
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। माना जाता है कि उपचुनाव में प्रदेश की सत्तारुढ़ पार्टी को फायदा होता है, लेकिन खंडवा लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में फिलहाल ऐसी कोई स्थिति नजर नहीं आ रही है। इस सीट पर नामाकंन होने के साथ ही दोनों दलो के प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला होता नजर आने लगा है। हालत यह है कि फिलहाल इस सीट पर जीत किसकी होगी यह अनुमान लगाना कठिन बना हुआ है। यहां पर भाजपा ने लंबे समय तक किए गए बड़े चिंतन और मनन के बाद दो दशक बाद पिछड़ा वर्ग से आने वाले आने वाले बुरहानपुर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल तो वहीं कांग्रेस ने तीन बार मांधाता विधानसभा सीट से विधायक रह चुके ठाकुर राजनारायण सिंह पुरणी पर दांव लगाया है। इस सीट को भाजपा व कांग्रेस ने पूरी तरह से प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। इस सीट पर ओबीसी मतदाताआें द्वारा ही किसकी जीत होगी यह तय किया जाएगा। यही वजह है कि इस लोकसभा सीट के तहत आने वाली सभी आठों विधानसभा सीटों के लिए दोनों दलों ने अलग-अलग प्रभारी बनाकर अपने-अपने प्रभावशाली और बड़े नेताओं को चुनावी मोर्चा पर तैनात किया है। बीते लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आमने-सामने थे, जिसमें भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान ने कांग्रेस के अरुण यादव को पराजित कर दिया था। इस सीट पर उपचुनाव नंद कुमार सिंह के असमय निधन की वजह से हो रहा है। इस सीट पर अब बीजेपी के लिए अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने की चुनौती है, तो वहीं कांग्रेस के सामने इसे जीतने की बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस सीट के अगर राजनैतिक समीकरणों को देखें तो कांग्रेस मजबूत नजर आती है। दरअसल इस लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, इनमें से अभी कांग्रेस के पास चार, भाजपा के पास तीन और एक सीट निर्दलीय के पास है। निर्दलीय विधायक का समर्थन भी कांग्रेस को मिला हुआ है। इसमें भी खास बात यह है कि बीते साल हुए इस क्षेत्र के तहत आने वाली एक विधानसभा सीट पर कांग्रेस विधायक द्वारा दलबदल कर भाजपा से चुनाव लड़ने की वजह से भाजपा की सीटों की संख्या तीन हुई है।
कौन हैं कांग्रेस उम्मीदवार राज नारायण सिंह
कांग्रेस के खंडवा लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी राज नारायण सिंह मांधाता विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे चुके हैं। उन्हें इलाके का दिग्गज नेता माना जाता है। वे 1998 से लेकर 2008 तक लगातार मंधाता सीट से जीतते रहे हैं। उनकी इलाके में अच्छी पकड़, राजपूत और गुर्जर समाज में खासा प्रभाव माना जाता है। वे पूर्व मुख्यमंत्री, दिग्विजय सिंह के बेहद करीबी भी माने जाते हैं। उनका नाम सज्जन वर्मा, रवि जोशी, विजयलक्ष्मी साधौ और झूमा सोलंकी जैसे नेताओं ने प्रत्याशी बनाने के लिए आगे बढ़ाया था। दरअसल एससी वोटर्स पर साधौ और सज्जन सिंह वर्मा की तो आदिवासी वोटर्स के बीच झूमा सोलंकी की मजबूत पकड़ मानी जाती है।
कौन हैं भाजपा उम्मीदवार पाटिल
बुरहानपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आरक्षण के कारण 2005 में ज्ञानेश्वर पाटिल ने अपनी पत्नी जयश्री ज्ञानेश्वर पाटिल को चुनाव लड़वाया था। उस समय उनके द्वारा जीत हासिल की गई थी। इसके बाद वर्ष 2012 से 2014 तक पाटिल प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। इसके अलावा पाटिल मप्र राज्य पावरलूम बुनकर संघ अध्यक्ष भी रहे। सहकारी क्षेत्र में बुनकरों के साथ जुड़कर वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित बुरहानपुर के अध्यक्ष भी निर्वाचित हो चुके हैं। अब भाजपा ने पाटिल को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग के बड़े नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव की जगह ठाकुर समुदाय के पूरणी पर दांव लगाया है। इस लोकसभा क्षेत्र में 52 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखती है। इसकी वजह से ही भाजपा ने यहां पहली बार पिछड़ा कार्ड खेला है। यह दांव ऐसे समय लगाया गया है जब नंदकुमार के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाने पर बीजेपी के साथ जनता की सहानुभूति भी रहना तय मानी जा रही थी। वे एक केले व्यापारी के यहां से ताल्लुकात रखते हैं। वे 1987 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े उसके बाद भाजयुमो से जुड़कर 1989 लोकसभा व 1990 विधानसभा चुनाव के दौरान एक मतदान दस जवान कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित करते रहे। इसके बाद वे भाजपा युवा मोर्चा के खंडवा जिला महामंत्री के रुप में 95 से 1998 तक काम करने के बाद 2001 तक प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य युवा मोर्चा रहे। इसके अलावा वे मध्यप्रदेश भाजपा पंचायत राज प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री और जिला पंचायत अध्यक्ष पूर्व निमाड़ (खंडवा-बुरहानपुर) भी रह चुके हैं।
यह है इस सीट का अब तक का इतिहास
खंडवा लोकसभा सीट से 1952 और 1957 में कांग्रेस के बाबूलाल तिवारी, 1962 में कांग्रेस के महेश दत्ता मिश्रा, 1967 और 1971 में कांग्रेस के गंगाचरण दीक्षित ने दो बार जीत हासिल की, 1977 में भारतीय लोकदल के परमानंद ठाकुरदास गोविंदजीवाला, 1980 में कांग्रेस के ठाकुर शिवकुमार नवल सिंह, 1984 में कांग्रेस के कालीचरण रामरतन सकरगय, 1989 में भाजपा के अमृतलाल तारवाला, 1991 में कांग्रेस के ठाकुर महेन्द्र कुमार नवल सिंह, 1996, 1998, 1999 और 2004 में भाजपा के नन्द कुमार सिंह चौहान ने चार बार जीत हासिल की। 2009 में कांग्रेस के अरुण सुभाषचंद्र यादव ने जीत हासिल की थी। इस सीट के तहत विधानसभा सीटें मान्धाता, बुरहानपुर, बड़वाह, बागली, पंधाना, नेपानगर, बीकनगांव और खंडवा आती हैं। इनमें से बागली, पंधाना, नेपानगर, बीकनगांव सीटें अनुसूचित जनजाति और खंडवा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।