
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। खराब सड़कों के मामले में पहले से ही बेहद परेशानी का सामना कर रही प्रदेश की शिव सरकार की मुसीबत अब बिजली संकट ने बढ़ा दी है। हालत यह है कि अब सरकार को विपक्ष तो ठीक अपने ही दल के विधायक व नेता तक निशाने पर लेने में पीछे नहीं रह रहे हैं। इससे न केवल इस मामले में सरकार की बदनामी हो रही है, बल्कि उसकी मुश्किलें भी बढ़ती ही जा रही हैं। यह बिजली संकट ऐसे समय खड़ा हुआ है जब प्रदेश में एक लोकसभा और तीन विधानसभा के उपचुनाव होने हैं।
दरअसल प्रदेश में मांग बढ़ने के साथ ही यकायक बिजली का उत्पादन तेजी से गिर रहा है। इसकी वजह है बिजली कंपनियों के साथ ही सरकार का कुप्रबंधन। इस वजह से बिजली जनरेट कंपनी का कोल कंपनियों पर बकाया लगभग एक हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। जिसके चलते कोल कंपनियों ने कोयला की आपूर्ति कम कर दी है। बीते कुछ दिनों से पहले अघोषित रूप से कई-कई घंटों की बिजली कटौती शुरू हुई तो लोगों को कुछ समझ ही नहीं आया। इस बीच जब हर दिन के हालात यह बन गए तो हाय तौबा होना शुरू हो गई। खास बात यह है कि बिजली महकमे द्वारा गुपचुप रूप से बिजली कटौती का प्लान बनाकर लागू कर दिया गया जिसकी जानकारी विधायकों तक को नहीं दी गई। इससे नाराज विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर होना शुरू कर दिया है। इस मामले में एक के बाद एक विधायक सामने आ रहे हैं। कोई सूबे के मुखिया को पत्र लिख रहा है तो कोई सार्वजनिक रुप से बयान देकर अपनी नाराजगी जता रहा है। इस मामले में अब टीकमगढ़ के भाजपा विधायक राकेश गिरी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि उनके इलाके में 12 से 15 घंटे अघोषित बिजली कटौती हो रही है। इस वजह से किसान फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। बिजली कटौती से जनता में बेहद नाराजगी है। उनके द्वारा अघोषित बिजली कटौती बंद करने की मांग की है। इसी तरह से बिजली कटौती को लेकर भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा है कि अधिकारी झूठी जानकारी दे रहे हैं। इस मामले में भाजपा को बड़ा नुकसान हो रहा है। उनका तो साफतौर पर कहना है कि पूरे विंध्य इलाके में बिजली कटौती को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। किसान, व्यापारी, आम आदमी को बिजली नहीं मिल पा रही है। मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री को इसे स्वयं देखना चाहिए। वे बिजली कटौती को लेकर चार सितंबर से बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी तक दे चुके हैं। उनके अलावा इस मामले में बागली विधायक पहाड़ सिंह, और यशपाल सिंह सिसौदिया तक चिंता जता चुके हैं। इससे पहले इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई पहले ही निशाना साध चुके हैं। फिलहाल इस मामले में जल्द ही सुधार के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
तहसील के साथ ही जिला स्तर पर होगी अघोषित बिजली कटौती
प्रदेश में लगातार बिजली संकट बना हुआ है। इसकी वजह से प्रदेश के लगभग सभी ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती का सिलसिला बना हुआ है। बीते रोज हालात यह रहे कि मांग व आपूर्ति में करीब डेढ़ हजार मेगावाट का अंतर बना रहा। बीते रोज सोमवार को वास्तविक मांग करीब 11 हजार मेगावाट रही , लेकिन बिजली की उपलब्धता सिर्फ 9,500 मेगावाट की रही। करीब 1500 मेगावाट का अंतर की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में 2 से 8 घंटे की रोटेशन कटौती की की गई। इसकी वजह से लोगों में जमकर नाराजगी है। अगर यही हालात बने रहे तो रबी सीजन में सिंचाई को लेकर हालात और खराब हो सकते हैं। फिलहाल जो आसार बने हुए हैं उसके तहत यह तय है कि अगले एक-दो दिनों में तहसील और जिला स्तर पर कटौती की जाएगी। इसके लिए तैयारी की जा रही है।
दरअसल कोयले की कमी के कारण थर्मल पावर का उत्पादन तो पहले से ही कम हो रहा है, ऐसे में अब हाइड्रल पावर प्लांट भी धोखा दे रहे है। बांधों में पानी की कमी और यूनिट के खराब होने के कारण हाइड्रल पावर का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। बीते रोज हाइड्रल पावर के 2435 मेगावाट क्षमता वाले प्लांट से महज 727 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हुआ। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा ओवर ड्रॉ पर रोक के बाद भी बीती रात सात बजे 8 रुपए प्रति यूनिट की दर से 514 मेगावाट बिजली ली गई।
कोयला संकट है बड़ी वजह
दरअसल प्रदेश में बिजली की कमी की बड़ी वजह है कोयला संकट। कोल कंपनियां कोयले की आपूर्ति बेहद कम कर ही हैं। इसकी वजह से प्रदेश के सभी थर्मल पॉवर प्लांटों को कोयले की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से प्रदेश के 3 थर्मल पावर प्लांटों में उत्पादन बंद करना पड़ गया है। हालत यह है कि कायेले की कमी की वजह से सारणी पावर प्लांट की 200 मेगावॉट इकाई, 210 मेगा वाट इकाई, सिंगाजी पावर प्लांट के 600 मेगावाट की इकाई और बिरसिंहपुर पावर प्लांट की एक इकाई में बिजली उत्पादन पूरी तरह से बंद है। दरअसल, कोल इंडिया कंपनी और प्रायवेट जनरेटर से कोयला बेहद कम मात्रा में मिल रहा है। दरअसल बिजली कंपनियों को प्राइवेट सप्लायरों को 1200 सौ करोड़ और कोल इंडिया को 1000 करोड़ का भुगतान करना है। यह राशि भुगतान न किए जाने की वजह से यह हालात बने हैं।
कांग्रेस भी मोर्चा खोलने की तैयारी में
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि अघोषित बिजली कटौती से बच्चों की पढ़ाई के साथ काम-धंधे भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। यदि स्थिति में जल्द सुधार नहीं होता है तो कांग्रेस आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर होगी उनका कहना है कि सरकार का दावा है कि 21 हजार मेगावाट बिजली उपलब्ध है, तो फिर लगातार अघोषित कटौती क्यों की जा रही है।