- प्रणव बजाज

…तो अरुण और हर्ष हो सकते हैं आमने -सामने
उपचुनाव की घोषणा के साथ ही भाजपा और कांग्रेस में प्रत्याशी चयन के लिए मंथन का दौर तेज हो गया है। हालांकि इसमें सबसे महत्वपूर्ण खंडवा लोकसभा सीट पर पहले से अरुण यादव और हर्ष यादव के बीच मुकाबला होना तय माना जा रहा है, लेकिन जब तक दोनों नेताओं के नाम की घोषणा उनके दलों द्वारा नहीं कर दी जाती है तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसकी वजह है , दोनों ही दलों में इन नेताओं के विरोधी पावरफुल होना। हालांकि चुनावी तारीखों का एलान हुआ तो सीएम शिवराज सिंह पार्टी दफ्तर पहुंचे और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत से चर्चा की। शाम को सीएम ने सभी चुनाव वाले जिलों के प्रभारी मंत्री, स्थानीय मंत्री, पार्टी पदाधिकारी, जिलाध्यक्षों के साथ कैबिनेट के तमाम सदस्यों के साथ बैठक की। उधर अमरीका में इलाज करा रहे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ 2 अक्टूबर को भोपाल आ रहे हैं। इसके बाद ही कांग्रेस की गतिविधियां जोर पकड़ सकेंगी।
शुरू हुई भोपाल आईजीकी तलाश
इन दिनों सरकार द्वारा ऐसे आईपीएस अफसर की तलाश की जा रही है , जिसे भोपाल जोन की कमान दी जा सके। इसकी वजह है मौजूदा एडीजी ए साई मनोहर की जल्द ही दिल्ली में की जाने वाली पदस्थापना। मनोहर को दिल्ली पदस्थ उनकी पसंद की वजह से ही किया जा रहा है। हाल ही में उनके द्वारा डीजीपी विवेक जौहरी से भेंट कर नई दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन में रिक्त पद पर पदस्थापना का आग्रह किया गया था। इसके बाद डीजीपी द्वारा पदस्थापना को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से चर्चा की जा चुकी है। इसकी वजह से ही अब नए अफसर की भोपाल में पदस्थापना के लिए तलाश शुरू कर दी गई है। इसके लिए फिलहाल एडीजी साइबर सेल योगेश देशमुख, गृह सचिव श्रीनिवास वर्मा, एडीजी गुप्त वार्ता-2, योगेश चौधरी व आईजी गुप्त वार्ता राकेश गुप्ता के नाम चर्चा में आ गए हैं। यदि वर्मा को भोपाल जोन की कमान दी जाती है, तो राकेश गुप्ता का गृह सचिव बनना तय माना जा रहा है।
बढ़ सकती हैं तुलसी सिलावट की मुश्किलें
भाई साब के बेहद करीबी और शिव सरकार के पावरफुल मंत्रियों में शामिल तुलसी सिलावट पर इन दिनों उनका निर्वाचन रद्द होने की तलवार लटक रही है। उनके खिलाफ 2018 के विधानसभा चुनाव में आचार संहिता के उल्लंघन का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। इस मामले में हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूरा रिकार्ड तलब किया गया है। यह रिकॉर्ड भी 8 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई से पहले पेश करने को कहा गया है। याचिका में उन पर आरोप लगाया गया है कि जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने 2018 के चुनाव में अपने नामांकन पत्र के साथ जमा किए जाने वाले शपथ पत्र में भी गलत जानकारी दी थी। शपथपत्र में उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी नहीं दी थी। इसके अलावा उन पर चल रहे क्रिमिनल केस और शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी गलत जानकारी दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि नियमानुसार शपथपत्र में गलत जानकारी देने पर चुनाव शून्य घोषित किया जा सकता है।
भारी पड़ा कोयले की दलाली में हाथ काले करना
खनिज से जुड़े दस अफसरों को कोयले की दलाली में हाथ करना भारी पड़ गया है। इन अफसरों के खिलाफ आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया है। यह मामला छिंदवाड़ा के भाजीपानी कोयला खदान में हुए घोटाले से जुड़ा हुआ है। इस घोटाले में डब्ल्यूसीएल, प्रदेश के कई खनिज अधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का गठजोड़ सामने आया है। इन अफसरों ने मिलीभगत से लाखों टन कोयले का अवैध उत्खनन कर शासन को करोड़ों रुपए की चपत लगा डाली। ईओडब्ल्यू एसपी डीएस राजपूत ने बताया कि वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड भाजीपानी, छिंदवाड़ा में वर्ष 2004 से 2011 तक डब्ल्यूसीएल द्वारा भाजीपानी खदन से 423864 मिट्रिक टन कोयले का उत्पादन व डिस्पेच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से वायु एवं जल सहमति के बिना किया गया था। इसके लिये वायु एवं जल सहमति नहीं ली गई थी, जबकि इसके लिये 1,00,000 रुपए तथा प्रतिवर्ष नवीनीकरण शुल्क 80,000 रुपए निर्धारित है। इसके साथ ही शासन आदेश के बाद भी जिम्मेदार अफसरों द्वारा मौके पर निरीक्षण नहीं किया गया।