
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार भले ही इस माह के अगले सप्ताह दो हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने जा रही हो, लेकिन अच्छी बात यह है कि इस साल अब तक प्रदेश सरकार ने पात्रता की तुलना में अब तक 75 फीसदी कर्ज कम लिया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना संक्रमण काल में सरकार की आय गिरने के बाद भी प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। दरअसल बीते साल प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही राज्य सरकार को तत्काल ही नया कर्ज लेना पड़ा था, लेकिन अब हालात लगभग पूरी तरह से बदल चुके हैं।
अब तह इस वित्त वर्ष के छह माह में प्रदेश सरकार ने महज छह हजार करोड़ का ही कर्ज लिया है, जबकि इसी अवधि में प्रदेश सरकार को 24 हजार करोड़ रुपए के कर्ज लेने की पात्रता मिली हुई थी। इसे प्रदेश सरकार की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जा रहा है। अब सरकार द्वारा जो कर्ज लिया जा रहा है उसे पांच सालों के लिए खुले बाजार से उठाने की तैयारी है। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इस मामले में मुख्यमंत्री को फाइल भेजी जा चुकी है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने इस वित्त वर्ष के छह माह में अब तक तीन बार में 6 हजार करोड़ रुपए का कर्ज खुले बाजार से लिया है। यह कर्ज मप्र के सकल घरेलू राज्य उत्पाद (एसजीडीपी) के निर्धारित 3.4 फीसदी व केंद्र सरकार की ओर से मंजूर अतिरिक्त एक फीसदी यानी कुल 44 फीसदी से काफी कम है। सरकार इस अवधि तक में करीब 24 हजार करोड़ रुपए तक का कर्ज उठा सकती थी, किंतु महज 6 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ही लिया गया। अब नया कर्ज दो हजार करोड़ रुपए लेने के बाद वह बढ़कर 8 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा।
निर्माण व अधोसंरचना पर होगा खर्च
वित्तीय वर्ष 2021-22 की दूसरी छमाही अक्टूबर से मार्च 2022 तक में सरकार को निर्माण कार्यो से लेकर अधोसंरचना के कार्यों को पूरा करने के लिए अत्याधिक राशि की जरूरत पड़ना तय है। यही वजह है कि इसके लिए अब सरकार इन माहों में कम और अधिक समय का कर्ज ले सकती है। सूत्रों का कहना है कि नई छमाही में सरकार द्वारा लगभग पात्रता के अनुसार ही पूरा कर्ज लिया जा सकता है। दरअसल मुख्यमंत्री ने साफ संकेत दिया है कि कोरोना के बाद से स्थिति में सुधार हुआ है, हालांकि उनके द्वारा आगे हालात में तेजी से सुधार आए इसके लिए आय वृद्धि के अन्य उपायों पर भी जोर दिया जा रहा है। उनकी मंशा कम से कम राशि का कर्ज लेने की बनी हुई है। इसकी वजह है कि कम कर्ज होने पर आने वाले दिनों में इसके भुगतान में कोई समस्या नहीं आएगी। वाणिज्यिक कर विभाग व रेवेन्यू जनरेट करने वाले विभागों से कहा गया है कि वे बकाया वसूली पर ज्यादा ध्यान दें। आने वाले दिनों में ज्यादा से ज्यादा राशि का रेवेन्यू मिल सके।
प्रदेश पर है पहले से ढाई लाख करोड़ का कर्ज
मध्यप्रदेश सरकार पर बीते कुछ सालों में तेजी से कर्ज बड़ा है। इसकी वजह से हालत यह हो गई है कि प्रदेश सरकार पर अब तक 2 करोड़ 53 लाख 335 करोड़ से अधिक कर्ज हो चुका है। इसमें एक लाख 54 हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजार का है। शेष कर्ज में सरकार को पावर बांड सहित अन्य बांड का कंपनशेशन का 7360 करोड़, वित्तीय संस्थाओं की देनदारी 10,901 करोड़, केन्द्र सरकार के ऋण एवं अग्रिम के 31 हजार 40 करोड़ सहित अन्य दायित्व 20 हजार 220 करोड़ रुपए शामिल हैं। उल्लेखीनय है कि राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 52 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। बता दें कि राज्य पर कुल कर्ज राज्य के कुल बजट से ज्यादा हो गया है। मध्य प्रदेश का बजट 2.41 लाख करोड़ रुपए रहा था।