जी हां! भास्कर वाले अखबार के साथ मांस, मछली भी बेचते हैं

भास्कर समूह

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भास्कर समूह के मालिक आग्रवाल बंधु के ठिकानों पर की गई छापे की कार्रवाई में अब तक कई तरह के चौकाने वाले खुलासे हुए हैं, इसी तरह के कई अन्य खुलासे आगे भी होने की संभावना बनी हुई है। इस खुलासे में पता चला है कि यह लोग समाचार पत्र और उससे जुड़े व्यवसाय के अलावा मांस, मछली और सब्जी बेचने तक का भी व्यवसाय करते हैं। समूह की इस कंपनी के संचालक खुद डायरेक्टर समूह के एमडी सुधीर अग्रवाल रह चुके हैं। आयकर की टीमें इन कंपनियों की बैलेंस शीट खंगालने में जुटी हैं। आयकर विभाग के नीति निर्धारक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा किए गए दावे में अब तक छापे में 2200 करोड़ रुपए का संदिग्ध लेनदेन सामने आना बताया गया है। अब इस समूह से जब्त दस्तावेजों की जांच की जा रही है। हद तो यह हो गई कि इस समूह द्वारा अपने कई कर्मचारियों के नाम पर भी धोखे से कई शैल कंपनियां बनाई जाने की बात सामने आयी है। इसके अलावा कई अन्य तरह के फर्जीवाड़ा करने का भी खुलासा हुआ है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस समूह के भोपाल मुख्यालय से मीडिया, ऊर्जा, टेक्सटाइल और रियल एस्टेट जैसे कई क्षेत्र में कारोबार किया जा रहा था। इस  समूह का सालाना टर्नओवर 6000 करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा है। अब तक छापे में मिले समूह की कंपनियों के कारोबार में कर चोरी और अन्य कानूनी उल्लंघन का पता लगाने का काम जारी है। उधर सीबीडीटी भी कंपनी कानून के खंड 49 के कुछ हिस्सों व सेबी के नियमों के उल्लंघन की पड़ताल कर रही है। इसके अलावा अब समूह के बेनामी लेनदेन कानून के तहत भी जांच शुरू करने की तैयारी कर ली गई है। सीबीडीटी के दावे के मुताबिक इस ग्रुप द्वारा मीडिया के अलावा खनन, अस्पताल, शराब, ऊर्जा और रियल एस्टेट का भी कारोबार किया जा रहा है। शुरूआती जांच में 90 करोड़ रुपये के अघोषित लेनदेन का पता चल चुका है। जिसका इस्तेमाल संपत्ति खरीद में किया जाता था। इसके अलावा भारी कर चोरी का भी पता चला है।
सीबीडीटी का दावा है कि भास्कर समूह की अनुषांगिक कंपनियों में ऐसे 408 करोड़ रुपये का पता चला है , जिसे बेहद कम दर पर कर्ज के रूप में दिया गया है, जबकि रियल एस्टेट कंपनी अपने कर योग्य लाभ से ब्याज के खर्च का दावा करती रही है, इसे होल्डिंग कंपनी के व्यक्तिगत निवेश के लिए डायवर्ट किया गया। इसी के साथ यह भी पता चला है कि भास्कर समूह की ओर से विज्ञापन राजस्व के तौर पर असल भुगतान की जगह अचल संपत्ति भी ली जाती थीं और यह भी पता चला है कि जिनमें इन संपत्तियों की बिक्री के नाम पर नकदी का भुगतान हुआ है। समूह के सीईओ पीजी मिश्रा व सत्येंद्र व्यास से कंपनियों के बारे में दिनभर पूछताछ की गई है। मिश्रा को कुछ कंपनियों में डायरेक्टर बताया गया है। इसके अलावा किसी राजेन्द्र जोशी को भी एक दर्जन से अधिक कंपनियों का संचालक बताया गया है। उनके यहां भी जांच जारी है। उल्लेखनीय है कि भास्कर समूह के 7 राज्यों और 9 शहरों में करीब 3 दर्जन ठिकानों पर तीन दिन पहले छापे की कार्रवाई शुरू की गई थी। अब तक इस समूह के वित्तीय घोटाले और कानून उल्लंघन से जुड़े इतने अधिक दस्तावेज मिले हैं जिनकी स्कूटनी में ही कई माह का समय लग सकता है।  
