
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। जहरीली और नकली शराब से हुई तमाम मौतों के बाद प्रदेश व राज्य सरकार की पूरे देश में बदनामी कराने के बाद आखिरकार प्रदेश का आबकारी व पुलिस महकमा सक्रिय हुआ तो 24 घंटों के अंदर ही कई शहरों में दर्जनों तस्कर लाखों की अवैध शराब के साथ धर दबोचे गए।
इस बीच गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं, जिसकी वजह से आबकारी विभाग का समूचा अमला ही संदेह के घेरे में आता नजर आने लगा है। उधर शराब पीने से हुई मौतों के मामले में मंदसौर, खरगौन व इंदौर पुलिस की गिरफ्त में कई फरार आरोपी आ गए हैं। वे भी कई आश्चर्यजनक खुलासे कर रहे हैं। दरअसल एक बड़ा खुलासा यह भी हुआ है कि ब्रांडेड कंपनियों की शराब में अकेले इंदौर शहर में ही मिलावट नहीं की जा रही थी, बल्कि इसी तरह का मिलावट का बड़ा खेल भोपाल में भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसका खुलासा भी बीती रात पकड़े गए तस्करों से पूछताछ में हुआ है। इनके पास से सस्ती गोवा ब्रांड की शराब पकड़ी गई है। इसे महंगी शराब में मिलावट के लिए ही लाया गया था। खास बात यह है कि जिन तस्करों से बड़ी मात्रा में शराब बरामद की गई है उनसे अब तक यह पता नहीं लगाया गया है कि आखिर वह इतनी बड़ी मात्रा में शराब कहां से लाते हैं। यह बात अलग है कि जहरीली और अवैध शराब के मामलों में अब तक सरकार और शासन जिम्मेदार आबकारी अफसरों पर कोई भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं दिखा सका है।
बीती रात आबकारी व पुलिस ने भोपाल शहर के तीन इलाकों से चार तस्करों को उस समय धरदबोचा जब वे शराब की तस्करी के साथ ही मिलावट कर रहे थे। उनके पास से हरियाणा की शराब भी बरामद हुई है। यह शराब स्टेट बैंक चौराहा, रेलवे स्टेशन व लालघाटी से बरामद की गई है। खास बात यह है कि इनमें से दो आरोपी दतिया के रहने वाले हैं। जबकि आबकारी विभाग ने दो ऐसे तस्करों को भी गिरफ्तार किया है जो अपने घर पर हरियाणा में बेची जाने वाली महंगी शराब के नामी ब्रांडों में शामिल ब्लेंडर्स प्राइड, ब्लैक लेबल, एमडी, रॉयल स्टैग, मैजिक मोमेंट में गोवा और जिप्सी ब्रांड की सस्ती शराब को मिला रहे थे। इस मामले में लालघाटी निवासी 58 साल के गोविंद कुकरेजा और ईदगाह हिल्स निवासी 18 साल के रणवीर को उनके मकान से रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। इनसे कुल 145 बोतलें बरामद की गई हैं। इसी तरह से भोपाल रेलवे स्टेशन के पास से दतिया निवासी 23 वर्षीय अरहान से ओनली फॉर सेल हरियाणा की रेड लेबल, हंड्रेड पाइपर, ब्लू लाइट, रॉयल चैलेंजर्स और रॉयल स्टैग की एक लाख कीमत की 72 बोतलें बरामद की गई हैं। इन्हें वह भोपाल में होम डिलीवरी करने के लिए लाया था। इनसे भोपाल में महंगे ब्रांडों में सस्ती शराब की मिलावट का खुलासा होने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। उधर, इंदौर के आबकारी अमले ने भी एक ऐसे तस्कर को गिरफ्तार किया है, जो शराब की तस्करी का काम बीते लंबे समय से कर रहा था। वह अवैध रुप से शराब लाकर होम तस्करी करता था। उसके पास से रॉयल स्टैग के अलावा अन्य ब्रांड की भी विदेशी शराब की बोतलें बरामद की गई हैं। इसी तरह से पुलिस व आबकारी अमले ने बीते रोज ही ग्वालियर में 4 दर्जन तस्करों को, इंदौर के नौ क्षेत्रों से कई तस्करों को और जबलपुर में एक शराब से भरे वाहन को पकड़ा है।
