
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में अगले महीने से खसरे की व्यवस्था बदल जाएगी। यानी खसरे लिखने की अब नई प्रणाली शुरू होने जा रही है। अब तक चली आ रही क, ख, ग की व्यवस्था बंद हो जाएगी। दरअसल अब इसे लेकर भू-अभिलेख विभाग पूरे प्रदेश में खसरा नंबर की अल्फा न्यूमैरिक प्रणाली को बंद करते हुए सिर्फ न्यूमेरिक प्रणाली में करने जा रहा है। इसके संबंध में आयुक्त भू अभिलेख ने सभी जिलों को खसरा नंबर सुधार के निर्देश जारी कर दिए हैं। अभी तक जमीनों के जो खसरा नंबर लिखे जाते हैं वे अल्फा न्यूमैरिक होते हैं, अर्थात इनमें नंबर के साथ क,ख, ग आदि अक्षरों का भी इस्तेमाल होता है, लेकिन अब भू-अभिलेख पूरी तरह कंप्यूटरीकृत हो चुके हैं। ऐसे में अल्फा न्यूमैरिक नंबर वाले खसरों की लिंक कंप्यूटर नक्शे से स्थापित नहीं कर पाता है। जिससे खसरे के नक्शे कंप्यूटर में नहीं लिख पाते हैं। नई व्यवस्था के लागू होने से इसमें बेहतर सुधार हो जाएगा। आयुक्त भू अभिलेख ज्ञानेश्वर बी पाटील ने खसरा नंबर की नई व्यवस्था लागू करने के निर्देश देते हुए कहा कि ग्राम के नक्शा में केवल आंकिक संख्या ही
प्रदर्शित हो सकती है और यह संख्या ग्राम के खसरा अभिलेख में उल्लेखित खसरा नंबर से जुड़ी रहती है। जैसे कोई खसरा नंबर अल्फा न्यूमैरिक है यानी खसरा नंबर में जैसे क, ख, ग, घ आदि।
हो जाएगा क, ख, ग शब्दों का उपयोग बंद
प्रदेश में खसरों की नई नंबर प्रणाली लागू होने से क, ख, ग शब्दों का खसरों में उपयोग बंद हो जाएगा। आयुक्त भू-अभिलेख ज्ञानेश्वर बी पाटील के अनुसार खसरा नंबर में सुधार भू-अभिलेख की श्रेणी में आता है। लिहाजा यह सुधार मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 115 के अंतर्गत ही किया जा सकता है। जिसके लिए भू-लेख पोर्टल में तय प्रक्रिया के तहत मामला अनुविभागीय अधिकारी के न्यायालय में जाएगा।