
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। श्रीमंत की जन्म भूमि और कर्मभूमि मप्र में होने की वजह से उनका वैसे तो यहां आना जाना लगा ही रहता है, लेकिन भाजपा में आने के बाद से उनके द्वारा भोपाल हो या फिर अन्य किसी शहर में किए जाने वाले दौरे बेहद चर्चा में रहते हैं। अब वे आज भोपाल आ रहे हैं तो फिर उनका यह प्रवास मीडिया की सुर्खियां तो आम आदमी में चर्चा का विषय बन गया है। आज के इस दौरे में श्रीमंत न केवल वीडी के घर संगठन की बैठक में शामिल हो रहे हैं, बल्कि शाम को भोजन करने उनके धुर विरोधी और ग्वालियर चंबल अंचल से आने वाले मंत्री अरविंद भदौरिया के यहां जाने वाले हैं। इसकी वजह से अब कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या श्रीमंत वीडी और अरविंद के बीच दूरियां मिटाकर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को चुनौती देंगे? सवाल यह उठता है कि जब पार्टी के कई नेता मिलकर भी इन दोनों ही नेताओं के मन को एक नहीं कर सके हैं तो श्रीमंत ऐसा कैसे कर पाएंगे, हालांकि श्रीमंत समर्थकों का कहना है कि यह एक सामान्य मेल मुलाकात है और भाजपा संगठन द्वारा शुरू की गई परंपरा है। खास बात यह है श्रीमंत का यह दौरा भी पिछले कई दौरों की तरह कई तरह के कयासों को जन्म दे रहा है। श्रीमंत एक दिवसीय इस दौरे के लिए कार से आ रहे हैं। वे अशोकनगर होते हुए पहले सिरोंज जा रहे हैं, जहां वे पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत के निधन पर शोक व्यक्त करने जाएंगे उसके बाद भोपाल आकर वीडी शर्मा के आवास पर पहुंचेंगे। इस दौरान वे वहां होने वाली संगठन की एक बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक की खास बात यह है कि इसमें राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, और सह संगठन मंत्री हितानंद भी शामिल रहेंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में श्रीमंत अपने समर्थकों को संगठन के साथ ही सरकार में भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा करने वाले हैं। फिलहाल ग्वालियर चंबल अंचल के तहत आने वाले जिलों में उनके समर्थकों को जगह नहीं मिली है। इसी तरह से प्रदेश संगठन द्वारा अब मीडिया पैनलिस्ट और प्रवक्ताओं की भी घोषणा की जानी है। माना जा रहा है कि इनमें भी श्रीमंत अपने समर्थकों के लिए पर्याप्त भागीदारी चाहते हैं। माना जा रहा है कि आज होने वाली वीडी के घर बैठक में नामों को अंतिम रुप दिया जा सकता है। इसी तरह से माना जा रहा है कि कुछ निगम मंडलों में भी श्रीमंत अपने करीबी पूर्व मंत्रियों की ताजपोशी को लेकर चर्चा कर सकते हैं। खास बात यह है कि पहले माना जा रहा था कि श्रीमंत का यह दौरा कल 24 जून को होने जा रही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने के लिए किया जा रहा है, लेकिन खास बात यह है कि संगठन द्वारा जिन 27 लोगों को इस बैठक में शामिल किया जाना है उस जारी की गई सूची में श्रीमंत का नाम ही शामिल नहीं किया गया है। इसके कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अब भी सत्ता व संगठन श्रीमंत को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर सका है। यही वजह है कि उन्हें अब भी सत्ता व संगठन के प्रमुख कार्यक्रमों से दूर रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। एक दिन पहले भोपाल में होने के बाद भी वे ठीक पूर्व रात्रि यानि आज ही दिल्ली रवाना हो जाएंगे। गौरतलब है कि इसके पहले श्रीमंत भोपाल और ग्वालियर के दौरों में कई भाजपा नेताओं से मिलने उनके घर जा चुके हैं। यही नहीं वे अपने समर्थक मंत्रियों व नेताओं की जगह पुराने भाजपा नेताओं के घर भी डिनर करने जा चुके हैं। इसके अलावा जिस तरह से वे अपने पिछले दौरे के समय संघ नेताओं से मिलने समिधा गए थे, उसके बाद से भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
एक्चुअल बैठक में यह होंगे शामिल
प्रदेश संगठन द्वारा पहले प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में एक्चुअल रुप से शामिल होने वाले नेताओं की सूची में 20 नाम तय किए गए थे, लेकिन बाद में उसमें सात नाम और जोड़े गए हैं। इनमें प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा , मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहाष भगत, सहसंगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा, कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन और कार्यालय मंत्री राघवेन्द्र शर्मा के नाम इनमें शामिल हैं।
दिल्ली से वर्चुअल होंगे शामिल
इस बैठक में हालांकि श्रीमंत शामिल होंगे , लेकिन दिल्ली से वर्चुअल रुप से। हालांकि इसे लेकर श्रीमंत समर्थक खुश नहीं हैं। दरअसल प्रदेश भाजपा के बड़े नेता जिनमें संगठन और सत्ता में शामिल नेता उन्हें मप्र की राजनीति से दूर ही रखना चाहते हैं। यह नेता उन्हें अपने भविष्य के लिए खतरा मानकर चल रहे हैं। यही वजह है कि सत्ता व संगठन के सभी प्रमुख कार्यक्रमों से उन्हें दूर रखने का प्रयास किया जाता है।
वीडी व भदौरिया अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रह चुके
खास बात यह है कि प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और मंत्री अरविंद भदौरिया के बीच कई तरह की समानताएं हैं। यह दोनों नेता ग्वालियर- चंबल अंचल से ही हैं। दोनों ही नेता संघ पृष्ठभूमि से आते हैं। राजनीति में आने के पहले वे विद्यार्थी परिषद में बतौर प्रचारक लंबे समय तक काम कर चुके हैं। उसके बाद इन दोनों नेताओं ने संगठन में काम किया है , जिसके बाद इनमें से एक नेता संगठन में तो दूसरा नेता सत्ता में महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं। इन दोनों ही नेताओं में उनकी महत्वाकांक्षाओं की वजह से उनमें पटरी नहीं बैठती है। खास बात यह है कि इन दोनों नेताओं की संघ में भी अच्छी पैठ है।