माननीय नहीं बताना चाहते की उनकी आर्थिक सेहत

आर्थिक सेहत

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की माननीय नहीं चाहते की उनकी संपत्ति का खुलासा सार्वजनिक हो। शायद यही वजह है कि उन्हें हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा में देना होता है, लेकिन वे इसे देने में रुचि ही नहीं ले रहे हैं। यह स्थिति तब बनी हुई है जब विधानसभा सचिवालय द्वारा उन्हें बार-बार यह याद दिलाता रहा है। हालात यह हैं कि अब तक महज डेढ़ दर्जन विधायकों ने ही सचिवालय को इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई है। वर्तमान में मप्र विधानसभा में निर्धारित 230 की संख्या बल में से 227 विधायक हैं। उल्लेखनीय है कि मौजूदा 15वीं विधानसभा में 8 दिसंबर 2019 को संकल्प पारित किया गया था कि सभी विधायक अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा में पेश करेंगे। इस संकल्प पर सदन ने सहमति दी थी। इस संकल्प के पारित होने के बाद से ही माना जा रहा था कि इसका सभी सदस्य पूरी तरह से पालन भी करेंगे। सदन के संकल्प का पालन कराने की जिम्मेदारी विधानसभा की होती है, लिहाजा विस के सचिवालय द्वारा इसको लेकर लगातार विधायकों को याद दिलाई जाती रहती है।
इस साल 30 जून तक मांगा था ब्यौरा
विधानसभा सचिवालय द्वारा सभी सदस्यों से इस साल 30 जून तक ब्यौरा उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया था। इसके बाद लगभग डेढ़ दर्जन विधायकों द्वारा ही यह जानकारी विधानसभा सचिवालय को दी गई है। जिनके द्वारा अपनी संपत्ति की जानकारी दी गई है उनमें विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, विधायक डॉ. गोविंद सिंह, शैलेन्द्र जैन, प्रद्युम्न सिंह लोधी, अजय टंडन, नागेन्द्र सिंह गुढ़, संजय यादव, टामलाल रघुजी सहारे, रामपाल सिंह, लीना संजय जैन, आरिफ मसूद, ग्यारसी लाल रावत, चैतन्य कुमार कश्यप शामिल हैं।
अब मंत्री भी नहीं लेते रुचि
खास बात यह है कि 13वीं विधानसभा के दौरान 2011 में तय किया गया था कि मंत्री प्रतिवर्ष अपनी और अपने पर आश्रितों की संपत्ति का ब्यौरा हर साल सदन के पटल पर रखेंगे।  इसके बाद 2011 में 16 और 2012 में भी इतने ही सदस्यों ने ब्यौरा दिया। 2013 में 17 मंत्रियों द्वारा सदन में यह जानकारी दी गई। 14वीं विधानसभा में मंत्रियों ने चुप्पी साध ली जिसकी वजह से महज दो मंत्रियों ने ही ब्यौरा दिया। अब हालात यह हो गए कि 15वीं विधानसभा में मंत्रियों ने ब्यौरा देना ही बंद कर दिया।

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