कमलनाथ के पैर मध्यप्रदेश व दिल्ली दोनों जगह बने रहेंगे

कमलनाथ

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के दिल्ली जाने की खबरें समाप्त होने का नाम नहीं ले रही हैं। यह खबर अभी पूरी तरह से समाप्त भी नहीं हुई थी कि एक बार फिर उनकी दिल्ली में राहुल गांधी से हुई मुलाकात ने उनको लेकर फिर से अटकलों को हवा दे दी है। नाथ को लेकर बीते एक माह से इसी तरह की अटकलें लगातार लगाई जा रही हैं। इन अटकलों को तब और बल मिला था, जब उनकी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हुई थी। गौरतलब है कि वैसे भी कमलनाथ प्रदेश की सत्ता से हटने के बाद मप्र से अधिक दिल्ली में ही रहना पसंद कर रहे हैं।
इस बीच प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष पद के दावेदार भी अपने अपने हिसाब से सक्रिय भी बने हुए हैं। इनमें उनके समर्थक और अन्य नेता भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि कमलनाथ को पार्टी हाईकमान बतौर अपना राजनैतिक सलाहकार बनाने की तैयारी में है, लेकिन नाथ मप्र को नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसी बात को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। वर्तमान में कमलनाथ प्रदेश के ऐसे नेता हैं जिनके पास पार्टी अध्यक्ष के अलावा नेता प्रतिपक्ष की भी जिम्मेदारी है। नाथ और उनके समर्थकों को लग रहा है कि दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी बीते आम चुनाव की ही तरह अच्छा प्रदर्शन कर फिर सत्ता पा सकती है। बताया जा रहा है कि इसी संभावना को देखते हुए कमलनाथ पूरी तरह से दिल्ली की राजनीति में नहीं जाना चाहते हैं।
नाथ और उनके समर्थक जानते हैं कि अब दिल्ली की राजनीति में लौटने पर प्रदेश में वापसी करना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह मानी जा रही है कि पार्टी आलाकमान द्वारा अब तक उन्हें दिल्ली लाने के प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहे हैं। दरअसल नाथ दिल्ली में सक्रिय होने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस की कमान अपने हाथों में ही रखना चाहते हैं, यही वजह है कि उनके द्वारा पार्टी हाईकमान को बता दिया गया है कि वे दिल्ली में उनकी मदद करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन वे इसके लिए पीसीसी अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ेंगे। नाथ ने नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने का जरूर आश्वासन दे दिया है।
बताया जा रहा है कि पार्टी हाईकमान इसके लिए तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि अब तक उनकी दिल्ली में क्या भूमिका रहने वाली है इसको लेकर कोई घोषणा नहीं हो पा रही है। असल में पार्टी हाईकमान उन्हें स्व अहमद पटेल की भूमिका देने की तैयारी कर चुका है। कमलनाथ पार्टी के उन नेताओं में शामिल हैं जो गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम करने का अनुभव तो रखते ही हैं साथ ही इस परिवार के बेहद करीबी भी माने जाते हैं।  उन्हें दिल्ली की राजनीति का भी अनुभव अन्य नेताओं की तुलना में अधिक है। इसकी वजह है कि अगर उनका यह कार्यकाल छोड़ दिया जाए तो वे शुरू से लेकर अब तक दिल्ली की ही राजनीति करते रहे हैं।
पार्टी सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि कल दिल्ली में राहुल गांधी के आवास पर हुई विपक्षी नेताओं की नाश्ते की बैठक के पीछे कमलनाथ का ही दिमाग था। इस बैठक के बहाने कांग्रेस एक बार न केवल विपक्ष की अगुवाई करने वाली पार्टी बनकर उभरी है, बल्कि राहुल गांधी को आम विपक्ष के नेता के रूप में प्रमुख दावेदार बनाने के प्रयासों में भी सफल होती दिख रही है।
दावेदारों में जारी है हलचल
कमलनाथ के दिल्ली जाने की बन रही संभावनाओं को देखते हुए पीसीसी अध्यक्ष पद से लेकर नेता प्रतिपक्ष बनने की इच्छा रखने वाले तमाम नेता इन दिनों लगातार अपनी दावेदारी को लेकर सक्रिय बने हुए हैं। पार्टी के अधिकांश बड़े नेता प्रतिपक्ष की कमान संभालने के लिए अपने -अपने दांव-पेंच चला रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष पद के लिए जिन दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं उनमें गोंविद सिंह, बाला बच्चन जैसे नेता भी शामिल हैं।
उपचुनावों को लेकर भी हुई चर्चा
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में कमलनाथ व राहुल गांधी के बीच हुई मुलाकात में प्रदेश में जल्द संभावित एक लोकसभा व तीन विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर भी चर्चा की गई है। इस मुलाकात के बाद नाथ ने कहा है कि उपचुनावों से राहुल गांधी दूर ही रहते हैं, जिसकी वजह से इससे संबंधित सभी फैसले प्रदेश कांग्रेस द्वारा ही लिए जाएंगे। नाथ के इस बयान के बाद भी माना जा रहा है कि खंडवा लोकसभा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी के सबसे बड़े दावेदार अरुण यादव को लेकर फैसला राहुल गांधी द्वारा ही लिया जाएगा। इसकी वजह है उनका सीधा राहुल कैंप से जुड़ा होना। गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति में अरुण यादव को कमलनाथ का विरोधी माना जाता है।  

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