
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियां बिजली बिल की वसूली को लेकर परेशान है। इन तीनों ही कंपनियों द्वारा हर महीने 1700 करोड़ रूपए के बिल जारी किए जाते हैं। इसमें हर महीने करीब 1500 करोड़ की वसूली होती है। बिल की बकाया राशि के लिए कंपनियों को सख्ती से ही पेश आना पड़ता है। हालांकि इसके बाद भी उपभोक्ता बिल भरने को तैयार नहीं होते। प्रदेश में बिजली बिल के बकाया को लेकर सबसे ज्यादा खराब स्थिति ग्वालियर चंबल संभाग की है। यहां करोड़ों रुपए का बकाया बिजली विभाग को मिलना है। यही वजह है कि अब मध्यप्रदेश विद्युत वितरण तीनों कंपनियों ने बकाया वसूली के लिए सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है। कंपनियों ने अपने टारगेट और वसूली बढ़ाने के लिए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके बाद मैदानी अमला भी वसूली के लिए हरकत में आ गया है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक जीएस मिश्रा में हाल ही में ग्वालियर चंबल संभाग का दौरा किया है। इसके बाद ग्वालियर चंबल संभाग में वसूली के लिए सख्त कार्रवाई की गई है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुरैना जिले में 1972 डिफाल्टर उपभोक्ताओं से 15 करोड़ पांच लाख रुपए वसूले जाने हैं। इसकी वसूली के लिए टीम ने बीते दिनों में लगभग चालीस ट्रांसफार्मर उतारने की कार्रवाई की है। यही नहीं वसूली के लिए मुरैना जिले में आदेश जारी किया गया है कि अब बंदूक के लाइसेंस सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए दिए जाएंगे जो बिजली कंपनियों के डिफाल्टर नहीं है। वहीं भिंड जिले में बकायादारों को नोटिस देकर जेल भेजने तक की चेतावनी दी जा रही है।
संपत्ति कुर्क की कार्रवाई, कनेक्शन भी काटे
दूसरी ओर पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियां भी वसूली के लिए बकायेदारों को नोटिस देकर उनकी संपत्ति कुर्क कर रही हैं। जानकारी के मुताबिक अब तक ऐसे हजारों बकायेदारों के कनेक्शन काट दिए गए हैं। यही नहीं बिल जमा नहीं करने वाले किसानों की डीपी भी उतारी जा रही है। इससे कई गांव तो अंधेरे में हो गए हैं। उधर उपभोक्ताओं का कहना है कि पिछले दो महीने के कोरोना के कारण काम धंधे पर बंद पड़े हैं। व्यवसायिक गतिविधियां ठप पड़ने के कारण आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है।
बिल जमा करने फोन पर किया जा रहा अनुरोध
बिजली कंपनी द्वारा भोपाल सर्कल के उपभोक्ताओं को फोन लगाकर बिजली बिल भरने का अनुरोध किया जा रहा है। जबकि पहले यह व्यवस्था थी कि टीम नोटिस देने के बाद सीधे कनेक्शन काटने पहुंच जाती थी। वहीं अब कनेक्शन काटने से पहले उपभोक्ताओं को फोन लगाए जा रहे हैं। जिससे वह समय रहते बिजली के बिल जमा कर दें और उनके बिजली कनेक्शन काटने की नौबत ना आए।