बगावत और विद्रोह के स्वर गूंजे, मनाने की कवायद जारी

बगावत और विद्रोह

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में उपचुनाव वाली चारों सीट पर भाजपा व कांग्रेस में अब असंतुष्ट नेताओं के बगावती और विद्रोही स्वर गूंजने लगे हैं। यही वजह है कि अब दोनों ही दलों के नेताओं को मान-मनौव्वल की कवायद करनी पड़ रही है। दरअसल दोनों ही दलों के नेताओं को पता है कि अगर बागी होने वाले अपने- अपने नेताओं को मनाकर उन्हें चुनावी मैदान से नहीं हटाया गया, तो पार्टी का चुनावी गणित पूरी तरह से गड़बड़ा जाएगा।  यही वजह है कि अब दोनों ही दलों के दिग्गज नेताओं को बागी होकर नामंकन फार्म भरने वाले नेताओं को मनाकर उनसे नाम वापसी कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। दरअसल नाम वापसी के लिए 13 अक्टूबर को 3 बजे तक का समय तय किया गया है। अगर भाजपा की बात की जाए तो खंडवा लोकसभा सहित रैगांव, जोबट और पृथ्वीपुर में भी टिकट वितरण को लेकर पार्टी में अंतर्कलह सामने आ चुकी है।
रैगांव में टिकट कटने से दिवंगत विधायक जुगल बागरी के बेटे पुष्पराज और दिव्यराज की नाराजगी सामने आ चुकी है। इस सीट पर दिव्यराज की पत्नी वंदना अपना नामांकन फार्म दाखिल कर चुकी हैं। यह हालत तब है जबकि बीते रोज रैगांव प्रवास के दौरान सीएम शिवराज सिंह और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने पुष्पराज से न केवल बात की बल्कि उन्हें कुछ देर अपने साथ भी बनाए रखा। इस दौरान पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में की गई सभा में भी उन्हें मंच पर बिठाया गया। इसके अलावा भाजपा में आयातित प्रत्याशियों की वजह से नाराजगी बढ़ने की एक बड़ी वजह बनी है। जोबट और पृथ्वीपुर में भाजपा ने बाहर से आए प्रत्याशियों पर दांव लगाया है, जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं का विरोध मुखरता से सामने आ रहा है। यह बात अलग है कि पार्टी ने इस बार उपचुनाव में खंडवा और रैगांव में परिवारवाद से पूरी तरह से किनारा कर लिया।
 बगावत और विद्रोह को देखते हुए उस पर काबू पाने के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ ही संगठन महामंत्री सुहास भगत व हितानंद शर्मा कवायद में लगे हुए  हैं। कांग्रेस को जोबट सीट पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वहां दिवंगत विधायक कलावती भूरिया के भतीजे दीपक भूरिया ने बगावत कर दी है। पहले दीपक का नाम पैनल में था, लेकिन ऐनवक्त पर पार्टी ने महेश पटेल को टिकट दे दिया। इससे नाराज  दीपक ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया है। दीपक भूरिया ने शुक्रवार को अलीराजपुर कलेक्टोरेट पहुंचकर निर्दलीय नामांकन दाखिल किया। दीपक के समर्थकों ने महेश को प्रत्याशी बनाने की घोषणा के साथ ही नाराजगी जाहिर कर दी थी। उधर अगर कांग्रेस की बात की जाए तो जोबट में टिकट के दावेदार दीपक भूरिया ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर कांग्रेस की भी मुसीबत बड़ा दी है। उनका कहना है कि यह उनके सम्मान की लड़ाई है। पार्टी ने मौका नहीं दिया इसलिए वे अब निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं। उनका तो यह तक दावा है कि जनता का विश्वास उनके साथ है, जिसकी वजह से उनकी जीत तय है। उधर, जयस की ओर से निलंबित पटवारी नीतेश अलावा को मैदान में उतारा गया है।
इसकी वजह से अब जोबट में मुकाबला त्रिकोणीय होना तय माना जा रहा है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। दरअसल आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर तीन आदिवासी प्रत्याशी होने की वजह से उनका वोट बंटने का फायदा सुलोचना रावत को मिलने की संभावना बन रही है।
जोबट और पृथ्वीपुर में मुश्किल
आयतित नेताओं को प्रत्याशी बनाए जाने की वजह से जोबट में सुलोचना रावत का विरोध शुरू होने पर नामांकन पत्र जमा कराने राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय व अन्य नेताओं को अलीराजपुर जाना पड़ा। इसके साथ ही टिकट न मिलने से विद्रोही तेवर दिखाने वाले नागर सिंह और माधौ सिंह को चुनाव प्रबंधन, संचालन की जवाबदारी सौंपकर उन्हें मनाने का प्रयास किया गया है। इसी तरह से पृथ्वीपुर सीट पर समाजवादी पार्टी से भाजपा में आए शिशुपाल यादव का नामाकंन कराने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहन और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को जाना पड़ा। यहां पर मूल भाजपा के नेताओं में जमकर नाराजगी है। यह बात अलग है कि इस सीट पर भाजपा के किसी भी नेता ने बागी होकर नामांकन तो दाखिल नहीं किया है, लेकिन वे भितरघात की राजनीति में जरुर जुट गए हैं। इनमें वे नेता खासतौर पर शामिल हैं, जिनका चुनावी हक कई चुनावों से बाहरी प्रत्याशियों की वजह से मारा जा रहा है।
खंडवा में राजपूत और जयस से दिक्कत
खंडवा का चुनाव भाजपा के लिए बेहद प्रतिष्ठा का बना हुआ है। इस सीट पर ज्ञानेश्वर पाटिल को प्रत्याशी बनाए जाने से दिवंगत सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन बेहद नाराज हैं। वे अब तक कोपभवन में बने हुए है। उधर अन्य नाराज नेताओं में शामिल अर्चना चिटनीस एवं अन्य दावेदारों को संगठन मनाने में कामयाब बताया जा रहा है। यह बात अलग है कि खंडवा में राजपूत समाज भाजपा के खिलाफ पूरी तरह से लामबंद होते दिख रहे हैं। इसी तरह से भाजपा के लिए इस सीट पर भी जयस की सक्रियता मुसीबत खड़ी करती दिख रही है।

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