न घर के रहे न घाट के

अरुण यादव
  • अरुण के दांव से कांग्रेस के  पास यादव से बेहतर विकल्प

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
    विगत दिनों अरुण यादव ने बड़े ही शायरना व दार्शनिक अंदाज में चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया, जिससे निमाड़ ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में उनकी जमकर थू-थू हो रही है। पहली बार सांसद बनने पर ही उन्हें केन्द्रीय मंत्री बनाया गया था और उसके बाद चुनाव हारने के बाद भी उन्हें पीसीसी की कमान सौंप दी गई थी। उनके इस कृत्य से पार्टी हाईकमान बेहद नाराज है। इसकी वजह से अब माना जा रहा है कि वे अब न तो घर के रहे हैं और न ही घाट के। पार्टी को अब जहां नए सिरे से प्रत्याशी की तलाश करनी पड़ रही है, तो वहीं उसको जीत के लिए कड़ी मेहनत करने की चुनौती का भी सामना करना तय हो गया है। इसकी वजह से कांग्रेस और उसके रणनीतिकार अभी से खंडवा लोकसभा सीट के उपचुनाव में मुश्किल का सामने करने पर मजबूर हो गए हैं। यह बात अलग है कि भाजपा ने जोबट में सुलोचना रावत और उनके बेटे को भाजपा में शामिल कराकर कांग्रेस की राह कुछ हद तक आसान बना दी है। इससे कांग्रेस को न केवल मनमाफिक प्रत्याशी तय करने मे मदद मिली है, बल्कि उसे इससे नाराज भाजपाइयों का अप्रत्यक्ष रूप से साथ मिलना भी तय कर दिया।
    भाजपा ने इस सीट पर तय दल बदल की शर्त के मुताबिक  सुलोचना के बेटे विशाल का नाम लगभग तय कर दिया है। उनके नाम की अब घोषणा होना ही रह गया है। अगर खंडवा की बात की जाए तो अब अरुण यादव के चुनावी मैदान से हटने से कांग्रेस को अपने पुराने नेताओं की तलाश करनी पड़ रही है। इसकी वजह है जो पहले से दावेदार बने हुए हैं उन पर पार्टी को जीत का भरोसा नही हैं और जो पुराने नेता हैं वे चाहते हैं कि पार्टी पूरी तरह से चुनावी खर्च उठाए तो ही वे मैदान में उतरेंगे। इसकी वजह है लोकसभा चुनाव का बहुत अधिक खर्चीला होना ।  कांग्रेस अब निमाढ़खेड़ी से पूर्व में विधायक रह चुके राजनारायण पूर्णी, अभिताभ मंडलोई और झूमा सोलंकी जैसे चेहरों में संभावनाएं तलाशने को मजबूर हो गई है। इनमें से राजनारयण और अभिताभ को तो बीते कई सालो ंसे पार्टी लगभग भूल ही चुकी थी। अभिताभ पूर्व मुख्यमंत्री भगवंत मंडलोई के पोते हैं। अभिताभ पूर्व में 2004 में नंद कुमार सिंह चौहान के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। उस समय मंडलोई को हार का सामना करना पड़ा था। इनके अलावा कांग्रेस नेताओं द्वारा पूर्व विधायक झूमा सोलंकी और मेयर का चुनाव लड़ने वाली सुनीता सकरगाय के नामों पर भी विचार किया जा रहा है।
    इस बीच निर्दलीय विधायक सरेन्द्र सिंह शेरा अब भी अपनी पत्नी जय श्री की दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। फिलहाल पार्टी में इन सभी नामों को लेकर नए सिरे से मंथन का दौर चल रहा है। उधर , इस बीच अरुण यादव ने पार्टी को भरोसा दिलाया है कि वे पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरी मेहनत करेगें।  उधर भाजपा में भी चारों सीटों के लिए स्थानीय स्तर पर मंथन को दौर पूरा कर लिया गया है। प्रदेश संगठन द्वारा नामों की सूची अंतिम मुहर लगने के लिए दिल्ली भेज दी गई है। बताया जा रहा है कि इस सूची में सिर्फ एक – एक दावेदार का ही नाम भेजा गया है। भाजपा एक दो दिन में कभी भी इन नामों की घोषणा कर सकती है। भाजपा की ओर से खंडवा लोकसभा के लिए हर्ष चौहान का नाम बताया जा रहा है।
    उनके नाम को लेकर मुख्यमंत्री को संगठन की असहमति के चलते अपने बीटो के इस्तेमाल करने की खबर है। इसी तरह से पृथ्वीपुर से पूर्व सपा  नेता शिशुपाल यादव, जोबट से विशाल रावत और रैगांव सीट से भी बागरी परिवार के ही किसी सदस्य का नाम बताया जा रहा है।
    भाजपा की भी कम नहीं हो रही मुसीबत
    भाजपा के लिए भी पृथ्वीपुर और जोबट में मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पृथ्वीपुर में बाहरी के मुद्दे को लेकर भाजपाई सक्रिय हो गए हैं। दरअसल शिशुपाल सिंह मूल रुप से पड़ौसी  राज्य उप्र के झांसी के रहने वाले हैं। वे बीता चुनाव इस सीट से सपा के टिकट पर लड़ चुके हैं। उनके नाम को लेकर  इस सीट पर गहरी नाराजगी दिखने लगी है।  यह सीट वैसे भी भाजपा के लिए सबसे कठिन मानी जा रही है। इस सीट पर बीते आम चुनाव में भी भाजपा ने सीट से इतर रहने वाले नेता अभय प्रताप पर दांव लगाया था, जो चौथे स्थान पर रहे थे। वे प्रदेश में सबसे कम मत पाने वाले प्रत्याशी साबित हुए थे।  लगभग इसी तरह के हालात जोबट में भी बन गए हैं। इस सीट पर भाजपा नेता विशाल रावत को पचाने के लिए तैयार नही हैं। यही वजह है कि इस सीट पर जहां भाजयुमो के जिलाध्यक्ष पहले ही निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके है ,तो वहीं तमाम भाजपा नेता इस्तीफा की भी पेशकश कर चुके हैं। इन दोनों ही सीटों पर फिलहाल भाजपा की ओर से अपने प्रत्याशियों के खिलाफ भारी भिरतघात के हालात नजर आना शुरू हो गए हैं। इसकी वजह से भाजपा ने अभी से इन दोनों ही सीटों पर असंतोष दूर करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
    बसपा ने बनाई उपचुनावों से दूरी
    बहुजन समाज पार्टी ने अपनी नीति के तहत इन चारों सीटों पर होने वाले उपचुनावों से दूरी बनाने का पूरी तरह से तय कर लिया है। यह बात अलग है कि अपवाद स्वरुप पार्टी प्रदेश में बीते साल हुए 28 सीटों के उपचुनाव में मैदान में उतर चुकी है। इसके बाद हुए दमोह उपचुनाव में भी बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। इसी तरह से अब होने जा रहे चारों सीटों पर भी बसपा ने चुनाव न लड़ने का तय कर लिया है। इसके लिए बसपा प्रदेश इकाई को निर्देश भी मिल चुके हैं। गौरतलब है कि हाल ही में बतौर बसपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह यादव द्वारा अपना नामांकन पत्र दाखिल किया जा चुका है।

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