
- पंकज क्षीरसागर
इंदौर शहर में जल प्रदाय की स्थिति असामान्य है। कभी जलूद के पम्पों में खराबी तो कभी पाइप लाइन लीकेज। चौबीसों घंटे जलप्रदाय का सपना दिखाने वालों से एक दिन छोड़कर पानी नहीं दिया जा रहा। कुल जमा सामान्य बरसात के बाद भी पानी का मामला टांय-टांय फिस्स है। शहर में सड़कों और ट्रैफिक की हालत किसी से छिपी नहीं है। मुख्य मार्गों में एमजी रोड साबुत बचा था। अब साल दो साल बड़ा गणपति से कृष्णपुरा तक बनेगा। शहर के मध्य सुभाष मार्ग पर अतिक्रमण अव्यवस्थाएं हैं। नाला टैपिंग, फाइबर लाइनों के गड्ढे हैं। इनके साथ जल प्रदाय लाइन्स, ड्रेनेज लाइनों के बरसात के गड्ढ़ों को भरे जाने की सिर्फ बातें हैं। ऐसा लगता है इन गड्ढ़ों को पाटने के लिए थोड़े बहुत ठेगले लगाकर इतिश्री हो गई है। इनका पक्का काम ही घटिया है तो कच्चा काम कैसा होगा? शहर धूल-धूल, धुआं-धुआं हो रहा है। हरियाली उद्यान स्कूल परिसर सामुदायिक भवन रैनबसेरा सब सही होंगे, यह उम्मीद करना ही गलत है। सफाई के आंकड़ों दावों और दिखावट के शोर में सब विषय गौण हैं। वेस्ट मैनेजमेंट की सच्चाई कभी तो सामने आएगी ही। व्यवस्थाएं खर्चा पानी करने के बाद जुटाई गई हैं। लेकिन काम कितना और कैसा हो रहा है?
सच्चाई यह है कि अब इंदौर में साफ सफाई का भी वो स्तर नहीं रहा। मशीनों से सफाई भी केवल दिखावटी है। जैसे विजय नगर से गीता भवन चौराहे तक। ‘आदर्श’ ग्रेटर कैलाश मार्ग, सांसद निवास, पलासिया चौराहे से रीगल। शास्त्री पुल से कृष्णपुरा पुल। कलेक्टर आॅफिस के आसपास जोरदार। यहीं पर आप रात को झाड़ू जत्थों के फोटो खींच सकते हैं। बेचारे स्वच्छता मित्रों को आधी रात ठंडी बरसात में परेशान होते हुए निगम के लिए ‘फोटो आॅप’ करना पड़ता है। अपर्याप्त साधनों में इनको बारिश में भीगते, ठंड में कांपते हुए काम करते देखा ही होगा।
खैर शहर में नशेड़ियों की गंदगी भी बढ़ गई है। इसलिए कुछ दिनों से शनिवार रात को इंदौर में चेकिंग होती है। गुंडागर्दी अपराध सभ्य समाज के जीने के लिए चुनौती है। ड्रग्स, लव जिहाद का कनेक्शन बड़ी साजिश का हिस्सा लगता है। त्यौहारों का क्रम प्रारंभ हो गया है। ऐसे में प्रशासन पुलिस निगम के लोगों पर व्यवस्थाओं को चाकचौबंद करने की बड़ी जिम्मेदारी है।
मोदीजी ने लाल बत्ती का रुतबा गाड़ियों से अलग कर दिया। लेकिन दिमाग से बाहर नहीं हुआ। मालिक, अपनी हूटर लगी, ओहदों और अहम की पट्टियों से विभूषित, मुंह मोड़ने के ‘पर्दा प्रथा’ से सुसज्जित एसयूवी गाड़ियों के बाहर, जनता वाली दुनिया में कदम रखेंगे तो सच पता चलेगा। इस शहर में सामान्यजन परेशान क्यों है।
जब तक प्रशासन निगम प्राधिकरण के लिए आॅगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर टैक्सी नहीं आ जाते, तब तक अपनी, भाभीजी की, बाबाओं की गाड़ियां मॉल स्कूल क्लास होटल तक आसानी से पहुंचे, इतना थोड़ा सा सड़कों अतिक्रमण ट्रैफिक पर ध्यान देने की कृपा करें।