गठजोड़ से चल रहा है लंबे समय से कारोबार
इस मामले में अब तक जो खुलासे हुए हैं उससे साफ हो गया है कि यह खेल लंबे समय से जारी था। इसमें ठेकेदार, अफसरों और माफिया की भूमिका खुलकर सामने आ रही है। खास बात यह है कि इसको अब भी जिम्मेदार मानने को तैयार नहीं हैं। खरगोन में नकली शराब के कारोबार में पकड़ाए मुख्य आरोपी कालका प्रसाद ने खुलासा किया कि वह धंधे में पांच साल से है। रोहित प्रजापति और गौरव उर्फ लक्की उसके सहयोगी थे। कालका के संपर्क में इंदौर का राहुल उर्फ बंटी भी था, उसने आत्महत्या कर ली थी।
इंदौर के सभी बारों में बिक रही नकली शराब
इंदौर के आबकारी अमले की लापरवाही एक बार फिर उन दोनों बार संचालकों से पूछताछ में सामने आयी है, जिनके यहां से शराब खरीदकर पांच लोगों की मौत हुई है। इस मामले में गिरफ्तार पैराडाइज और सपना बार के संचालक योगी यादव, विकास बरेड़िया और पंकज सूर्यवंशी ने पूछताछ में कई राज उगले। उन्होंने बताया कि शहर के लगभग सभी बारों में नकली शराब बिक रही है। उनका कहना है कि यह शराब सस्ती पड़ती है जिसकी वजह से उसे खरीदकर बेचा जाता है। खास बात यह है कि इस मामले में आबकारी विभाग के दावों की पोल एक बार फिर खुल गई है।
तीन लोगों ने गंवाई रोशनी
जूनी इंदौर पुलिस के मुताबिक, जहरीली शराब पीने से सिंधी कॉलोनी में रहने वाले तरुण की आंखों की रोशनी चली गई है। मामले में पुलिस ने बंटी सुधवानी निवासी पंचशील नगर को गिरफ्तार किया है। सूत्रों की मानें तो दो और युवकों ने भी आंख खराब होने की बात कही है। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है। जांच में पुलिस को पता चला कि खंडवा, बुरहानपुर और खरगोन के तस्कर आसपास के शहरों में स्प्रिट से बनी नकली शराब खपा रहे हैं। इसके लिए इंदौर से ढक्कन, रैपर और होलोग्राम पहुंचाए जाते थे।
आबकारी अफसर की निगरानी के बाद भी बाहर आ जाती है शराब
खास बात यह है कि अधिकांश अंग्रेजी शराब की तस्करों को आपूर्ति प्रदेश की शराब फैक्ट्रियों से ही की जाती है। इनमें शराब निकासी की निगरानी के लिए आबकारी अफसरों की भी तैनाती के बाद भी शराब बाहर आ जाती है। इस तरह के मामलों में आबकारी अफसरों की शराब निर्माताओं से मिलीभगत रहती है। शायद यही वजह है कि शराब तस्करों से इस मामले का खुलासा होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
इस वजह से बढ़ रही है तस्करी
दरअसल लाइसेंसी शराब दुकानों पर शराब सिंडिकेट द्वारा मनमाने दामों पर महंगी शराब बेची जा रही है, जिसकी वजह से अवैध शराब कम कीमत पर मिलती है। इसकी वजह से अवैध शराब की मांग तेजी से बढ़ी है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में अवैध शराब का कारोबार 2 सालों में तेजी से फला-फूला है। इन पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ मामला दर्ज कर आरोपी की गिरफ्तारी कर इतिश्री कर ली जाती है। अगर उनसे पूछताछ के आधार पर पूरी चैन का खुलासा कर उन पर भी कार्रवाई की जाती तो इस तरह के हालात ही नहीं बनते। दरअसल मिलावटी अवैध शराब विक्रय से तस्करों को 5 गुना तक मुनाफा मिलता है।