बचत करने की जगह खर्च बढ़ाने की तैयारी की मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी ने

पॉवर जनरेशन

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पहले से आर्थिक संकट का सामना कर रही मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी ने खर्च कम करने की जगह करोड़ों रुपए खर्च करने की नए सिरे से तैयारी कर ली है। इसके लिए कंपनी द्वारा कोयला आपूर्ति का बहाना खोज लिया गया है।
कंपनी कोयला परिवहन के नाम पर एक साल में 50 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके लिए चार कंपनियों को हाल ही में कोयला परिवहन के लिए ठेका दे दिया गया है। खास बात यह है कि रेलवे द्वारा एक साथ बड़ी मात्रा में कोयला आपूर्ति का काम किया जा रहा है, इसके बाद भी सड़क मार्ग से कोयला आपूर्ति करने का निर्णय किसी के गले नहीं उतर रहा है। यह ठेका भी कंपनी द्वारा आपात हालात का बहाने दिया गया है।
कंपनी का दावा है कि सड़क मार्ग से कोयला परिवहन की व्यवस्था किए जाने से आगामी दस दिनों में कोयले की र्प्याप्त आपूर्ति मिल सकेगी। इसकी वजह से रेलवे और सड़क मार्ग दोनों से कोयला आ सकेगा। सवाल यह है कि जब कोल कंपनियों के पास कोयला ही नही है तो आपूर्ति कैसे अधिक हो सकेगी। इसके अलावा कंपनी की माली हालत पहले से ही बेहद खराब बनी हुई है, जिसकी वजह से वह कोल कंपनियों का पुराने बकाए के करीब 850 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं कर पा रही है, जिसकी वजह से कोल कंपनी कोयला कम दे रही हैं, वह भी नकद राशि का भुगतान करने पर। इस स्थिति में सड़क मार्ग से कोयला कहां से लाया जाएगा यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। उल्लेखनीय है कि अभी प्रदेश में सरकारी चारों पॉवर प्लांटों में महज 2500 मेगाबाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है। यह उनकी कुल क्षमता का आधे से भी कम है। इसकी वजह से निजी पॉवर प्लांटों से मांग के अनुरुप देने के लिए बिजली की खरीदी करनी पड़ रही है। सड़क मार्ग से कोयला मंगाए जाने के पीछे कंपनी का दावा है कि इससे तेजी से कोयला की आपूर्ति होगी, जिससे एक पखवाड़े के अंदर ही उत्पादन में करीब एक हजार मेगावॉट की वृद्धि होने का अनुमान है।
इसके अलावा कंपनी का कहना है कि कोल माइंस में पानी भर जाने की वजह से उनमें से कोयला निकालने में बेहद परेशानी आ रही है, जिसकी वजह से कोयला की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इसकी वजह से प्रदेश को हर दिन महज सात से आठ रैक ही कोयला की आपूर्ति हो पा रही है। यह मात्रा जरुरत के हिसाब से महज 50 फीसदी ही है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में हर दिन खपत के लिए 54 हजार मी टन कोयले की आवश्यकता होती है। कम कोयला आपूर्ति की वजह से इन दिनों प्रदेश में महज चार दिन का कोयला ही उपलब्ध है। यह हाल तब हैं जबकि कोयले की कमी की वजह से अधिकांश प्लांटों में कई यूनिटों को बंद रखा जा रहा है।
4 लाख मीटन कोयले के लिए करना होगा छह माह का इंतजार
कंपनी सूत्रों का कहना है कि दोनों तरह से कोयला परिवहन होने की वजह से कुछ समय बाद स्थिति में सुधार होना शुरू हो जाएगा। हालांकि स्थिति सामान्य होने में करीब छह माह का समय लग सकता है। कंपनी का मानना है कि करीब छह माह के इंतजार के बाद ही प्रदेश को हर माह 4 लाख मीटन कोयला मिलना संभव हो पाएगा। इसके लिए कोल कंपनियापें का बकाया 850 करोड़ रुपए का भुगतान भी जनरेशन कंपनी को करना होगा। उल्लेखनीय है कि इस बकाया भुगतान के लिए कंपनी द्वारा प्रदेश सरकार से 850 करोड़ रुपए की मांग की गई है , लेकिन अब तक कंपनी को महज 250 करोड़ रुपए ही दिए गए हैं।

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