इस तरह से किया रसूख का बेजा इस्तेमाल
भास्कर समूह ने मीडिया की दम पर हासिल किए रसूख का जमकर उपयोग अपनी मनमानी के लिए किया है। यह मनमानी जमीन हथियाने से लेकर उस पर कब्जा बनाए रखने तक में किया गया। यही वजह है कि समूह के रसूख के चलते उद्योगों के लिए आंवटित की गई जमीन को भी सरकार खुलेआम नियम तोड़ने के बाद भी वापस लेने की हिम्मत नहीं दिखा सकी है। इसका उदाहरण है सिंगरौली में थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए एक दशक पहले सरकार से ली गई जमीन पर प्लांट आज तक नहीं लगाया , लेकिन उस जमीन को अब तक सरकार वापस नहीं ले सकी है, जबकि नियमानुसार जमीन आवंटन के बाद 4 से 5 साल में अगर उत्पादन शुरू नहीं होता है तो शासन जमीन और अन्य सुविधाएं वापस ले लेती है। इसी तरह के एक अन्य मामले में राज्य शासन ने भोपाल के पास अचारपुरा में एजुकेशन इंस्टिट्यूट के लिए आवंटित करीब सौ एकड़ जमीन रिलायंस ग्रुप से 3 साल पहले वापस ले भी चुकी है। दरअसल भास्कर समूह ने जिस प्लांट के नाम पर यहां सरकार से सुविधाएं हासिल की थीं, उस प्लांट को अपने छत्तीसगढ़ के कोरबा में शिफ्ट कर दिया। 735 एकड़ जमीन डीबी पावर द्वारा दस साल पहले सिंगरौली जिले के गोरबी में 660- 660 मेगा वाट के दो यूनिट शुरू करने के लिए ली गई थी। इसमें किसानों से ली गई जमीन भी शामिल है, जिसके एवज में महज औने-पौने दामों का ही भुगतान किया गया। अब यह किसान मजदूरी करने को मजबूर बने हुए  हैं।
300 फीसदी तक लगेगा जुर्माना
आयकर विभाग ने भास्कर समूह पर अब तक छापे में 700 करोड़ रुपए की ऐसी आय का पता लगाया है कि जिस पर बीते छह सालों से कर का भुगतान ही नहीं किया गया है। इसके साथ ही भास्कर ग्रुप की कंपनियों से 2200 करोड़ रुपए के फंड ट्रांसफर की जानकारी भी सामने आयी है , जिसका लेन-देन काल्पनिक रुप से किया गया है। इस राशि के एवज में किसी सामान का आदान प्रदान नहीं हुआ है। अब यह जांच की जा रही है कि इस 2200 करोड़ की राशि पर कितना कर बनता है और किन-किन कानूनों का उल्लंघन इसमें किया गया है। इसके साथ ही करोड़ों रुपए के बोगस खर्चे की भी जानकारी पाई गई है। इसके अलावा छापे में अग्रवाल बंधुओं और उनके कर्मचारियों के घरों से 26 लॉकर्स की भी जानकारी मिली है।
बैंक से भी की धोखाधड़ी
छापे में यह भी खुलासा हुआ है कि भास्कर समूह ने डीबी मॉल के नाम पर बैंक से 597 करोड़ का कर्ज लिया और उसमें से 408 करोड़ रुपए अपनी दूसरी कंपनी को एक प्रतिशत ब्याज पर दे दिया। यह बैंक के साथ धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा गया है। विभाग ने पड़ताल में कंपनी कानून व सेबी के नियमों का उल्लंघन भी पाया है। इस मामले में अलग से कार्रवाई की जाएगी।
