
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश की राजनीति में अब ओबीसी आरक्षण का मामला पूरी तरह से उफान पर बना हुआ है। इस मामले में भाजपा व कांग्रेस के बीच जबरदस्त संघर्ष की स्थिति बन चुकी है। इस बीच इस मामले में अब संघ ने मैदानी स्तर पर मोर्चा संभालने की तैयारी शुरू कर दी है। संघ का साथ मिलने की वजह से अब इस मामले में भाजपा को फायदा मिलना तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में इन दिनों चार दिवसीय मध्यभारत प्रांत की बैठक चल रही है, जिसमें शामिल होने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी आए हुए हैं। इस बैठक में राजनैतिक मामलों की चर्चा के दौरान ओबीसी आरक्षण के मामले में ताजा हालातों पर भी विचार विमर्श किया गया है। इस बीच तय किया गया कि अब संघ ओबीसी आरक्षण और आदिवासियों के बीच दोहरी ताकत के साथ अपनी सक्रियता बढ़ाएगा। संघ का मानना है कि विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस इन दोनों ही वर्गों को लेकर भ्रम फैला कर उन्हें बरगलाने के प्रयासों में लगा हुआ है। इस भ्रम को दूर करने के लिए अब संघ अपने स्वयंसेवकों की टोलियां बनाकर मैदानी स्तर पर उतारेगा, जिसमें ओबीसी वर्ग को आरक्षण के लिए भाजपा की प्रदेश सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के बारे में न केवल उन्हें जागरुक किया जाएगा, बल्कि विपक्ष की असलियत भी बताई जाएगी। चार दिवसीय बैठक के दौरान होसबोले ने इस दौरान संघ के कोरोना सेवा कार्यों की समीक्षा के दौरान कहा कि कोरोना महामारी के संकट काल में भी समाज में अनेक नई-नई बातों का सृजन किया है। हमारे यहां कहा गया है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। आवश्यकता के अनुरूप ही मनुष्य नई नई चीजों का निर्माण करता है। इस दौरान उनके द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों के साथ सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी मंथन किया गया। संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति ने हमें बताया है कि संकट आने पर डरना नहीं है। और उनकी इस महामारी में भी हमारे समाज में उसी अनुरूप कार्य किया है। हम डरे नहीं हम सभी ने इस महामारी का डटकर मुकाबला किया कोरोना की इस महामारी के कालखंड में हमने समाज को साथ लेकर समाज की सेवा के कार्य को साधना मानकर लगातार किया है।
कौशल विकास के बारे में बताते हुए होसबोले ने कार्यकर्ताओं से कहा कि हमें सीखने का प्रयास लगातार करना चाहिए। सुदर्शन जी ने हर विषय को सीखने का प्रयास किया। सीखने का आयु से कोई संबंध नहीं है। वे हमेशा नए-नए विषयों को सीखते और अपने कार्य के अनुकूल उसे बनाते रहते थे।
सरकार भी पूरी तरह से फ्रंटफुट पर
ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश की शिव सरकार पूरी तरह से फ्रंटफुट पर दिख रही है। इसके लिए सरकार द्वारा एक बड़ी बैठक भी की जा चुकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया है कि हाईकोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील तुषार मेहता की सेवाएं ली जाएंगी। इसके साथ ही तय किया गय है कि हाईकोर्ट में 1 सितंबर को होने वाली सुनवाई के समय सरकार की ओर से प्रकरण की अंतिम सुनवाई कर फैसला करने का आवेदन दिया जाएगा। करीब तीन घंटे तक चली बैठक में इसमें 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देना सुनिश्चित करने की रणनीति पर मंथन किया गया। इस बैठक में बैठक में मंत्री कमल पटेल, मोहन यादव, इंदर सिंह परमार व रामखेलावन पटेल, बीजेपी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भारतसिंह कुशवाह, विधायक कृष्णा गौर, प्रदीप पटेल और एडवोकेट जनरल पुरुषेन्द्र कौरव मौजूद रहे।
स्वयंसेवक के आचरण को बताई उसकी पहचान
कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में स्वयंसेवक के आचरण , उसके चाल चलन से उसकी पहचान बनती है स्वयंसेवक अपने कार्य के प्रति जिद्दी है और समाज के कष्ट को देखकर वह तुरंत ही सक्रिय होता है। संघ स्वयंसेवक प्रमाणित है ऐसा समाज मानता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि बी एंड मेक बनो और बनाओ। एक स्वयंसेवक हमेशा स्वदेशी के बारे में सदैव आग्रही रहता है।
नाथ सरकार ने पीएससी में 14 फीसदी आरक्षण पर दी थी सहमति
नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह के मुताबिक नाथ सरकार ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय ओबीसी को आरक्षण देने का नाटक किया था, जबकि उनकी ही सरकार के एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में कहा कि प्रदेश सरकार पीएससी में ओबीसी वर्ग के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण ही चाहती है। ऐसे में 13 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाई जाए। इसके बाद एक साल तक नाथ सरकार ने इस मामले में कोर्ट में अपना पक्ष ही नहीं रखा। उनका दावा है कि शिवराज सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण देने के अलावा सरकारी नौकरी में मैरिट आधार पर अलग से लाभ दिया था। लेकिन नाथ सरकार के समय कैबिनेट ने इस अतिरिक्त लाभ को बंद कर दिया।