चुनावी जिम्मेदारी मिलते ही बढ़ने लगी प्रभारी नेताओं की धड़कनें

चुनावी जिम्मेदारी

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में उपचुनाव से पहले ही भाजपा के जनप्रतिनिधियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। यह वे जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें इन उपचुनावों में पार्टी प्रत्याशी की जीत का जिम्मा दिया गया है। दरअसल इन नेताओं को भय सता रहा है कि मौजूदा हालातों को देखते हुए उपचुनाव में जीत आसान नहीं है। इसकी वजह है दमोह में मिली हार के बाद केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का कद कम किया जाना।
प्रदेश की जिन चार सीटों पर उपचुनाव होना हैं उनमें दो सीटों को भाजपा के लिए अभी से कठिन माना जा रहा है। इनमें खंडवा लोकसभा के अलावा पृथ्वीपुर विधानसभा शामिल है। इन दोनों जगहों पर भाजपा के सामने मजबूत प्रत्याशी की तलाश मुसीबत बनी हुई है। प्रदेश में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द होने की संभावनाओं को देखते हुए सत्ता और भाजपा संगठन ने अपने सांसद, मंत्री और विधायकों को अभी से जिम्मेदारी प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपना पूरा ध्यान खंडवा लोकसभा सीट पर लगा  रखा है। इन धडकनों के बढ़ने की अपनी वजह भी है। इस समय महंगाई के साथ ही पेट्रोल व डीजल के दाम आसमान को छू रहे हैं। अपराध व भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भी आमजन प्रदेश सरकार से नाराज है। उधर, कार्यकर्ता भी सरकार में महत्व न मिलने की वजह से नाराज चल रहे हैं। फिलहाल अब जिम्मेदारी मिलने के बाद नेताओं द्वारा अपने-अपने इलाकों को फीडबैक लेने का काम शुरू कर दिया गया है। इसकी वजह है उन्हें पता है कि इन उपचुनावों पर केंद्रीय नेतृत्व की पूरी नजर रहने वाली है। इसके आधार पर उनकी योग्यता का आंकलन किया जाएगा।
तीन उपचुनाव में मैनेजमेंट के माहिर खिलाड़ियों को किस सीट पर कौन- कौन मंत्री बनाए प्रभारी: निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र का मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया और भारत सिंह कुशवाह को दायित्व दिया गया है। इसमें जातिगत समीकरण का भी पूरा ध्यान रखा गया है। यह सीट कांग्रेस विधायक के निधन से रिक्त हुई है। दूसरी विधानसभा सीट सतना जिले की रैगांव है। यह सीट भाजपा विधायक के निधन से रिक्त हुई है। इसका जिम्मा मंत्री द्वय रामखेलावन पटेल, बिसाहूलाल सिंह और बृजेंद्र प्रताप सिंह के साथ ही सांसद गणेश सिंह को दिया गया है जबकि अलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग, प्रेम सिंह पटेल, सांसद गजेंद्र पटेल और विधायक रमेश मेंदोला को बनाया गया है।
दिग्गज मंत्रियों को रखा गया दूर
इस बार उपचुनाव का जिम्मा देने में सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों को पूरी तरह से दूर रखा गया है। दरअसल दमोह में सरकार द्वारा उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह को चुनाव प्रभारी और गोपाल भार्गव को सह प्रभारी बनाया गया था। इसके अलावा स्वयं प्रदेश संगठन के समूचे शीर्ष नेताओं ने भी लगातार डेरा डालकर काम किया था इसके बाद भी भाजपा प्रत्याशी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। इस हार का ठीकरा स्थानीय सांसद द्वारा अपने विरोधी पूर्व मंत्री जयंत मलैया पर फोड़े जाने के बाद भी केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल अपनी साख नहीं बचा पाए, जिसकी वजह से उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्वतंत्र प्रभार की जगह राज्यमंत्री के रुप में पदावनत कर दिया गया। यह बात अलग है कि इस बार जिन मंत्रियों व विधायकों को प्रभार दिया गया है वे प्रहलाद पटेल की तरह संबंधित इलाके से सीधा वास्ता नहीं रखते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कुछ राहत रहेगी। दरअसल भाजपा ऐसा राजनैतिक दल है, जो हार व जीत का पूरा आंकलन करता है। इससे साफ है कि इसका असर जिम्मेदार सांसद, मंत्री और विधायकों की साख पर भी पड़ता है। यह बात अलग है कि दमोह उपुचनाव में भाजपा प्रत्याशी को लेकर मतदाताओं में बेहद नाराजगी थी।
प्रदेश पदाधिकारियों को भी दिया जिम्मा
बीजेपी ने उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए अभी से 10 मंत्री 26 सांसद और विधायकों को भी जिम्मा सौंपा है। खास बात यह है कि संगठन ने खंडवा संसदीय सीट के तहत आने वाली चारों विधानसभा सीटों पर अलग-अलग प्रदेश पदाधिकारियों की तैनाती कर दी है। इनमें पदाधिकारियों में आलोक शर्मा, कविता पाटीदार, चिंतामणि मालवीय और जीतू जिराती शामिल हैं। इनमें बुरहानपुर जिले में प्रदेश उपाध्यक्ष आलोक शर्मा, खंडवा जिले में प्रदेश महामंत्री कविता पाटीदार, देवास जिले में प्रदेश उपाध्यक्ष चिंतामणि मालवीय और खरगोन जिले में प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती को प्रभारी बनाया गया है। 

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