300 फीसदी तक का हो सकता है जुर्माना: 700 करोड़ रुपए की आय पर छह साल की कर वसूली के साथ ही विभाग को इस राशि पर 100 से लेकर 300 फीसदी तक जुर्माना वसूलने का अधिकार है। सीबीडीटी का कहना है कि जांच के दौरान समूह की ऐसी कंपनियां भी मिली हैं, जिनमें भारी अनियमितताएं की गई हैं।
इन कंपनियों से जुड़े हैं सुधीर अग्रवाल
भास्कर समूह की जिन कंपनियों की जानकारी छापे में सामने आई है उनमें से कुछ कंपनियों में सीधे तौर पर सुधीर अग्रवाल जुड़े हुए हैं। इनमें विज्ञापन का काम करने वाली न्यू इरा पब्लिकेशन्स प्रा. लि., इंश्योरेंस एवं पेंशन फंडिंग को छोड़ कर वित्तीय मध्यस्थता में सहयोगी गतिविधियां को करने वाली भास्कर इंडस्ट्रीज प्रा. लि. ,प्रिंटिंग एवं प्रिंटिंग से संबंधित सर्विस एक्टिविटीज को करने वालीं राइटर्स एंड पब्लिशर्स प्रा. लि., डीबी कॉर्प लिमिटेड और पब्लिशिंग का काम करने वाली भास्कर पब्लिकेशन्स एंड एलाइड इंडस्ट्रीज प्रा. लि. , विद्या सॉल्वेंट प्रा. लि. हैं इसमें वे डायरेक्टर हैं। यह कंपनी मीट, फिश, फूड, वेजीटेबल्स, ऑयल एवं फैट का प्रोडक्शन, प्रिजर्वेशन एवं प्रोसेसिंग विलय का काम करती है। इसी तरह शाश्वत होम्स एलएलपी में वे इंडिविजुअल पार्टनर हैं। यह कंपनी कंस्ट्रक्शन का काम करती है।  अन्य कंपनियों में शामिल विस्टा नेचुरल रिसोर्सेस प्रा. लि. में वे संचालक हैं, यह कंपनी सर्विस एक्टिविटीज, ऑयल एंड गैस एक्सट्रेक्शन का काम करती है। अन्य जिन कंपनियों में वे संचालक है उनमें विद्युत का उत्पादन, संग्रहण एवं वितरण का काम करने वाली डीबी पॉवर (छत्तीसगढ़) लि. डॉल्बी माइनिंग एंड पॉवर प्रा. लि., शुल्क या कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर थोक विक्रय का काम करने वाली डीबी कॉन्सोलिडेटेड प्रा. लि., टेलीकम्युनिकेशन्स का काम करने वाली आई मीडिया कॉर्प लि कंपनी शामिल है। इसी तरह से वे जिन कंपनियों में डेजिग्नेटेड पार्टनर हैं उनमें थोक व्यापार एवं कमीशन व्यापार, मोटर व्हीकल्स एवं मोटरसाइकिल को छोड़ कर काम करने वाली अग्रवाल विजन एलएलपी , दिव्या कॉन्सोलिडेटेड एलएलपी , डीबी हेरीटेज एलएलपी और रियल एस्टेट एक्टिविटीज को काम करने वाली इशान माल एलएलपी कंपनी शामिल है।
एक सैकड़ा कंपनियों में से कई कर्मचारियों के नाम पर
सीबीडीटी का कहना है कि भास्कर समूूह के पास मिली 100 से अधिक कंपनियों मे से कई में कर्मचारियों को ही हिस्सेदार और निदेशक बनाया गया है। जिनका उपयोग  राशि को ठिकाने लगाने के लिए किया जाता था। जांच में इनमें से कई कर्मचारियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें उनके नाम पर चल रहीं इन कंपनियों के बारे में कोई पता ही  नहीं हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपना आधार और डिजिटल हस्ताक्षर सिर्फ कंपनी के भरोसे पर दिए थे , जिनमें कई मालिकों व प्रवर्तकों के रिश्तेदार भी हैं जिन्हें उनके नाम पर चल रही कंपनियों का कुछ पता ही नहीं है। इन कंपनियों का उपयोग मानव श्रम, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक और नागरिक कार्यों से जुड़े पेशों के नाम पर किया जा रहा था।  

Related Articles