शिव सरकार के सफल प्रयासों से मप्र बन सका है वन्य प्राणी समृद्ध

वन्य प्राणी समृद्ध
  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व बाघ सहित अन्य कई वन्य जीवों के लिए आदर्श आश्रय स्थल के सर्वाधिक अनुकूल स्थान है

    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश को वैसे तो प्रकृति ने अति सुंदर और हरित बनाया है। वहीं राज्य सरकार ने भी वन्य प्राणी संरक्षण एवं प्रबंधन पर विशेष ध्यान देकर इसे वन्य प्राणी समृद्ध प्रदेश बनाने में किसी प्रकार का कोई प्रयास पीछे नहीं छोड़ा है। यानी शिव के सफल प्रयासों से ही प्रदेश को यह सफलता मिली है यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा और यही वजह है कि मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल है।
    उम्मीद है कि आने वाले समय में मप्र बाघों की संख्या के मामले में फिर से टॉप पर होगा। प्रदेश में बाघों की संख्या सात सौ से ज्यादा होने की उम्मीद है। खास बात है कि टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में विशेष योगदान देने वाली पेंच टाइगर रिजर्व की कालर कली बाघिन का नाम विश्व में सबसे ज्यादा प्रसव और शावकों के जन्म का अनूठा कीर्तिमान भी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पिछले डेढ़ दशक के दौरान श्रेष्ठ और सतत वन्य प्राणी प्रबंधन के प्रयासों से ही यह मुकाम हासिल हुआ है।
    संरक्षित क्षेत्रों के बाहर के वनों में वन्य प्राणी प्रबंधन पशु-हानि, जन घायल एवं जनहानि प्रकरणों की दक्षता एवं तुरंत निपटारा मानव वन्य प्राणी का श्रेष्ठ प्रबंधन वन्य प्राणी अपराध पर नियंत्रण रहवासियों का बेहतर प्रबंधन स्थानीय समुदायों के संरक्षण प्रयासों में भागीदारी संरक्षित क्षेत्र के ग्रामों का विस्थापन और उच्च गुणवत्ता के वन्य प्राणियों की उपलब्धता आदि के बेहतर क्रियान्वयन से प्रदेश को यह गौरवान्वित करने वाले उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
    सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में मिला स्थान
    उल्लेखनीय है कि प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के साथ ही यहां तेंदुओं की संख्या भी देश में सबसे ज्यादा है। यही नहीं प्रदेश अब घड़ियाल और गिद्धों की संख्या के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर नंबर वन बनने की स्थिति में आ चुका है। खास बात है कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल किया गया है। वर्तमान में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व बाघ सहित अन्य कई वन्य जीवों के लिए आदर्श आश्रय स्थल के सर्वाधिक अनुकूल स्थान है। बता दें कि तीन साल पहले वर्ष 2018 में हुई बाघों की गणना में मध्यप्रदेश में 526 बाघ होने के साथ ही प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला। इन बाघों में लगभग साठ फीसदी टाइगर रिजर्व के क्षेत्रों में और चालीस फीसदी बाघ बाकी अन्य क्षेत्रों में उपलब्ध है। जानकारी के मुताबिक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 124 बाघ मौजूद है। इस साल अक्टूबर माह में तीन चरणों में होने वाली बाघों की गणना के शुरूआती आंकड़ों पर नजर डालें तो बाघों की संख्या के मामले में मध्यप्रदेश टॉप पर ही रहेगा।
    ये हैं उत्कृष्ट वन मंडल क्षेत्र
    प्रदेश में बालाघाट जिले के क्षेत्रीय वनों में नौ साल पहले तक बाघों की संख्या नगण्य थी जबकि कान्हा पेंच कॉरिडोर का महत्वपूर्ण घटक रहते हुए हमेशा से यह वन मंडल उत्कृष्ट वन क्षेत्र रहे है। विभागीय सतत प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि इन वन मंडलों में अब लगभग तीन दर्जन से भी अधिक बाघों की उपस्थिति पाई जाती है। उत्तर शहडोल, उमरिया, कटनी, दक्षिण सिवनी, बैतूल, भोपाल होशंगाबाद व सीहोर आदि जिलों की वन क्षेत्र इसी तरह के उदाहरण है।

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