
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। स्कूलों के रखरखाव और उनमें मौजूद सुविधाओं के मामले में मप्र की स्थिति पहले से ही बेहद खराब है। इसके बाद भी जिम्मेदार अफसर इस मामले में बेहद लापरवाह बने हुए हैं, जिसकी वजह से प्रदेश के स्कूलों में हजारों काम लंबे समय से आधे अधूरे पड़े हुए हैं। इन कामों को पूरा करने की याद अब सालों बाद आई है।
खास बात यह है कि यह काम बजट होने के बाद भी आधे अधूरे पड़े हुए हैं। जिसकी वजह से न केवल प्रदेश की बदनामी हो रही है, बल्कि छात्र-छात्राओं को भी स्कूल में मिलने वाली सुविधाओं के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। इनमें दस जिले तो ऐसे हैं जिनमें से जिले में अधूरे पड़े कामों की संख्या एक हजार से अधिक है। जबकि 27 जिले ऐसे हैं जिनमें पांच सौ से अधिक हर जिले में काम अधूरे पड़े हुए हैं। इसके बाद भी न तो सालों से इन कामों की चिंता अफसरों को है और न ही जनप्रतिनिधियों को। अब कई सालों बाद राज्य शिक्षा केन्द्रों को इन कामों को पूरा कराने की याद आई तो उन्हें तीन माह में पूरा कराने के निर्देश जारी किए गए हैं।
किस जिले में कितने अधूरे पड़े हैं काम
प्रदेश के जिन 27 जिलों में बीते छह सालों से पांच सौ से अधिक काम अधूरे पड़े हैं उनमें कटनी, सिवनी, खरगौन, उज्जैन, अलीराजपुर, जबलपुर, सिंगरौली, गुना, श्योपुर, अनूपपुर, विदिशा, डिंडोरी, ग्वालियर, आगरमालवा, मुरैना, मंडला, उमरिया और झाबुआ शामिल हैं। इसी तरह से सर्वाधिक अधूरे पड़े कामों वाले जिलों में दमोह में 1264, सतना में 1223, धार में 1206, बालाघाट में 1168, रीवा में 1150, टीकमगढ़ में 1126, सागर में 1117, रायसेन में 1030, बड़वानी में 1014 काम अधूरे पड़े हैं।
इस तरह के काम आधे-अधूरे
प्रदेश के 17 जिले ऐसे हैं जहां वर्ष 2014-15 से 50-50 से अधिक काम अधूरे पड़े हैं। कई स्कूलों के भवन नहीं बन पाए हैं, तो कहीं प्रयोगशाला नहीं बन पाई है। कहीं बाउंड्री वॉल का काम ही आधा अधूरा पड़ा हुआ है। कहीं शौचालयों का तो कहीं अंदरुनी सड़क का काम आधा अधूरा पड़ा हुआ है। इसी तरह से निर्माण कार्य की वर्ष 20-21 में स्लीपओवर राशि नहीं होने के कारण भी नए कामों की स्वीकृति भी अटक गई है। इनमें 8 जिलों की 10 करोड़ से 21 करोड़ तक और 20 जिलों में 5 करोड़ से 10 करोड़ की राशि लंबित है। अब मदवार लंबित यह राशि संबंधित एजेंसी को जारी कर निर्माण कार्य पूरा कराने के भी निर्देश दिए गए हैं।
तो नहीं मिलेगा वेतन
जिन जिलों में वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2016 तक के अब भी 50 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य अपूर्ण हैं, उन जिलों के डीपीसी, एपीसी, वित्त सहायक, यंत्री तथा उपयंत्री के वेतन का भुगतान काम पूरा नहीं होने तक नहीं किया जाएगा। इसी तरह से जो लोग संविदा पर हैं उनकी संविदा अवधि भी नहीं बढ़ाने का फैसला किया गया है।