25 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं मप्र पुलिस महकमे में

मप्र पुलिस

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का पुलिस विभाग इस समय कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा है। एक ओर जहां पिछले चार वर्षों से भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी है वहीं पदोन्नति का मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है। वहीं दूसरी ओर लगातार कर्मचारी सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। इस वजह से भी पद रक्त हो रहे हैं। नई भर्ती नहीं होने और कर्मचारियों के लगातार रिटायर होने से पुलिस की संख्या बल में भारी कमी आ गई है।
इस कारण से जिलों में थाना स्तर पर विवेचक, प्रधान आरक्षक और सहायक उप निरीक्षकों की कमी से प्रकरणों की विवेचना प्रभावित हो रही है। पिछली भाजपा सरकार ने हर साल पांच हजार पद भर्ती और पदोन्नति से पद भरने का निर्णय लिया था। हालांकि कुछ साल तक इन पदों की पूर्ति की भी गई लेकिन अप्रैल 2016 से पदोन्नति का मामला न्यायालय में विचाराधीन होने और सितंबर 2017 से सिपाही, एसआई, सूबेदार तथा प्लाटून कमांडरों के पदों पर भर्ती नहीं होने से तथा इन वर्षों के दौरान अधिकारियों तथा कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति से वर्तमान में आरक्षक, प्रधान आरक्षक, सहायक उपनिरीक्षक, उप निरीक्षक, निरीक्षक तथा डीएसपी के करीब बीस हजार से अधिक पद रिक्त हो चुके हैं।
हर साल हो भर्ती तो पूर्ति संभव
विभागीय सूत्रों की माने तो पदोन्नति का विकल्प निकलने से प्रधान आरक्षक से लेकर डीएसपी स्तर तक के पदों पर अधिकारी कर्मचारियों की पदोन्नति से करीब सोलह हजार पदों पर आरक्षक और थानेदार संवर्ग के कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। उल्लेखनीय है राज्य पुलिस सेवा के तीन हजार अधिकारी कर्मचारी हर साल रिटायर हो रहे हैं। इन पदों के साथ ही यदि रिक्त बीस हजार पदों की  अगले पांच वर्षों में पूर्ति करना है तो प्रत्येक वर्ष में करीब आठ हजार पद भर्ती और पदोन्नति से भरे जाने चाहिए। यदि ऐसा नहीं कर पाते हैं तो पांच वर्षों में भी इन रिक्त पदों की पूर्ति नहीं की जा सकेगी।
जांच प्रकरण नहीं बढ़ पा रहे आगे
यही नहीं जांच एजेंसियों में स्टाफ की कमी की वजह से जांच प्रकरण प्रभावित हो रहे हैं, आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त संगठन, सीआईडी, साइबर सेल तथा जिलों के अजाक थाने तथा एसटीएफ में भी डीएसपी तथा निरीक्षक स्तर के अधिकारियों की भारी कमी है। यही वजह है कि जांच के काम प्रभावित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जांच एजेंसियों में भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग आदि प्रकरणों में अपराध दर्ज होने के बाद इनकी विवेचना का अधिकार डीएसपी और निरीक्षकों को रहता है।  निचले स्तर पर पर भी यहां कर्मचारियों की कमी बनी हुई है।
एसएएफ और एसआईएसएफ में बल की कमी
इसी तरह सुरक्षा बल की कमी औद्योगिक संस्थानों में सुरक्षा देने वाले राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल में भी है। बता दें कि एसआईएसएफ में आरक्षक से लेकर निरीक्षकों तक के 2850 पद स्वीकृत हैं। सिपाही से लेकर निरीक्षकों को विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) से प्रतिनियुक्ति पर लिया जाता है। लेकिन एसएएफ में भी पर्याप्त बल नहीं होने से एसआईएसएफ में स्वीकृत बल नहीं मिल पा रहा है  वर्तमान में एसएएफ में लगभग एक हजार से अधिक पद रिक्त हैं जबकि औद्योगिक संस्थानों द्वारा लगातार सुरक्षा को लेकर बल की मांग की जा रही है।
प्रस्तावित है 42 सौ पदों पर आरक्षकों की भर्ती
मुख्यालय सूत्रों के मुताबिक विभाग में वर्तमान में स्वीकृत कुल पदों की संख्या सवा लाख है जबकि फोर्स सिर्फ एक लाख पांच हजार ही उपलब्ध है। हालांकि आरक्षकों के 42 सौ पदों पर भर्ती की जाना प्रस्तावित तो है लेकिन यह भर्ती कब की जाएगी इसकी कोई समय सीमा तय नहीं है।
पुलिस कर्मचारियों को भत्ता वृद्धि के लिए करना होगा लंबा इंतजार
प्रदेश के पुलिसकर्मियों के कई तरह के भत्तों में वृद्धि के प्रस्ताव पर वित्त विभाग कुंडली मारकर बैठ गया है, जिसकी वजह से दो माह बाद भी उस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। माना जा रहा है कि पुलिसकर्मियों को बढ़े हुए भत्तों के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। सूत्रों की माने तो वित्त विभाग को गृह द्वारा बढ़ाए जाने वाले भत्तों में तीन गुना वृद्धि पर आपत्ति है। इस वजह से माना जा रहा है कि गृह विभाग पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव में संशोधन कर उनमें कुछ कमी कर सकता है। इस संशोधन में ही समय लगना तय है। इसके अलावा वित्त विभाग इसके लिए अलग से राशि चाहता है। माना जा रहा है कि इसके लिए पहले अनुपूरक बजट में ही राशि का इंतजाम किया जा सकेगा। वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बाद भी पुलिसकर्मियों को उसे पाने के लिए इंजातार करना होगा, क्योंकि वित्त विभाग से स्वीकृति के बाद प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए कैबिनेट के सामने पेश करना होगा। उसके बाद ही भुगतान होना संभव हो पाएगा। इससे पुलिसकर्मियों को बढ़े हुए भत्तों का भुगतान पाने के लिए अगले साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है। दरअसल कुछ माह पहले गृह विभाग द्वारा पुलिस कर्मचारियों को मिलने वाले क्लोदिंग और पोषण आहार भत्ता में वृद्धि करने का प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेजा गया था, जिसमें मौजूदा क्लोदिंग भत्ता तीन हजार की जगह दस हजार रुपए करने और इसी तरह से पोषण भत्ता को 650 रुपए की जगह तीन हजार रुपए करना शामिल है।

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