बगीचे के लिए सरकारी नाले तक को नहीं छोड़ा भास्कर ग्रुप के मालिकों ने

भास्कर ग्रुप

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। आयकर विभाग द्वारा छापे मारे जाने के बाद दैनिक भास्कर समूह के मालिकों के कई कारनामों का खुलासा लगातार हो रहा है। इनमें से एक कारनामा है उनका सरकारी नालों पर कब्जा करने का। इस नाले पर कब्जा उनके द्वारा अपने घर के बगीचे को बनाने के लिए किया गया है। इसके लिए उनके द्वारा अपने रसूख का इस्तेमाल कर न केवल उसे पूरी तरह से पाट दिया गया, बल्कि उसके आसपास की जमीन पर भी कब्जाकर  उस पर बगीचा बना लिया गया। नाला पाट दिए जाने के कारण अब उससे पानी नहीं निकल पाने की वजह से बारिश में इस नाले के आसपास रहने वाले लोगों के सामने गंभीर मुसीबत खड़ी हो जाती है। दरअसल कई दशक पहले राजस्व विभाग ने ई-1, अरेरा कॉलोनी में प्लॉटों को काटकर उन्हें लीज पर आवंटित किया था। इन्ही में से एक ई-1 अरेरा कालोनी स्थित प्लॉट क्रमांक-79 को सुधीर अग्रवाल पिता रमेशचंद्र अग्रवाल ने 30 वर्ष की लीज पर लिया था। इसका 8000 वर्ग फीट का क्षेत्रफल है। इसकी लीज दो साल बाद 2024 में समाप्त हो रही है। दरअसल यह प्लॉट नाले के पास  है। यह प्लाट नाले के पास होने से अपने रसूख का फायदा उठाते हुए उन्होंने बंगले के बगीचे के लिए नाले  के साथ ही उसके आसपास की लगी हुई सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर बगीचा तैयार कर लिया है। अग्रवाल बंधुओं के रसूख को देखते हुए जिला प्रशासन और नगर निगम अधिकारियों द्वारा भी इस अवैध कब्जे को हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

मुख्य सड़क और आसपास भर जाता है पानी
भास्कर समूह के मालिकों ने जिस नाले पर कब्जा कर उसे पाटकर बगीचा बना लिया है, वह करीब 15 फीट चौड़ा है। यह नाला तेज बारिश में आसानी से पानी निकासी के लिए बनाया गया था। लेकिन , अब नाले पर कब्जा कर लिए जाने से बारिश का पानी नहीं निकल पाने की वजह से सड़क सहित आसपास के इलाकों में पानी के भर जाने से लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही नहीं तेज बारिश में होने वाले जलभराव की वजह से दुर्घटना का भी भय बना रहता है।

किए हुए हैं अफसर आंखें बंद
खास बात यह है कि भास्कर के मालिकों द्वारा जिस नाले की जिस जमीन पर बगीचा बनाया गया है, वह जमीन अब भी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के नक्शे में नाले और खाली भूमि के रूप में दर्ज है। नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए इस बगीचे की जानकारी सभी संबंधित अफसरों को भी है । इसके बाद भी जिला प्रशासन और नगर निगम के यह अफसर आंखें बंद किए हुए हैं। खास बात यह है कि नाले पर कब्जा अतिक्रमण की श्रेणी में आता है। भू-राजस्व संहिता की धारा-248 के तहत संबंधित सर्कल या तहसील का अधिकारी सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसमें अतिक्रमण हटाने का खर्च संबंधित से वसूल किए जाने का भी प्रावधान है।

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