंगे। सर्वे राजस्व और कृषि विभाग का संयुक्त दल करेगा और पंचायतों में प्रभावितों की सूची भी चस्पा की जाएगी। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल सहित अन्य संभागों में तेज हवा के साथ बारिश से खड़ी और काटकर खेत या खलिहान में रखी फसल को नुकसान पहुंचा है। कई जगह खेत व खलिहान में पानी भर गया है। इससे फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट की इस घड़ी में सरकार किसानों के साथ खड़ी है। जहां फसलों को नुकसान हुआ है, वहां सर्वे के निर्देश दे दिए हैं। क्षति का आंकलन करके किसानों को राहत पहुंचाई जाएगी।